
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बीएस-3 वाहनों की बिक्री पर रोक लगाने का आदेश दिया है. ये आदेश 1 अप्रैल से लागू होगा. कोर्ट के इस आदेश के बाद ऑटो कंपनियों को गहरा झटका लगा है. ऑटो कंपनियों का दावा है वाहनों की बिक्री पर रोक से उन्हें बड़ा नुकसान होगा. याचिका पर सुनवाई के बाद मंगलवार को कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सख्त टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा- जब कम्पनियों को पता था कि 1 अप्रैल से बीएस-4 लागू होना है, फिर भी वो टेक्नोलॉजी विकसित करने पर क्यों बैठे रहे. क्यों नहीं बीएस-4 नॉर्म्स की गाड़ियां बनायी गईं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों की सेहत, ऑटोमोबाइल कम्पनियों के फायदे से ज्यादा जरुरी हैं. कोर्ट का फैसला उस याचिका पर आया है जिसमें 31 मार्च के बाद ऐसे वाहन बेचने पर लगी रोक को चुनौती दी गई थी. अदालत ने कहा कि प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को सड़क पर आने की इजाजत नहीं दी जा सकती.
कंपनियों की दलील
कोर्ट में बजाज और डेमलर क्रेस्लर कंपनियों ने सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) और बाकी के याचिकाकर्ता ऑटोमोबाइल कंपनियों की याचिका
का विरोध किया था. बजाज और डेमलर का ये कहना था कि हमने बीएस-4 गाड़ियों की तकनीक और उत्पादन पर काफी निवेश किया है. ऐसे में इन कंपनियों को
पुरानी नॉर्म्स की गाड़ियां बेचने की इजाज़त नहीं दी जानी चाहिए.
केंद्र सरकार ने किया था समर्थन
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने ऑटो कंपनियों को राहत देने का समर्थन किया था. सरकार ने दलील दी थी की 1 अप्रैल के बाद बीएस-3 वाहन के उत्पादन पर तो रोक है लेकिन बिक्री और रजिस्ट्रेशन पर पाबंदी नहीं होनी चाहिए. इससे पहले भी बीएस-3 प्राभावी होने के बावजूद बीएस-2 गाड़ियों की बिक्री की इजाजत दी गयी थी. लेकिन कोर्ट ने सरकार की ये दलील नहीं मानी.
ऑटो कंपनियों के मुताबिक 8 लाख 20 हजार से ज्यादा बीएस-3 नॉर्मस की गाड़ियां बिकने को तैयार खड़ी हैं. जिनमें करीब 6 लाख मोटरसाईकिल शामिल हैं. स्टॉक में मौजूद बीएस-3 वाहनों की अनुमानित कीमत 12 हजार करोड़ रुपये बताई जा रही है.