
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के लिए भारत के प्रयास का विरोध तेज करते हुए चीन ने मंगलवार को कहा कि इससे न सिर्फ चीन के राष्ट्रीय हितों के लिए खतरा पैदा होगा, बल्कि यह पाकिस्तान की दुखती रग को भी छुएगा.
एनएसजी में भारत की सदस्यता के खिलाफ है चीन
नई दिल्ली में अधिकारी भारत के 48 देशों के समूह का सदस्य बनने के चीन के विरोध को तवज्जो नहीं देने का प्रयास कर रहे हैं. हालांकि हाल के दिनों में चीन अपने विरोध में सार्वजनिक रूप से मुखर रहा है. चीन ने रविवार को एक आधिकारिक बयान में कहा कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह गैर एनपीटी देशों के शामिल होने के मुद्दे पर विभाजित है और इस पर पूर्ण चर्चा की जानी चाहिए.
चीन ने कहा- वास्तविकता को समझे भारत
सरकार के रूख को स्पष्ट करने वाले चीन की आधिकारिक मीडिया ने एक और कदम बढ़ाते हुए कहा कि भारत अपनी को समझना चाहिए कि वह परमाणु आकांक्षाओं के आगे वास्तविकता को समझने की ताकत न खो दे. सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ में छपे एक लेख में कहा गया है कि पिछले हफ्ते भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कूटनीतिक यात्रा की.
समर्थन के लिए आधी दुनिया घूमे पीएम मोदी
इस मुद्दे पर पहले आलेख में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने 24 जून को सोल में होने वाली बैठक के पहले एनएसजी में अपने देश के प्रवेश के लिए समर्थन जुटाने की खातिर आधी दुनिया की यात्रा की. अमेरिका और एनएसजी के कुछ सदस्य देशों ने सदस्यता के लिए भारत के प्रयास को बढ़ावा दिया है, लेकिन ऐसा दिखता है कि चीन सहित अधिकतर देशों के कथित विरोध ने भारत को परेशान कर दिया है.
एक भी वोट कमजोर कर देगा भारत का दावा
एनएसजी परमाणु क्षेत्र से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को देखता है और उसके सदस्य परमाणु प्रौद्योगिकी का निर्यात और व्यापार कर सकते हैं. समूह सर्वसम्मति के सिद्धांत पर काम करता है और भारत के खिलाफ एक भी देश का मत प्रयास को नाकाम कर देगा. आलेख में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान दोनों इस क्षेत्र की परमाणु ताकतें हैं. वे एक-दूसरे की परमाणु क्षमताओं को लेकर सजग रहते हैं.
भारत- पाक में बढ़ेंगी परमाणु हथियारों की होड़
इसमें कहा गया है कि एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत का आवेदन और उसके संभावित नतीजे निश्चित तौर पर क्षेत्र में उसके पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान की दुखती रग को छुएंगे. पाकिस्तान भारत के साथ परमाणु ताकत में बड़ा फर्क देखने का इच्छुक नहीं है. ऐसे में इसका नतीजा परमाणु हथियारों की होड़ हो सकता है. इससे न सिर्फ क्षेत्रीय सुरक्षा प्रभावित होगी, बल्कि चीन के राष्ट्रीय हितों के लिए भी खतरा पैदा होगा.