साइक्लोन अम्फान ने दक्षिण और मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर हिस्से में भयावह रूप ले लिया है. भारतीय मौसम विभाग ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा के लिए एलर्ट जारी किया है. अम्फान तूफान से तबाही कम से कम हो, इसके लिए पूरी तैयारियां की गई हैं. इससे पहले फानी, तितली, लैला और हेलन जैसे तूफान भी अपनी डरावनी आमद दर्ज करा चुके हैं. क्या आप जानते हैं कि कैसे रखे जाते हैं इन तूफानों के नाम, क्या है नाम रखने के पीछे का सच.
कहर और विनाश पैदा करने वाले चक्रवात और तूफानों को अक्सर 'फानी', 'टिटली', 'लैला', 'हेलेन' आदि अजीबोगरीब नाम दिए जाते हैं. ये नाम लोगों को अचंभित करते रहे हैं लेकिन इसे चुनने का अपना अलग तरीका है.
इसी कड़ी में ‘अम्फान’ (जिसका उच्चारण उम-पुन भी है) 18 मई की मध्यरात्रि आया. अम्फान 2004 में संकलित चक्रवात के नामों की सूची में अंतिम नाम है, इसका नाम थाईलैंड द्वारा प्रस्तावित किया गया था.
क्या है नामकरण परंपरा
ये है चक्रवात, तूफान और टाइफून में अंतर
आज भी बड़ी संख्या में लोग मानते हैं कि चक्रवात, तूफान और टाइफून सभी एक जैसे हैं. लेकिन, उष्णकटिबंधीय तूफान को दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग रूप में माना जाता है.
इसे कुछ इस तरह परिभाषित किया जाता है. जैसे अटलांटिक में ये तूफान, प्रशांत में टाइफून और हिंद महासागर में
इसे चक्रवात कहा जाता है. कोई भी तूफान, जिसकी हवा की गति 74 मील प्रति घंटे तक
पहुंचती है, उसे चक्रवात के रूप में वर्गीकृत किया जाता है.
जानें- इन तूफानों के नामों की सच्चाई
काफी चर्चा में रहे तूफान हेलेन का नाम बांग्लादेश ने सुझाया था. वहीं नानुक का म्यांमार ने, हुदहुद का ओमान ने, निलोफर और वरदा का पाकिस्तान ने, मेकुनु का मालदीव ने और हाल में बंगाल की खाड़ी से चले तूफान 'तितली' का नाम पाकिस्तान द्वारा दिया गया था.