
शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट ने एमसीडी चुनावों से पहले दिल्ली की राजनीति गर्म कर रखी है. एक ओर जहां बीजेपी आप पर तो वहीं आप भी बीजेपी पर पलटवार करती नजर आ रही है. गुरुवार को आप नेता आशुतोष ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब-जब चुनाव आते हैं तब-तब बीजेपी ऐसे हथकंडे अपनाती है.
आपको याद दिला दें कि शुंगलू रिपोर्ट के आने के बाद दिल्ली सरकार को लेकर कई अहम खुलासे हुए हैं रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली सरकार पर अनियमितता का आरोप लगाया गया है. इस रिपोर्ट में पार्टी के दफ्तर से लेकर अपने लोगों को नियुक्ति देने तक हर किसी चीज पर रिपोर्ट पेश की गई है जिसमें संविधान के नियमों से आगे जाकर इन चीजों को पूरा किया गया.
क्या कहते हैं शुंगलू
शुंगलू कमेटी के अध्यक्ष वी के शुंगलू ने 'आजतक' के साथ बातचीत में साफ कहा कि रिपोर्ट तो नवंबर में ही सौंप दी थी. अब आरटीआई के जरिए जिसने मंगाई और जारी की सवाल तो उससे होना चाहिए ना कि मुझसे. रही बात रिपोर्ट में कही गई बातों की तो जो संविधान कहता है हमने उस पर ही अपनी रिपोर्ट दी है. हमें चार सौ से ज्यादा फाइलें तब के उपराज्यपाल नजीब जंग ने भेजी थीं और हमने उन सबमें मौजूद दस्तावेजों की स्टडी करके उस पर ये रिपोर्ट भेजी की संविधान की परिपाटी क्या है और किया क्या गया है. जहां-जहां हमें संवैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन लगा वहां हमने वहां टिप्पणी की है. किसी का नुक्स निकालना हमारा काम नहीं है.
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालीवाल के रहने के लिए सरकारी बंगला अलॉट करने के दस्तावेजी सबूत हैं. लेकिन दिल्ली सरकार महिला आयोग की अध्यक्ष को सरकारी बंगला अलॉट नहीं कर सकती. अब दिल्ली सरकार कहती रहे कि वो तो बेस कैंप बनाने के लिए इस्तेमाल हो रहा है. लेकिन दिल्ली सरकार के आदेश के दस्तावेज तो उसे महिला आयोग की रिहाइश के लिए अलॉट करने की तस्दीक कर रहे हैं.
शुंगलू के इस बयान के बाद तो सवाल दिल्ली सरकार पर उठने चाहिए कि अगर बेस कैंप बनाने के लिए बंगला चाहिए था तो अर्जी भी इसी की दी जानी चाहिए थी. अर्जी रिहाइश के लिए और इस्तेमाल बेस कैंप के लिए.
अगला मसला दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की बेटी सौम्या जैन को स्वास्थ्य मंत्रालय का एडवाइजर नियुक्त करने के अधिकार को लेकर है. शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी किसी नियुक्ति का अधिकार दिल्ली सरकार को नहीं है. इस बारे में दिल्ली सरकार की दलील है कि फिर अधिकार किसका है. इस पर शुंगलू बेबाक बोले की जिनको शक है वो संविधान पढ़ लें वहां सबके अधिकार क्षेत्र लिखे हैं. शुंगलू ने कहा कि और जिसका भी अधिकार क्षेत्र हो लेकिन दिल्ली सरकार का तो कतई नहीं है.