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म्यांमार सेना की सख्त कार्रवाई के बावजूद रोहिंग्या आंतकी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. रोहिंग्या मुसलमानों के हक की आड़ में आतंकी संगठन अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ARSA) अपने नापाक मंसूबों को अंजाम दे रहा है.
ARSA आतंकवाद फैला रहा है और अपने ही देश की सेना के खिलाफ बंदूक उठा लिया है, जिसका सबसे बड़ा खामियाजा उन लाखों रोहिंग्या मुसलमानों को उठाना पड़ रहा है, जो बिना किसी गलती के अपने ही देश से बेघर होने को मजबूर हो गए हैं.
आजतक के पास रोहिंग्या आतंकवादियों का एक Exclusive वीडियो है, जिसमें रोहिंग्या आतंकी म्यांमार सेना पर बड़ा हमला करने की कसम खा रहे हैं. फिलहाल ये रोहिंग्या आतंकी म्यांमार के घने जंगलों और पहाड़ों में छिपकर म्यांमार सेना के खिलाफ आतंकवादी हमले की ट्रेनिंग ले रहे हैं.
इस एक्सक्लूसिव वीडियो में एक लाइन में आगे बढ़ते हुए हथियारबंद रोहिंग्या आतंकवादी दिख रहे हैं, जो अपने लीडर की लाइनों को दोहरा रहे हैं कि म्यांमार की सेना हमारे पीछे पड़ी हुई है. हम रोहिंग्या मुसलमानों की हत्या का बदला लेकर रहेंगे.
म्यांमार के जंगल में जुटे रोहिंग्या आतंकी
म्यांमार के रखाइन प्रांत के अज्ञात और जंगली इलाके में जुटे इन रोहिंग्या आतंकवादियों के हाथों में आधुनिक हथियार और जुबान पर म्यांमार सेना से बदला लेने की कसम है. इससे पहले 25 अगस्त को अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी ने म्यांमार सुरक्षा बलों की करीब 30 चौकियों पर हमला किया था और उनमें आग लगा दी थी. इसमें कई सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी, जिसके बाद से म्यांमार ने रोहिंग्या मुसलमानों का खात्मा करने का अभियान चलाया है. इसके चलते भारी संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा.
25 अगस्त से अब तक 400 रोहिंग्या आतंकी ढेर
कुछ दिनों पहले म्यांमार आर्मी ने खुद ये खुलासा किया था कि 25 अगस्त से अब तक करीब 400 अराकान रोहिंग्या आतंकवादियों को मारा जा चुका है. वहीं, म्यांमार के रखाइन प्रांत में 25 अगस्त के बाद से अब तक अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी के हमलों में 84 लोग मारे जा चुके हैं. म्यांमार आर्मी का दावा है कि रोहिंग्या आतंकवादियों ने अक्टूबर 2016 से अगस्त 2017 तक एक साल में 163 लोगों की हत्या की, जिनमें स्थानीय अधिकारी, सरकारी कर्मचारी और सुरक्षाबल भी शामिल हैं.
रोहिंग्या आतंकियों ने 45 हिंदुओं को भी उतारा था मौत के घाट
म्यांमार के रखाइन प्रांत में तीन सामूहिक कब्रों से कम से कम 45 हिंदुओं के शव मिलने के बाद म्यांमार सरकार ने इन हत्याओं के लिए रोहिंग्या आतंकवादियों को ही जिम्मेदार बताया था.
पाकिस्तानी अताउल्लाह है ARSA का चीफ
ARSA का पुराना नाम हरकतुल यकीन था, जिसका नाम पहली बार दुनिया ने अक्टूबर 2016 में सुना था, जब उसके आतंकियों ने म्यांमार में तीन पुलिस चौकियों पर हमला करके नौ पुलिसवालों की हत्या कर दी थी. International Crisis Group की रिपोर्ट के मुताबिक ARSA का चीफ अताउल्लाह पाकिस्तान के कराची में जन्मा रोहिंग्या युवक है, जो सउदी अरब का नागरिक है.
रोहिंग्या आतंकियों की संख्या का अतापता नहीं
ARSA में आतंकवादियों की सही सही संख्या का अंदाजा तो नहीं है, लेकिन कहा जाता है कि इस संगठन में कुछ हजार ट्रेन्ड आतंकवादी हैं, जिनमें से कई म्यांमार सेना के ऑपरेशन में मारे जा चुके हैं. रोहिंग्या संकट शुरु होने के बाद भारत सरकार ने दो टूक शब्दों में कहा था कि वो रोहिंग्या मुसलमानों को शरण नहीं देगी, क्योंकि रोहिंग्या मुसलमानों के आतंकवादियों से रिश्ते हैं और रोहिंग्या संकट के बाद ये रिश्ते और भी गहरे हो रहे हैं.
शक की निगाह से देखे जाते हैं रोहिंग्या आतंकी
हाल ही में आजतक ने बांग्लादेश के कॉक्स बाज़ार की ग्राउंड रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जो इन दिनों पांच लाख रोहिंग्या मुसलमानों की शरणस्थली बना हुआ है और जहां रोहिंग्या मुसलमानों पर म्यांमार सेना के अत्याचार की कहानियां बिखरी पड़ी हैं, लेकिन ये सिर्फ कहानी का एक पहलू था.
रोहिंग्या मुसलमानों पर म्यांमार सेना की ज्यादतियों का दूसरा पहलू भी है, जिसमें बतौर मुख्य किरदार रोहिंग्या अराकान साल्वेशन आर्मी यानी ARSA की प्रमुख भूमिका है. इसकी वजह से पूरी दुनिया में रोहिंग्या मुसलमानों को शक की निगाह से देखा जा रहा है. इन्हें आतंकवादी कहा जा रहा है. क्योंकि ARSA के रिश्ते दुनियाभर के आतंकवादी संगठनों से होने की पुष्टि हो चुकी है, जिनके दम पर अब ARSA के आतंकवादी म्यांमार सेना के खिलाफ बड़े आतंकी हमले की साजिश रच रही हैं.