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नोटबंदी से गांवों के लोग परेशान, नहीं मिल रहे 2,000 रुपये के छुट्टे

नोटबंदी के चलते पूरा देश पैसों की समस्या से जूझ रहा है. कुछ यही हाल बुलढाणा जिले के गांवो का भी है. वहां के लोगों को 2,000 के नोट के खुल्ले कराने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.

2,000 का नोट बना गांव के लोगों की परेशानी 2,000 का नोट बना गांव के लोगों की परेशानी
पंकज खेळकर
  • महाराष्ट्र,
  • 23 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 11:38 PM IST

मोदी सरकार ने जब से नोटबंदी का निर्णय लिया है तब से बगैर भूकंप भारत हिलने लगा है. नोटबंदी के निर्णय के बाद से ही बैंकों और डाक घरों में लोगों की भीड़ उमड़ रही है.

यही हाल बुलढाणा जिले के गांवो का भी है. अचानक लिए इस निर्णय से मानो जनजीवन ठप्प पड़ गया है. जिसे देखो वो नोटबंदी से परेशान दिख रहा है. डाक घर, बैंक और एटीएम के बाहर लोगों की भीड़ दिखाई पड़ रही है. हर जगह नोट बदलवाने या नोट निकालने की ही भीड़  है.

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डाकघरों के बाहर लंबी कतारों में देहातों से आने वालों की संख्या ज्यादा है. क्योंकि उनके गांव में डाकघरों की शाखाएं तो हैं, पर नोट बदलने की सुविधा सरकार ने इन शाखाओं में नहीं रखी है. खामगांव डाकघर के पोस्टमास्टर ने भी माना की अगर सरकार इन शाखाओं में नोट बदलने की सुविधा दे तो गांव के लोगों को शहर आना नहीं पड़ेगा और भीड़ भी कम रहेगी.

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अगर  लोगों के पास पुराना 1,000 का नोट है तो पहले वो एक फॉर्म भरते हैं और डाकघर से 2,000 का नोट हासिल करते हैं. उसके बाद वो उस नोट के छुट्टे कराने की फिक्र में लग जाते हैं. मोदी सरकार का ये फैसला साधारण जनता के लिए किसी तकलीफ से कम नहीं दिखाई देता. महिलाएं अपने छोटे बच्चों के साथ अपने नम्बर आने का इतंजार करती दिखाई देती हैं.

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