32 साल की उम्र में लड़की की शादी न हो
तो समाज में रह रहे कई लोग बातें बनानी शुरू कर देते हैं. लेकिन वो ये नहीं जानते कुछ लड़कियों
का मकसद सिर्फ शादी करना और बच्चे पैदा
करना नहीं होता. ये सब करने से पहले वह अपना करियर बनाना चाहती हैं.
आज हम आपको बताने जा रहे हैं
बिहार की रहने वाली श्वेता शारदा के बारे में
जिन्होंने
30वीं बिहार न्यायिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा में
33वीं रैंक हासिल की है. जानें- उनके संघर्ष के बारे में.
बिहार के छोटे से गांव से ताल्लुक रखने
वाली
श्वेता शारदा ने 7 साल की कड़ी मेहनत के बाद
आखिरकार 30वीं बिहार न्यायिक सेवा
प्रतियोगिता परीक्षा पास कर ली. उनके लिए ये
परीक्षा पास करना आसान नहीं था.
aajtak. in से खास बातचीत करते हुए
उन्होंने बताया कि "मेरे लिए ये सफर आसान
नहीं था, जैसे जैसे मेरी उम्र बढ़ रही थी घरवाले
शादी का प्रेशर बना रहे थे, लेकिन मैंने जिद
पकड़ ली थी कि शादी जज बनने के बाद ही
करूंगी.
कब देखा सपना
जब उनसे पूछा गया कि आपने कब जज बनने
का सपना देखा तो उन्होंने बताया कि जब वह
12वीं कक्षा में थीं, तब से ही सोच लिया था. हालांकि
मैं उस समय नहीं जानती थी ये सब कैसे होगा.
लेकिन धीरे-धीरे इन सबकी जानकारी होने लगी.
आपको बता दें, श्वेता शारदा का बिहार
न्यायिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा का ये दूसरा
प्रयास था. इससे पहले उन्होंने ये परीक्षा 2017
में दी, जिसमें वह इंटरव्यू में 2 नंबर से रह गई
थी. श्वेता ने बताया मैंने जुडिशरी परीक्षा की देने की शुरुआत साल 2013 में हरियाणा
जुडिशरी परीक्षा से की थी. जिसके बाद मैंने
राजस्थान जुडिशरी परीक्षा का मेंस दिया था.
वो साल 2017 का जो मेरे लिए सबसे
मुश्किल वक्त था. इस साल बिहार न्यायिक सेवा
प्रतियोगिता परीक्षा के इंटरव्यू में 2 नंबर से रह
गई. जिसके बाद मुझे काफी दुख हुआ. मेरे
घरवालों ने मुझे वापस घर आने के लिए बोल
दिया. मेरे जीवन का ये वो वक्त था जब मुझे
महसूस हुआ कि अब सब खत्म हो गया है.
मैं 6 महीने के लिए डिप्रेशन में चली गई थी.
लेकिन बाद में मेरे दोस्तों ने मुझे मोटिवेट किया
और कहा जब तुम इंटरव्यू तक जा सकती हो तो
इसे पास भी कर सकती हो.
फिर मैंने
2018 में परीक्षा का फॉर्म भरा और तैयारी शुरू
कर दी. दूसरी ओर घरवाले मुझसे उम्मीद छोड़
चुके थे. आपको बता दें, श्वेता ने दिल्ली में कुछ
दोस्तों के साथ रहकर परीक्षा की तैयारी की है.
उन्होंने मुखर्जी नगर से कोचिंग क्लास ली है. इसी के साथ अपनी
पढ़ाई के लिए अशोक जैन की किताब का सहारा
लिया था.
बिहार के करजाईन बाजार सुपौल की रहने
वाली श्वेता भले ही एक छोटे से गांव से ताल्लुक
रखती हैं लेकिन उनके सपने काफी बड़े हैं.
उन्होंने बताया कि वह दिन में 15 घंटे पढ़ाई
करती थी. दिन सुबह 6 बजे शुरू होता और
पढ़ाई करते- करते खत्म हो जाता. उन्होंने बताया कि
किताबों के साथ उठतीं और किताबों के साथ
ही सो जाती थीं.
श्वेता ने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से LLM
की डिग्री ली है और साल 2018 में उन्होंने
यूजीसी नेट की परीक्षा पास की है. अभी एक
यूनिवर्सिटी में वह बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर वर्किंग
हैं.
घरवालों की तरफ से शादी करने का प्रेशर
श्वेता ने बताया रिजल्ट आने के बाद आज
घरवाले काफी खुश हैं. मैंने फोन पर बात की. वह
खुशी से रो रहे थे. लेकिन वो वक्त भी था जब
घरवालों ने मुझसे कहा था कि वापस घर आ
जाओ, तुमसे नहीं हो पा रहा है.
श्वेता ने बताया कि परीक्षा की तैयारी के
दौरान परिवार से मानो कट चुकी थी. परीक्षा के
लिए मैं अपने सगे छोटे भाई की शादी में शामिल
नहीं हो पाई थी. क्योंकि अगले दिन मेरी मेंस की
परीक्षा थी. वहीं मैं तैयारी के दौरान हर तरह की पार्टी से दूर
रहती थी.
श्वेता से जब पूछा गया जो लड़कियां कुछ
करने का सपना देखती हैं, लेकिन 25-26 साल के
होने पर उन पर शादी करने का दवाब बना दिया
जाता है. ऐसी लड़कियों और उनके माता-पिता से
क्या कहना चाहती हैं. उन्होंने जवाब देते हुए
कहा- "शादी कर लो, टाइम से
बच्चा कर लो वाली बात बोलकर लड़की को मत
परेशान करो. क्योंकि शादी तो एक दिन होनी ही है.
आप लड़की को सपोर्ट करो. वहीं माता-पिता
ऐसा कदम न उठाएं कि जल्दबाजी में लड़की की
शादी करवा दी और उसका करियर खत्म हो
जाए."
श्वेता से जब पूछा गया कि यदि आपको
बलात्कारियों के खिलाफ कोई फैसला सुनाने का
मौका मिले तो आपका फैसला क्या होगा. उन्होंने
कहा कि अगर तमाम सबूतों और गवाह को
देखते हुए सिद्ध होता है कि कोई व्यक्ति
बलात्कारी है तो मैं उसे फांसी की सजा सुनाऊंगी. वहीं उन्होंने बताया फिलहाल मेरी नियुक्ति
सिविल जज के तौर पर होगी. ऐसे में फांसी की
सजा सुनाने का अधिकार मेरे पास नहीं है.
(सभी तस्वीरें- आजतक.इन)