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कश्मीर में हिंसा और पत्थर बाजों से निपटने के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स अपने जवानों के लिए फुल बॉडी प्रोटेक्टर का इस्तेमाल करेगी. 6500 से ज्यादा फुल बॉडी प्रोटेक्टर खरीदने की तयारी पूरी कर ली गई है. सोमवार को दिल्ली में CRPF के डीजी के. दुर्गा प्रसाद ने ये जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि पत्थरबाजों से निपटने के लिए जो पैलेट गन का इस्तेमाल हुआ है वो काफी सोच समझ कर किया जाता है. और इसके इस्तेमाल से पहले दूसरे विकल्प को देखा जाता है लेकिन जब मौजूद विकल्प से बात नहीं बनती है तो पैलेट गन का इस्तेमाल किया जाता है.
बुरहान के एनकाउंटर से बरपा हंगामा
आपको बता दे कि कश्मीर घाटी में हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद घाटी में हिंसा भड़क उठी. जगह-जगह हिंसक प्रदर्शन हुए और सुरक्षाकर्मियों पर पत्थरबाजी की गई.
प्रदर्शकारियों को रोकने के लिए सुरक्षाबलों की ओर से बल प्रयोग किया गया. जानकारी के मुताबिक सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स के कर्मियों ने घाटी में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने पैलेट कारतूस फायर किए थे.
कश्मीर में पैलेट गन से 317 लोग घायल हुए
CRPF से मिली जानकारी के मुताबिक सैन्य बलों की ओर से की गई कार्रवाई में 317 लोग पैलेट गन से घायल हुए हैं, इनमें से काफी संख्या में लोगों की आंख जख्मी हुई है. जिसको लेकर सवाल उठे थे. खुद गृह मंत्री
राजनाथ सिंह ने भी ये कहा था कि CRPF पैलेट गन का इस्तेमाल कम करे.
पैलेट गन का विकल्प ढूंढ़ने की तैयारी
CRPF डीजी ने सोमवार को मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा की जो कमिटी बन रही है उसमें CRPF का ऑफिसर होगा और इस बात की ओर देखा जाएगा की दूसरे ऑप्शन पैलेट गन की जगह क्या हो
सकते हैं. हांलाकि डीजी ने कहा की पैलेट गन के इस्तेमाल से पहले घाटी में भड़की हिंसा को काबू करने के लिए सीआरपीएफ ने जो अन्य नॉन-लिथेल वेपन्स इस्तेमाल किए उनमें से प्लास्टिक पैलेट गन्स, रबर बुलैट,
स्टन ग्रेनेड्स, मल्टी-बटन शैल्स, ब्लैंक राउंड, पिपर बॉल्स और कैप्सिकम ग्रेनेड शामिल है.
नुकसान को कम करने पर जोर
सीआरपीएफ डीजी के दुर्गा प्रसाद ने दुख प्रकट करते हुए कहा घायल लोगों के प्रति हमारी संवेदना है, जब सारे नॉन-लिथेल वेपन्स कमजोर हो गए, तो हमें पैलेट गंस का इस्तेमाल करना पड़ा. हमें नौजवानों के घायल और
आंख में चोट आने का दुख है. हम इस पर गौर कर रहे हैं कि कैसे नुकसान को कम किया जा सकता है.
2010 में कश्मीर लाए गए थे ये हथियार
CRPF ने पिछले 15 दिनों इन नॉन लीथल वेपन का इस्तेमाल किया जिसमे टीयर स्मोक शैल्स-4,821, पैलेट गन कार्ट्रिज्स-2,167, प्लास्टिक पैलेट गन्स-1615, रबर बुलैट-1,040, स्टन ग्रेनेड्स-136 और मल्टी-बटन
शैल्स-103 शामिल हैं. आपको बता दें कि कश्मीर में 2010 की अशांति के दौरान इन हथियारों को इसलिए लाया गया था, ताकि प्रदर्शनों और हिंसा पर काबू पाने के दौरान होने वाली जनहानि को रोका जा सके. नॉन
लिथेल वेपन्स में रबर बुलेट, पैपर गैस, आंसू गैस, पैलेट बम आदि शामिल है. इस पर 2016 में सवाल उठे हैं पर गृह मंत्रालय और CRPF वैसे कदम उठाने पर विचार कर रहा है जिससे इसका इस्तेमाल कम से कम
किया जाए.