देश का आम बजट पेश होने में अब 10 दिनों से भी कम का समय बचा है. आर्थिक सुस्ती के बीच 1 फरवरी को पेश होने वाला यह बजट सरकार के लिए काफी अहम है. दरअसल, ये आम बजट ऐसे समय में आ रहा है जब आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार लगातार झटके झेल रही है.
सिर्फ जनवरी की बात करें तो सरकार को अब तक 5 बड़े झटके लग चुके हैं. ऐसे
में अब यह देखना अहम है कि क्या आम बजट में आर्थिक सुस्ती को दूर करने के
लिए कुछ बड़े ऐलान किए जाते हैं या नहीं. बहरहाल, आइए जानते हैं जनवरी में
आर्थिक मोर्चे पर लगे झटकों के बारे में..
फंसती दिख रही भारतीय अर्थव्यवस्था!
इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च
ने कहा है कि अगले वित्त वर्ष यानी 2020-21 में भी देश की विकास रफ्तार
सुस्त रह सकती है. इंडिया रेटिंग्स के मुताबिक देश के सकल घरेलू उत्पाद
(GDP) में सिर्फ 5.5 फीसदी बढ़त होने का अनुमान है. एजेंसी का कहना है कि
पहले उसे लगता था कि अगले वित्त वर्ष में कुछ सुधार होगा, लेकिन भारतीय
अर्थव्यवस्था कम खपत और कम निवेश मांग के दौर में फंसती दिख रही है.
रेटिंग एजेंसी ने यह भी अनुमान लगाया है कि टैक्स और
गैर टैक्स राजस्व में गिरावट से वित्तीय घाटा वित्त वर्ष 2020 में 3.6%
(बजट में 3.3%) तक आ सकता है. सरकार का टैक्स राजस्व संग्रह साल दर साल
घटता जा रहा है, इससे सरकार के पास खर्च बढ़ाने की बहुत कम गुंजाइश रह जाती
है.
भारत की जीडीपी में बढ़त की चाल बदतर!
अंतरराष्ट्रीय
मुद्रा कोष (IMF) की मानें तो कमजोर मांग और निवेश जैसे कई मसलों की वजह
से भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त हो गई है. रिपोर्ट के अनुसार उभरती
अर्थव्यवस्थाओं (EMs) की तुलना में भारत की जीडीपी दर काफी ऊंची रहती है
और काफी गैप रहता है, लेकिन इस साल यानी वित्त वर्ष 2019-20 में यह अंतर
सात साल के निचले स्तर 1.1 फीसदी का ही रह सकता है. IMF की मानें तो यूरोप,
अमेरिका, जापान जैसे विकसित देशों की तुलना में भारत की जीडीपी में बढ़त
की चाल और बदतर लग रही है.
विश्व बैंक ने की कटौती
इस साल की शुरुआत में विश्व बैंक ने भी भारत के जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को घटा दिया था. वर्ल्ड बैंक ने कहा था कि इस वित्त वर्ष यानी 2019-2020 में भारत की जीडीपी में बढ़त दर सिर्फ 5 फीसदी रह सकती है. इसके पहले अक्टूबर, 2019 में विश्व बैंक ने कहा था कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत के जीडीपी में 6 फीसदी की ग्रोथ हो सकती है. ऐसे में यह वर्ल्ड बैंक के अनुमान में बड़ी कटौती है.
UN ने भी दिया है झटका
इसी
तरह, संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) ने भारत के जीडीपी ग्रोथ अनुमान को घटा
दिया है. UN ने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 5.7
प्रतिशत रह सकती है. पिछले साल यूएन ने वित्त वर्ष 2019-20 में 7.6 फीसदी
जीडीपी ग्रोथ का अनुमान लगाया था. वहीं संयुक्त राष्ट्र द्वारा अगले वित्त
वर्ष में भारत में आर्थिक वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया
है.
साढ़े पांच साल की ऊंचाई पर महंगाई
दिसंबर की खुदरा महंगाई (CPI) करीब साढ़े पांच साल के ऊंचे स्तर 7.35 फीसदी तक पहुंच गई है. दिसंबर 2019 में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 7.35 फीसदी हो गई है, जबकि नवंबर में खुदरा महंगाई दर 5.54 फीसदी थी.
इससे पहले ऊंचे स्तर की बात करें तो जुलाई 2014 में खुदरा महंगाई दर 7.39 फीसदी थी. यानी करीब साढ़े पांच साल के बाद फिर महंगाई इस स्तर तक पहुंची है. यहां बता दें कि जुलाई 2016 के बाद दिसंबर 2019 पहला महीना है जब महंगाई दर रिजर्व बैंक की सुविधाजनक सीमा (2-6 फीसदी) को पार कर गया है.
सरकार ने भी माना...
यहां बता दें कि सरकार की ओर से हाल में जीडीपी के जो पूर्वानुमान के आंकड़े पेश किए गए हैं. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) द्वारा जारी पूर्वानुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ सिर्फ 5 फीसदी रह सकती है. इन हालातों में अब देखना अहम होगा कि आम बजट में सरकार आर्थिक सुस्ती दूर करने और रेटिंग एजेंसियों का भरोसा जीतने के लिए क्या कदम उठाती है.