झारखंड की जनता ने बीजेपी की जगह इस बार महागठबंधन पर भरोसा जताया. झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के चेहरे पर चुनाव लड़ते हुए महागठबंधन ने 47 सीटें जीती, जबकि भाजपा इस बार 25 सीटों पर सिमट गई. आश्चर्यजनक बात तो यह कि खुद सीएम रघुवर दास चुनाव हार गए. उन्हें अपनी ही पार्टी के बागी नेता सरयू राय से शिकस्त दे दी.
जमशेदपुर पूर्व सीट से सरयू राय ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को बड़े अंतर से हराया. शुरूआती नतीजों में रघुवर दास आगे निकले लेकिन पूरी गिनती होने तक पासा पलट गया और सरयू राय चुनाव जीत गए.
बता दें कि रघुवर दास सरकार में सरयू राय कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. जमशेदपुर से टिकट नहीं मिलने पर सरयू राय चुनाव से ठीक पहले बागी हो गए और उन्होंने निर्दलीय ही मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ पर्चा भर दिया.
बता दें कि साल 1995 से लगातार रघुवर दास जमशेदपुर पूर्व से चुनाव लड़ते आ रहे हैं और उन्हें अब तक कोई भी वहां शिकस्त नहीं दे पाया है. चुनाव से ठीक पहले सरयू राय ने बीजेपी से जमशेदपुर पश्चिम से विधानसभा का टिकट मांगा था जो उन्हें नहीं मिला जिसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री के खिलाफ ही चुनावी मैदान में ताल ठोक दी.
बीजेपी से अलग होने के बाद सरयू राय ने दावा किया था कि वो महज 8 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ गए थे, जिसके बाद उन्हें साल 1974 में संघ ने भारतीय युवा मोर्चा में भेजा था.
बता दें कि सरयू राय वही शख्स हैं जिन्होंने चारा घोटाला का पर्दाफाश किया था. इसी मामले में लालू अभी रांची की जेल में सजा काट रहे हैं. सरयू राय ने ही मधु कोड़ा की सरकार में 4 हजार करोड़ के माइनिंग घोटाले का भंडाफोड़ किया था.