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इशरत जहां मामले में पूर्व गृह सचिव जी.के. पिल्लई ने हाल ही में खुलासा किया था कि पूर्व गृह मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने हलफनामा बदलवाया था. एक और पूर्व ब्यूरोक्रेट सामने आए हैं और इस बात की तरफ इशारा किया है कि यूपीए सरकार के दौरान राजनीतिक स्तर पर इस केस का हलफनामा बदलवाया गया था. केंद्रीय गृह मंत्रालय के पूर्व अंडर सेक्रेटरी आर.वी.एस. मणि ने बताया कि उनसे जबरन दूसरे हलफनामे पर दस्तखत कराए गए थे.
पहला हलफनामा सही
यूपीए सरकार ने इस मामले में दो हलफनामे दायर किए थे. पहले हलफनामे में कहा गया था कि इशरत समेत चार लोग (जो आतंकवादी थे) फर्जी मुठभेड़ में मारे गए थे. जबकि अगले दो महीनों के अंदर दायर किए गए हलफनामे में सरकार ने यू-टर्न लेते हुए कहा था कि इस बात के कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं कि वो आतंकवादी थे. एक अंग्रेजी चैनल को दिए इंटरव्यू में मणि ने बताया कि वो पहले हलफनामे से सहमत हैं. उन्होंने कहा, 'मैं पहले हलफनामे को मानता हूं क्योंकि वो उपलब्ध तथ्यों के आधार पर था. सभी उपलब्ध जानकारियों को मिलाकर एक सिलसिलेवार तरीके से हलफनामे में डाला गया था. वो पहला हलफनाम था.'
जबरन कराए गए साइन
दूसरे हलफनामे के बारे में पूछे जाने पर मणि ने बताया कि वो उन्होंने तैयार नहीं किया था. हालांकि उनका कहना है कि उन्हें दूसरे हलफनामे पर दस्तखत करने के आदेश मिले थे, इसलिए उन्होंने इसे फाइल किया था. मणि के मुताबिक उनसे दूसरे हलफनामे पर जबरन दस्तखत कराए गए.
सिगरेट से जलाया था
आर.वी.एस. मणि ने एसआईटी चीफ सतीश वर्मा पर उनको प्रताड़ित करने और सिगरेट से जलाने का आरोप लगाया. उन्होंने बताया, 'एसआईटी चीफ ने मुझे सिगरेट से जलाया. एक सीबीआई ऑफिसर मेरा पीछा करता था.'
जी.के. पिल्लई का खुलासा
इशरत जहां एनकाउंटर मामले में कई सनसनीखेज खुलासे कर चुके पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई ने एक और बड़ा खुलासा करते हुए दावा किया कि 2009 में तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने इस केस में केंद्र सरकार का हलफनामा बदलवाया था, ताकि इशरत के लश्कर-ए-तैयबा से कनेक्शन की बात सामने ही न आए. पिल्लई यूपीए सरकार के दौरान गृह सचिव थे. उन्होंने बताया, 'तत्कालीन गृह मंत्री चिदंबरम ने ज्वॉइंट सेक्रेटरी से इशरत जहां केस की फाइल मंगवाई थी और कहा था कि हलफनामे में बदलाव की जरूरत है.'
लश्कर-ए-तैयबा की साइट पर था नाम
उन्होंने कहा कि आतंकी हथियार लेकर आए थे और एनकाउंटर में मारे गए. इसमें कुछ गलत नहीं है. असली बात यह है कि एनकाउंटर फेक था या सही. सीबीआई के बाद यह मामला कोर्ट में है. उस दौरान इशरत को संदेह का लाभ मिला था. उस वक्त इशरत के खिलाफ कोई सीधा सबूत सामने नहीं आया था. बाद में लश्कर-ए-तैयबा की साइट पर उसका नाम दिया गया. फिर हो हल्ला होने इस नाम को हटा दिया गया.
हेडली ने बताया- फिदायीन थी इशरत
बीते दिनों 26/11 मुंबई आतंकी हमलों की साजिश को लेकर आतंकी डेविड हेडली ने एक बड़ा खुलासा करते हुए कोर्ट में कहा था कि इशरत जहां लश्कर-ए-तैयबा की फिदायीन हमलावर थी. हेडली ने कहा कि उसे इशरत के बारे में मुजम्मिल भट्ट ने उसे बताया था कि भारत में उनकी एक लड़ाका मारी गई है.