Advertisement

कम दाम को लेकर गन्ना किसान कर रहे आंदोलन, सरकार बेसुध

दाम कम मिलने की वजह से हजारों किसान सड़कों पर उतर आए हैं. किसानों की मांग है कि इस मामले में सरकार को दखल देना चाहिए.

कम दाम को लेकर गन्ना किसान कर रहे आंदोलन, सरकार बेसुध कम दाम को लेकर गन्ना किसान कर रहे आंदोलन, सरकार बेसुध
पंकज खेळकर
  • मुंबई,
  • 16 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 7:25 PM IST

कोल्हापुर जिले के 17 चीनी मिलों ने किसानों के गन्ने की फसल को पहली किस्त में  3100 रुपये प्रति टन देने का वादा किया है. लेकिन राज्य के अन्य जिलों के गन्ना किसानों को इससे भी कम 2700 रुपये रुपये प्रति टन के आस-पास मिल रहे हैं. अहमदनगर और मराठवाड़ा के किसानों की हालत और भी खराब है. यहां के किसानों को कुछ चीनी मिलें पहले किश्त में प्रति टन 2100 रुपये के ऊपर दाम देने को राजी नहीं हैं.

Advertisement

पुलिस ने किया बल प्रयोग, किसानों पर दागे रबर बुलेट

दाम कम मिलने की वजह से हजारों किसान सड़कों पर उतर आए हैं. किसानों की मांग है कि इस मामले में सरकार को दखल देना चाहिए. मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र में अहमदनगर, सोलापुर और औरंगाबाद जिलों  के कई इलाकों में गन्ना किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया. अहमदनगर के शेवगांव में आंदोलन कर रहे किसानों पर धारा 144 लगाकर उन्हें हिरासत में भी लिया गया है. इस गिरफ्तारी के बाद किसान और भड़क उठे जिनको काबू में करने के लिए पहले बल का प्रयोग  किया और बाद में आंसू गैस छोड़ी गई. लेकिन किसान पीछे हटने को तैयार नहीं थे जिसके बाद पुलिस ने रबर बुलेट फायर की जिसमें दो किसान बुरी तरह जख्मी हो गए.

मांग है 2700 रुपये प्रति टन, चीनी मिलों का कहना 2100 रुपये से ज्यादा नहीं

Advertisement

दिन पहले भी कम दाम के मुद्दे को लेकर राज्य सरकार ने सोलापुर जिले के चीनी मिल मालिकों और किसानों की चर्चा पुणे में करवाई थी. इस इलाके के चीनी मिल मालिक 2100 रुपये प्रति टन के ऊपर दाम देने के लिए तैयार नहीं हुए. पश्चिम महाराष्ट्र और मराठवाड़ा में 50 से अधिक चीनी मिलें है, लेकिन अभी तक एक भी चीनी मिल मालिक ने गन्ने के दाम तय नहीं किए है.  गन्ना किसान 2700 रुपये पहली किस्त की मांग कर रहे हैं जबकि शेवगाव और पैठन इलाकों में किसान गन्ने की फसल का 3100 रुपये प्रतिटन दाम चाहते हैं.

गन्नों में चीनी की मात्रा माप में करते हैं मिल मालिक धांधली: किसान

चीनी मिल मालिकों का कहना है कि सातारा, सांगली और कोल्हापुर को छोड़कर, राज्य के बाकी इलाकों के गन्नों में चीनी की मात्रा कम होती है और साढ़े आठ प्रतिशत चीनी की मात्रा वाले गन्ने की फसल को 2100 रुपये प्रति टन ही उचित दाम है. वहीं किसानों का आरोप है कि चीनी मिल मालिक गन्ने में चीनी की मात्रा के प्रमाण में धांधली करते हैं.  

कुल मिलाकर किसानों का कहना है कि गन्ने की कीमत और चीनी मिल से मिलने वाले गन्ने के प्रोडक्ट्स जैसे अल्कोहल, बिजली, बगैस, अल्कोहल का रॉ मटेरियल (खीरा) एवं अन्य की कीमत बहुत ज्यादा होती है. इसलिए मिल मालिकों को 3100 रुपये प्रति टन दाम देना चाहिए.  

Advertisement
सरकार का हस्तक्षेप जरूरी

स्वाभिमानी शेतकरी संघटन का आरोप है कि सरकार का इस मामले में हस्तक्षेप करना जरूरी है, लेकिन सरकार इस मामले की अनदेखी कर रही है. इस साल महाराष्ट्र में बीस हजार करोड़ रुपये मूल्य का गन्ना चीनी मिलो को के पास होगा. जिसका मतलब है 700 लाख टन गन्ना किसानो ने उगाया है. देश में उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र सबसे ज्यादा गन्ने की फसल का उत्पादन करता है.  

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement