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1 फरवरी यानी गुरुवार को 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले यह सरकार अपना आखिरी पूर्ण बजट पेश कर रही है. इस बजट से हमेशा की तरह ही देश की आधी आबादी की कुछ जरूरी मांगे हैं. इनमें बेहतर सुरक्षा और रोजगार के मामले में ज्यादा मौके समेत कई मांगे शामिल हैं.
सुरक्षा
मोदी सरकार ने पिछले बजट में निर्भया फंड तैयार किया था. यह फंड महिलाओं की सुरक्षा के लिए बेहतर इंतजाम करने की खातिर बनाया गया था. हालांकि महिलाओं को लगता नहीं है कि फंड से इस मोर्चे पर कोई बड़ा बदलाव हुआ हो.
नागपुर की एक गृहणी ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि सुरक्षा के मामले में स्थिति ज्यादा बदली नहीं है. इसलिए मोदी सरकार को चाहिए कि बजट में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने की खातिर इंतजाम किए जाएं.
सैनिटरी नैपकीन पर जीएसटी
एक और गृहणी शगुफ्ता काजी का कहना है कि सरकार को सैनिटरी नैपकींस पर जीएसटी नहीं लगाना चाहिए. उनका कहना है कि सरकार को सैनिटरी नैपकीन पर जीएसटी खत्म कर देना चाहिए. ताकि हर महिला के लिए यह खरीदना किफायती और आसान हो सके.
टैक्स छूट
नागपुर की ही रीमा चड्ढा की उम्मीदें सरकार से टैक्स के मोर्चे पर है. उनका कहना है कि महिलाओं को मिलने वाली टैक्स छूट का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए. उनका कहना है कि अगर सरकार टैक्स लगाना चाहती है, तो वह लग्जरी उत्पादों पर लगाया जाए. इसमें रोजाना के इस्तेमाल की चीजों को शामिल न किया जाए.
रोजगार के मोर्चे पर मिलें मौका
महिलाओं को उम्मीद है कि उन्हें रोजगार के मोर्चे पर भी ज्यादा मौके मिलें. हर सेक्टर में महिलाओं के लिए रोजगार के नये मौके पैदा हों. ताकि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं घर से बाहर निकलने के लिए प्रोत्साहित हों और वह भी ज्यादा से ज्यादा आत्मनिर्भर बन सकें.
मैटरनिटी बेनेफिट
महिलाओं की एक मांग मातृत्व लाभ को बढ़ाने को लेकर भी है. महिलाओं को उम्मीद है कि मातृत्व लाभ के तौर पर मिलने वाली राशि मिलना ज्यादा आसान हो. इसके अलावा उनको उम्मीद है कि सरकार प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत पहले बच्चे के जन्म के दौरान मिलने वाली 6 हजार रुपये की राशि भी बढ़ाए.
हालांकि आशंका ये है कि इसमें शायद ही कोई बढ़ोतरी हो. क्योंकि महिला एंव बाल विकास कल्याण मंत्रालय ने बजट अपेक्षाओं में इसमें बढ़ोतरी की कोई मांग नहीं की है.