बैंकबाजार के सीईओ आदिल शेट्टी के मुताबिक आप किराये से होने वाली इनकम को हर महीने एफडी में निवेश कर सकते हैं. ऐसे में एफडी की परिपक्वता पूरी होने पर आपको हर महीने एक एश्योर्ड रिटर्न के साथ एश्योर्ड इनकम भी हासिल होगी.
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एफडी में जहां आपको मैच्योरिटी पूरी होने के बाद हर महीने एक इनकम मिलेगी. यदि आप इसी किराये की इनकम को आरडी में इन्वेस्ट करते हैं तो मैच्योरिटी के बाद एकमुश्त रकम हासिल होगी. मान लीजिए आप आरडी खाते में हर महीने 12,000 रुपये जमा करते हैं तो दो साल की आरडी खत्म होने पर आपको 3,06,613 रुपये मिलेंगे.
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यदि आप किराये की इनकम को 5 साल की अवधि तक निवेश करना चाहते हैं तो आप हर महीने उससे राष्ट्रीय बचत पत्र (NSC) खरीद सकते हैं. यह हर महीने एफडी खरीदने से बेहतर विकल्प है. वैसे भी एक व्यक्ति के NSC खरीदने की सीमा तय नहीं है.
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अगर आप अपनी किराये की इनकम को हर महीने एफडी में निवेश कर रहे हैं तो आपको 6% का ब्याज मिलेगा. आरडी में भी निवेश करने पर आपको 6% का ही ब्याज मिलेगा. इन दोनों के ब्याज की समीक्षा हर तिमाही में की जाती है. इस तरह इन दोनों विकल्पों में दो साल की अवधि तक निवेश करने पर आपको 6.13% का प्रभावी ब्याज हासिल हो सकता है. ज्यादा ब्याज हासिल करने के लिहाज से NSC बेहतर विकल्प है. इस पर 6.8% का ब्याज हासिल होता है जो एफडी से ज्यादा है.
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एफडी और आरडी से हासिल होने वाला रिटर्न टैक्सेबल इनकम का हिस्सा होता है. यह टैक्स की गणना आपके टैक्स स्लैब के मुताबिक होती है. जब आप टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं तो इन सोर्स से मिली इनकम को 'income from other sources' कॉलम में दिखाना होता है. हालांकि NSC पर मिलने वाला रिटर्न भी टैक्स के दायरे में आता है.
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वैसे अगर आपको वेल्थ क्रिएशन करना है तो आप अपने किराये की इनकम को किसी SIP या ELSS में निवेश कर सकते हैं. इन विकल्पों में निवेश पर जोखिम अधिक होता है लेकिन आम तौर पर ये बेहतर रिटर्न लगभग लगभग 12% सालाना रिटर्न तक देते हैं. लेकिन ये रिटर्न एश्योर्ड नहीं है.
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