
बिहार के नेता प्रतिपक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि राज्य सरकार अब धरातल पर वास्तविक मुद्दों का परित्याग कर एक बार फिर एक व्यक्ति के महिमामंडन के कार्य में जुट चुकी है. ऐसा प्रतीत होता है कि पूरे राज्य सरकार का अस्तित्व इस उद्देश्य को लेकर ही है कि किन नए नवेले ताम-झाम से मुख्यमंत्री का महिमामंडन किया जाए.
राज्य सरकार का प्रोपेगेंडा तंत्र अब यह बताने में जुटा है कि मुख्यमंत्री शराबबंदी के बाद बाल विवाह और दहेज प्रथा को खत्म करने के संकल्प के साथ आगे बढ़ेंगे. महागठबंधन सरकार ने शराबबंदी लागू की लेकिन मुख्यमंत्री की हठधर्मिता की वजह से शराबबंदी पूर्ण लागू हुई नहीं प्रतीत होती.
अगर नालंदा का कोई इनका निजी व्यक्ति शराब का स्टॉक रखते हुए पकड़ा जाता है तो मुख्यमंत्री इस कानून को लागू करने वाले विभागीय प्रधान सचिव को ही हटा देते हैं.
पुलिस महकमा शराबबंदी के नाम पर कर रहा है वसूली
तेजस्वी यादव ने बयान जारी कर कहा कि बिहार में प्रतिदिन लाखों लीटर शराब पकड़ी जा रही है. स्कूल जाने वाले बच्चे शराब बेचने लग गए हैं. पूरा पुलिस महकमा अपराध कंट्रोल करने की बजाय शराबबंदी के नाम पर वसूली करने में लगा है. शराबबंदी कानून को Draconion Law की संज्ञा देने वाले सत्ता के मखमल को मुंह में ठूंसकर चुपचाप आज सरकार में सहयोगी बने बैठे हैं.
सूबे में शिक्षा का बंटाधार
उन्होंने कहा कि बाल विवाह जिसका अब राज्य में नहीं के बराबर अस्तित्व रह गया है. उसे भी जबरदस्ती मिटाने की कसम खाकर ये बस अपनी तथाकथित उपलब्धियों की दिखावटी सूची को लंबा करना चाहते हैं. बाल विवाह अगर कहीं होता भी है तो उसका सबसे बड़ा कारण अशिक्षा होता है. सूबे में शिक्षा का बंटाधार किसने किया है, यह किसी से छुपा नहीं है. अगर पिछले 12 साल में राज्य में बस खानापूर्ति के नाम पर शिक्षा की यह दुर्दशा नहीं की गई होती तो राज्य ने अपनी आधे से अधिक समस्याओं से निजात यूं ही पा लिया होता.