मूल रूप से उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के रहने वाले डॉ नितिन शाक्य ने चिकित्सकीय पेशे से लोकसेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा पास की. उनकी सफलता की कहानी हर उस स्टूडेंट के लिए है जो दूसरों की निंदा पर अपना दिल छोटा कर लेते हैं. डॉ नितिन के पेरेंट्स को कभी उनके स्कूल ने 12वीं का एडमिट कार्ड देने से मना कर दिया था, लेकिन उन्होंने खुद को ऐसे तैयार किया कि उन्हें कदम दर कदम सफलता मिलती गई. पढ़ें- डॉ नितिन शाक्य की स्ट्रेटजी.
डॉ नितिन ने अपने एक वीडियो इंटरव्यू में बताया कि उनकी मां ने स्कूलवालों से 12वीं का एडमिट कार्ड रीक्वेस्ट करके मांगा था. उन्होंने प्रिंसिपल- क्लासटीचर से विनती की. उसी दिन उन्होंने अपनी मां से वादा किया कि वो 12वीं में सबसे अच्छे नंबर लाकर दिखाएंगे.
स्कूलवाले उनका एडमिट कार्ड इसलिए नहीं दे रहे थे, क्योंकि उनका मानना था कि नितिन की तैयारी पूरी नहीं है. अगर वो इस साल परीक्षा देंगे तो 12वीं भी नहीं निकाल पाएंगे. लेकिन जब मां एडमिट कार्ड लाईं तो उस दिन की वो रात फैसले की रात बन गई. नितिन ने पूरी रात सोचा.
नितिन ने उसी रात सोचा कि वो एक स्ट्रेटजी बनाकर तैयारी करेंगे. डॉ नितिन कहते हैं कि स्ट्रेटजी और टाइमटेबल बना लेना तो आसान है, लेकिन उसका पालन बहुत मुश्किल है, फिर भी मैंने कोशिश की कि कैसे भी इसी स्ट्रेटजी से तैयारी करूंगा.
कहते हैं कि आप एक लक्ष्य ठानकर मेहनत करते हैं तो वो कभी व्यर्थ नहीं जाती. ऐसा ही नितिन के साथ हुआ. 12वीं में उनके स्कूल में सबसे ज्यादा नंबर आए थे. यही नहीं 12वीं की परीक्षा देते वक्त मन में कॉन्फीडेंस आया था, इसलिए मन में था कि वो किसी तरह इसी के साथ साथ डॉक्टरी की परीक्षा भी निकालेंगे.
उन्होंने इसीलिए अपनी 12वीं की पढ़ाई के दौरान ही एनसीईआरटी की किताबों से डॉक्टरी की तैयारी भी कर ली थी. इसलिए 12वीं करते ही उन्होंने पीएमटी क्लीयर कर लिया. इसके बाद उन्हें दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया. जहां से कॉलेज लाइफ का सफर शुरू हो गया.
यहां आकर उनके सामने अलग चुनौतियां थीं, जब उनके साथ मेडिकल की पढ़ाई में कॉन्वेंट के पढ़े छात्र अंग्रेजी बोलते तो उन्हें भी इसे सीखना जरूरी लगा. इसी दौरान उनके मन में कुछ और बड़ा करने का आया और उन्होंने यूपीएससी की तैयारी के बारे में सोचा.
फिर उन्होंने पढ़ाई के साथ यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. नितिन ने बताया कि यूपीएससी सिविल सर्विसेज परीक्षा में एक तरह से रिवर्स
प्रॉसेस शुरु हो गया.
नितिन पहली बार तैयारी करके इंटरव्यू तक पहुंच गए. लेकिन पहले अटेंप्ट
में वह 10 नंबरों से फाइनल लिस्ट में जगह नहीं बना पाए. फिर भी उन्होंने हौसला नहीं छोड़ा और तैयारी जारी रखी.
उनका संघर्ष यहीं पूरा नहीं हुआ. अगली बार दूसरे अटेंप्ट में वो मेंस में फेल हो गए, फिर तीसरी बार प्रीलिम्स भी नहीं निकाल पाए. लेकिन चौथी बार में उन्होंने यूपीएससी 2018 क्लीयर किया, जिसके बाद उन्हें एसडीएम की पोस्ट मिली है.
(सभी फोटो facebook से ली गई हैं)