
अकसर अपने बयानों की वजह से चर्चा में रहने वाले उत्तराखंड के खेल एवं शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय का एक फैसला इन दिनों सुर्खियां बटोर रहा है. दरअसल, शिक्षा मंत्री ने सरकारी स्कूलों में मिड डे मील भोजन करने से पहले भोजन मंत्र पढ़ने को कहा है. हालांकि साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इसे अनिवार्य नहीं किया गया है.
फैसले में साफ तौर पर कहा गया है कि सभी सरकारी स्कूलों की रसोईघर में ये मंत्र दीवारों पर पेंट किए जाएंगे ताकि सभी बच्चे इनको याद भी कर सकें. यही नहीं, अरविंद पांडेय ने साथ ही मुस्लिम छात्रों को संस्कृत सीखने की भी सलाह दी. उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज के लोग भी संस्कृत सीख लें तो फायदा होगा.
वहीं शिक्षा मंत्री के इस बयान पर राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस हमलावर हो गई है. कांग्रेस के प्रवक्ता गरिमा दसोनी ने शिक्षा मंत्री को सलाह दी कि भोजन मंत्र से ज्यादा जरूरी प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को ठीक करना है. इसीलिए उन्हें मंत्री बनाया गया है.
गरिमा ने आगे कहा कि प्रदेश के स्कूलों की दशा बहुत खराब है और 1000 से ज्यादा स्कूल जर्जर हालात में हैं. इससे कई बच्चों का भविष्य और जान दोनों खतरे में है और शिक्षा मंत्री इन पर ध्यान देने के बजाय ऐसे फिजूल के फैसले सुनाने में व्यस्त हैं.बता दें कि अभी तक उत्तराखंड में 18, 000 सरकारी स्कूलों में तकरीबन 1,80,000 छात्र- छात्राएं हैं.ऐसे में ये फैसला बहुतायत में संदेश देने का एक माध्यम भी हो सकता है. लेकिन शिक्षा मंत्री को इससे पहले स्कूलों में बेहतर सुविधाएं देने की भी जरूरत है.