Advertisement

यूपी के गवर्नर ने लोकायुक्त से मांगा भ्रष्टाचार पर ब्योरा, तिलमिलाई यूपी सरकार

इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी राज्यपाल ने लोकायुक्त से उसके पांच साल के कामकाज का ब्योरा मांगा है, जबकि समाजवादी पार्टी की सरकार को चुनाव से ठीक पहले भ्रष्टाचार की पोल खुलने का डर सता रहा है.

मुख्यमंत्री अखि‍लेश यादव और राज्यपाल राम नाइक मुख्यमंत्री अखि‍लेश यादव और राज्यपाल राम नाइक
स्‍वपनल सोनल/आमिर हक
  • लखनऊ,
  • 05 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 9:50 AM IST

यूपी सरकार और राज्यपाल राम नाइक के बीच एक बार फिर रस्साकशी की शुरुआत हो गई है. इस बार टकराव का मुद्दा गर्वनर राम नाइक की ओर से लोकायुक्त दफ्तर से यूपी सरकार के भ्रष्ट नेताओं और अफसरों का ब्योरा मांगा जाना है.

दरअसल, इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी राज्यपाल ने लोकायुक्त से उसके पांच साल के कामकाज का ब्योरा मांगा है, जबकि समाजवादी पार्टी की सरकार को चुनाव से ठीक पहले भ्रष्टाचार की पोल खुलने का डर सता रहा है. राज्यपाल लोकायुक्त के जरिए उन सभी भ्रष्ट मंत्रियों और अफसरों की जानकारी चाहते हैं जिनके खिलाफ बीते पांच साल के दौरान कार्रवाई की गई है.

Advertisement

गौरतलब है‍ कि राज्यपाल राम नाइक सरकार से जुड़ी जानकारियों को बेबाकी से सार्वजनिक करने के लिए जाने जाते हैं. ऐसे में सरकार को डर है कि कहीं इस बार भी राज्यपाल के कारण उनकी भद न पिट जाए. सरकार के कद्दावर मंत्री खुलकर राज्यपाल पर राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं.

'राजनीति करनी है तो राज्यपाल का पद छोड़ दें'
यूपी सरकार में मंत्री शिवपाल यादव कहते हैं, 'हमारी सलाह है. हम सिर्फ सलाह ही दे सकते हैं. गवर्नर हाउस को संवैधानिक दायित्वों का पालन करना चाहिए. हम केवल इतना ही कहेंगे. यदि राजनीति करनी है तो फिर राज्यपाल का पद छोड़ना पड़ेगा.'

यह मेरे कार्यक्षेत्र का हिस्सा: राज्यपाल
दूसरी ओर, राजनीति करने के आरोपों को दरकिनार करते हुए राम नाइक लोकायुक्त से जानकारी मांगने को अपने कार्यक्षेत्र का अहम हिस्सा बता रहे हैं. राम नाइक ने सरकार और सरकार में बैठे मंत्रियों को ये भी याद दिलाया कि राज्यपाल रहते हुए वो राज्य के प्रमुख की भूमिका में हैं और लोकायुक्त दरअसल उनके अफसर हैं, जिनसे जरूरत पड़ने पर जानकारी लेना उनका पूरा पूरा अधिकार है.

Advertisement

राम नाइक ने शिवपाल यादव के बयान पर चुटकी लेते हुए यहां तक कह दिया कि लगता है उनपर राजनीति करने का आरोप लगाने वालों को संविधान की पूरी जानकारी नहीं है.

जुटाई जा रही है जानकारी
हालांकि, लोकायुक्त की मानें तो बीते पांच वर्षों में भ्रष्टाचार के खिलाफ हुई कार्रवाई की एक मुश्त जानकारी दिए जाने का इससे पहले कोई इतिहास नहीं है. ऐसे में अब राज्यपाल की ओर से चिट्ठी भेजे जाने के बाद राज्य के भ्रष्ट अफसरों और नेताओं से जुड़ी सारी जानकारी लोकायुक्त दफ्तर में युद्धस्तर पर जुटाई जा रही है.

लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने कहा, 'ये जो सूचना इन्होंने मांगी थी, ये मैं हर साल कंपाइल करके अपना प्रतिवेदन भेजता हूं. नई चीज यह है कि वो जानना चाहते हैं कि कितने दोषी या निर्दोष हुए तो मेरे यहां ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं जाती है. मैंने उनको बताया कि यह मेरी वेबसाइट पर इसलिए नहीं है, क्योंकि यह सब गोपनीय होता है.'

पहले भी लगे हैं राज्यपाल पर आरोप
इससे पहले पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल यादव ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर राज्यपाल पर राजनीति करने का आरोप लगाया था. इसके अलावा चाहे लोकायुक्त की नियुक्ति का मामला हो या फिर सपा नेताओं को मंत्री का दर्जा दिए जाने का. सरकार के कामकाज में रोड़े अटकाने के आरोप भी राम नाइक पर लगते रहे हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement