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घर से निकाला, जूस बेचा, जानें देश के पहले ट्रांसजेंडर पायलट की कहानी

मानसी मिश्रा
  • 15 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 10:17 AM IST
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आज भी समाज में ट्रांसजेंडर के लिए लोगों में सोच नहीं बदल पाई है. कानूनी मान्यता के बावजूद LGBTQ कम्युनिटी अपने वजूद को पहचान दिलाने के लिए लड़ रही है. एडम हैरी (Adam Hary) की कहानी कुछ ऐसी ही है. अपनी पहचान के कारण घर से निकाले गए एडम को अपना मुकाम पाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा. लेकिन, उन्होंने हालातों के सामने समझौता करने के बजाय अपना मुकाम पाने की ठानी. जमीन की कशमकश से आकाश में उड़ने की उनकी चाहत ने उन्हें पायलट बना दिया. आज वो भारत के पहले ट्रांसजेंडर पायलट हैं. आइए जानते हैं उनके सफर के बारे में.

Image Credit: Facebook

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एडम मूल रूप से केरल के रहने वाले हैं. बचपन से उन्हें प्लेन उड़ाने का शौक था. पायलट बनने के लिए उन्होंने प्राइवेट पायलट लाइसेंस की ट्रेनिंग ली. उन्‍हें ये लाइसेंस साल 2017 में जोहानिसबर्ग में ट्रेनिंग के बाद मिला. अब उनका अगला लक्ष्य कमर्शियल पायलट बनना था. वो कहते हैं कि जब तक अपनी ये ख्‍वाहिश घर में बता पाते, तब तक घरवालों को ये पता चल चुका था कि वो ट्रांसजेंडर पहचान के साथ उनके बीच रह रहे हैं. पूर्ण रूप से मेरी पहचान प्राकृतिक होने के बावजूद घर वालों को ये बात बिल्कुल हजम नहीं हुई.

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एडम ने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि जब मैं जोहानिसबर्ग से ट्रेनिंग लेकर लौटा तो मेरे परिवार को मेरे ट्रांसजेंडर होने के बारे में पता चला. इसके बाद एक साल तक मेरे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया गया. परिवार के लोग मुझे मनोचिकित्सक के पास भी ले गए. उन्हें लगा कि मनोचिकित्सक ने मेरा गलत इलाज कर दिया है. इसके बाद मुझे घर से निकाल दिया गया.


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हैरी घर से खाली हाथ निकले थे, इसलिए कई रातें उन्होंने सड़कों पर गुजारीं. उन्होंने कहा कि सड़कों पर रहने के दौरान उनके पास खाने तक के लिए पैसे नहीं थे. मैं कई रातों को भूखा ही सोया. अपना पेट पालने के लिए जूस की दुकान पर नौकरी करने लगा, लेकिन यहां भी मेरे ट्रांसजेंडर होने की वजह से मुझसे भेदभाव होता था. इसके बाद मैंने सोशल जस्‍टिस डिपार्टमेंट से संपर्क किया, जहां मुझे पढ़ाई के लिए अच्‍छी एविएशन एकेडमी को ज्‍वाइन करने की सलाह दी गई.

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केरल सरकार ने की मदद

हैरी ने कहा कि फिलहाल केरल सरकार उनकी हेल्प कर रही है.  राज्‍य सामाजिक न्‍याय विभाग ने उन्हें 23.34 लाख रुपये की मदद की है. इसके बाद मैंने तिरुवनंतपुरम में राजीव गांधी एकेडमी फॉर एविएशन टेक्‍नोलॉजी से (Rajiv Gandhi Academy for Aviation Technology) से  कमर्शियल पायलट के लिए तीन साल के कोर्स में दाखिला ले लिया है.

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हैरी बताते हैं कि इस स्‍कॉलरशिप के लिए मैं केरल सरकार का बहुत आभारी हूं, लेकिन मेरी जिंदगी का संघर्ष अभी भी खत्‍म नहीं हुआ था.

फोटो: ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट शीतल के साथ
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एविएशन अकादमी के फॉर्म में जेंडर भरने को लेकर समस्‍या थी लेकिन फिर बीजू प्रभाकर ने अकादमी को एक लेटर लिखा और आखिरकार राजीव गांधी अकादमी में विमानन प्रौद्योगिकी के लिए प्रशिक्षण शुरू करने जा रहा हूं.


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