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आंध्र प्रदेश कर रहा जिस विशेष श्रेणी की मांग, जानें क्या हैं इसके फायदे

आंध्र प्रदेश में एकबार फिर राज्य को 'विशेष श्रेणी' तमगा दिए जाने की  मांग उठने लगी है. केंद्र सरकार ने हालांकि फिलहाल इसे देने से इनकार कर दिया है

चंद्रबाबू नायडू चंद्रबाबू नायडू
विकास जोशी
  • नई दिल्ली,
  • 07 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 5:22 PM IST

आंध्र प्रदेश में एकबार फिर राज्य को 'विशेष श्रेणी' का दर्जा दिए जाने की  मांग उठने लगी है. केंद्र सरकार ने हालांकि फिलहाल इसे देने से इनकार कर दिया है. उसने साफ क‍िया है कि अगर आंध्र प्रदेश को यह दर्जा दिया जाता है, तो अन्य राज्य भी इसकी मांग करने लगेंगे. केंद्र सरकार ने कहा है कि सिर्फ भावनाओं के आधार विशेष श्रेणी का दर्जा नहीं दिया जा सकता है. आंध्र प्रदेश जिस विशेष श्रेणी के दर्जे की मांग कर रहा है, इसमें शामिल राज्यों को केंद्र की तरफ से कई फायदे मिलते हैं.   

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क्या है विशेष श्रेणी राज्य?

विशेष राज्य की श्रेणी में शामिल राज्यों को केंद्र की तरफ से दूसरे राज्यों के मुकाबले ज्यादा फायदा और सहयोग दिया जाता है. यह फायदा व सहयोग टैक्स और अन्य योजनाओं के मामले में मुहैया किया जाता है.

किस आधार पर मिलता है ये स्टेटस?

किसी राज्य को विशेष राज्य की श्रेणी में शामिल करने के लिए कुछ मानक तय हैं.

- पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्र वाला राज्य

- कम जनसंख्या वाले राज्यों के साथ ही यह उन राज्यों को भी मिलता है, जहां आदिवासी जनजातियों की अच्छी-खासी जनसंख्या है.

- अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के करीब बसे राज्य

- जो राज्य वित्तीय और ढांचागत विकास के मामले में काफी पीछे हैं.  

क्या मिलता है फायदा?

विशेष श्रेणी के राज्यों को केंद्र की तरफ से विशेष सहयोग प्राप्त होता है. इन राज्यों को केंद्रीय सहयोग और कर में दूसरे राज्यों के मुकाबले ज्यादा रियायत दी जाती है. केंद्रीय बजट में इन राज्यों को होने वाले आवंटन का काफी बड़ा हिस्सा होता है. मौजूदा समय में 12वें वित्तीय आयोग ने विशेष श्रेणी के राज्यों के अध‍िकारों की व्याख्या की है.  

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विशेष श्रेणी के राज्यों को सामान्य केंद्रीय सहयोग में से 30 फीसदी दिया जाता है. जबकि 70 फीसदी सहयोग अन्य राज्यों के बीच उनकी जनसंख्या, प्रति व्यक्ति आय और वित्तीय प्रदर्शन को देखकर बांट दिया जाता है. इसके अलावा विशेष श्रेणी के राज्यों को एक्साइज और कस्टम ड्यूटीज में भी राहत दी जाती है. केंद्र प्रायोजित स्कीम्स (CCS) में भी इन्हें ज्यादा फंड आवंटित किया जा सकता है.

क्या है आंध्र का तर्क :

विशेष श्रेणी के राज्य की मांग को लेकर आंध्र प्रदेश का आंदोलन आज से नहीं है. यह तब से ही शुरू हो गया था, जब से तेलंगाना इससे अलग हुआ है. इसके अलावा 2014 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि आंध्र प्रदेश के उत्तराध‍िकारी राज्य को 5 साल के लिए विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा दिया जाएगा. इसके बाद से ही लगातार आंध्र प्रदेश अपनी मांग को समय-समय पर दोहराता रहा है.  

इनको मिला है यह दर्जा

स्पेशल कैटेगरी स्टेटस अथवा विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा सबसे पहले 1969 में दिया गया था. इस दौरान 5वें वित्तीय आयोग ने तय किया था कि उन राज्यों को केंद्र की तरफ से विशेष सहयोग दिया जाएगा, जो पिछड़े हुए हैं. उस दौरान इस श्रेणी में असम, नगालैंड और जम्मू-कश्मीर को शामिल किया गया था. बाद में इस श्रेणी में आठ और राज्यों को भी शामिल किया गया. इसमें उत्तराखंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मण‍िपुर, सिक्क‍िम, त्र‍िपुरा और मिजोरम को शामिल किया गया है.  

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