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किसान के बेटे को ज्योतिषी ने कहा- नहीं बन पाओगे IAS, फिर भी UPSC क्लियर

aajtak.in
  • 20 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 5:12 PM IST
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जरा सोचकर देखिए अगर कोई ज्योतिषी आपको कह दे कि आपका कुछ नहीं हो सकता, जीवन में सफल नहीं हो पाएंगेतो आप क्या करेंगे? ऐसा ही कुछ नवजीवन पवार के साथ हुआ. ज्योतिषी के दावे को झुठलाते हुए उन्होंने पहले ही प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली. ये थी स्ट्रेटजी.

फोटो- यूट्यूब

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नवजीवन पवार ने एक वीडियो इंटरव्यू में बताया कि वो  महाराष्ट्र  के नासिक जिले से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता किसान और मां प्राइमरी स्कूल की अध्यापिका हैं. कॉलेज जैसे ही पूरा हुआ. उसके 1 महीने बाद ही वह दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी करने के लिए आ गए थे. उन्होंने कहा कि मैं गांव से इतना दूर पढ़ाई करने के लिए आया था ऐसे में पूरा फोकस पढ़ाई पर ही रहता था.

फोटो- यूट्यूब

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दिल्ली में रहते हुए मेरा एक दोस्त यूपीएससी की परीक्षा में पास न हो सका, ऐसे में मेरा आत्मविश्वास गिरने लगा. लेकिन बाद में मैंने खुद को संभाला और जोर- शोर से तैयारी शुरू कर दी. जब प्रीलिम्स का रिजल्ट आया तो मैं उसमें पास था.


प्रतीकात्मक फोटो

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प्रीलिम्स होने के बाद मेंस की तैयारी बाकी थी. मेंस की तैयारी के लिए 4 महीने का समय मिला था. मेरा पहला प्रयास था, इसलिए मन में डर था कि होगा या नहीं. मेंस की तैयारी के लिए मैंने कोई कमी नहीं छोड़ी थी, लेकिन मैं नहीं जानता था कि कुछ परेशानियां मेरा इंतजार कर रही है.

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मेंस की परीक्षा का आयोजन 28 सितंबर को होना था. जिसके बाद 31 अगस्त को जब मैं सोने के लिए गया था और 1 सितंबर को उठ नहीं पाया. दोस्तों ने सोचा कि मामूली बुखार है. लेकिन जब 2-3 दिन तक उठ नहीं पाया तब दोस्तों को लगा कि कुछ तो गंभीर बीमारी है, वह मुझे दिल्ली के हॉस्पिटल में लेकर गए. ब्लड टेस्ट होने के बाद मुझे मालूम चला कि मैं डेंगू से पीड़ित हूं.

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जिसके बाद मैं घबरा गया कि अब कैसे तैयारी करुंगा. उधर ये बात पिताजी को पता चल गई और उन्होंने मुझे नासिक बुला लिया. जब मैं नासिक पहुंचा तो वहां के हॉस्पिटल में मुझे एडमिट करा दिया गया. वहीं, दूसरी ओर मेरे मन में यही चल रहा था कि मैं परीक्षा कैसे दूंगा. मुझे लग रहा था कि मेरे डेढ़ साल खराब हो गए.

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मैंने पिताजी से बात कि अब क्या करूं. सब बर्बाद हो गया है. वहीं पिताजी ने कहा कि आपके पास दो रास्ते हैं या तो लड़ों, या फिर मरो. जिसके बाद मैंने लड़ने का फैसला किया.

नवजीवन ने बताया मैं ICU में था उस समय भी मेरे बेड के पास यूपीएससी की किताबें रखी थी और मैं पढ़ाई कर रहा था. उन्होंने बताया डॉक्टर ने कहा भी था कि आपकी जिंदगी ज्यादा जरूरी है न कि परीक्षा.



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डेंगू होने के बाद मेरा शरीर मेरा साथ नहीं दे रहा था, लेकिन मैंने हार नहीं मानी. मैंने अपनी बहन से मदद मांगी.  मैंने अपनी बहन को बाजू मैं बैठाया और यूट्यूब चलाया. जिसके बाद एक हेडफोन मेरे कान में और एक हेडफोन मेरी बहन के कान में होता था. जिसके बाद मैं उसे बताता कि कैसे नोट लिखना है. यहीं नहीं मेरा दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी कर रहा दोस्त मुझे हर रोज में मुझे कॉल करता था और इकोनॉमिक्स पढ़ाता था. वहीं मेरी एक दोस्त ने मुझे अपने बनाए हुए नोट्स तैयारी के लिए दे दिए थे.


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नवजीवन ने बताया कि मेरे लिए IAS बनना आसान नहीं था. कभी मुझे डेंगू हो जाता था, कभी कुत्ता काट लेता था. कभी फोन चोरी हो जाता था. मेरे मन में ख्याल आता था कि मैं अपनी जिम्मेदारी तो सही से उठा नहीं पा रहा था,  IAS का पद कैसे संभालूंगा.

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मेरे साथ काफी कुछ हो रहा था, ऐसे में मेरे कुछ दोस्तों ने कहा कि चला तुम्हारा भविष्य देखने जाते हैं. तब ज्योतिषी ने मुझसे कहा कि 27 साल की उम्र से पहले तुम आईएएस नहीं बन पाओगे आप दिल्ली में केवल टाइम पास करने आए हो. इसके बाद मेरा आत्मविश्वास ठहर गया था. लेकिन मैंने ठान लिया था कि मैं ये परीक्षा पास करके ही रहूंगा.

जिसके मैंने तय किया कि एक मैं ही हूं जो अपनी किस्मत खुद लिख सकता हूं. ज्योतिषी की इस भविष्यवाणी के कुछ वक्त बाद मेरा मेंस परीक्षा का रिजल्ट आया जिसमें मैंने सफलता हासिल की. वहीं इंटरव्यू भी पास किया. बता दें, महाराष्ट्र के नवजीवन पवार ने पहले प्रयास में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में 316वीं रैंक हासिल की थी.


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