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'सुल्तान' और 'कबीर खान' को भूल जाओ, फिल्में तो इन असल कहानियों पर बननी चाहिए

aajtak.in
  • 31 मई 2016,
  • अपडेटेड 12:53 PM IST
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मशहूर है 'मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है. पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है. ऐसे ही हौसले की कहानी है इस दिव्‍यांग शख्‍सियतों की. जिंदगी में हुए हादसों ने इनको हिला कर रख दिया था लेकिन आगे बढ़ने के इरादों का वे बाल भी बांका नहीं कर सके.

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इस अभ‍िनेत्री का है नकली पैर
1981 में ट्रेन हादसे में अपना पैर गंवाने के बाद भारतनाट्यम डांसर सुधा चंद्रन और उनके डॉक्‍टरों को भी भरोसा नहीं था कि वो दोबारा कभी मंच पर प्रस्‍तुति दे पाएंगी. विपरीत हालातों के बावजूद उन्‍होंने नकली पैरों से डांस की प्रैक्टिस की और दुनियाभर में भारतनाट्यम की प्रस्‍तुति दी. इन दिनों वह 'नागिन' सीरियल में यामिनी के रोल में छाई हुई हैं.

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एवरेस्ट फतह करने वाली पहली दिव्यांग महिला
भारत की अरुणिमा सिन्हा सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर विजय प्राप्त करने वाली दुनिया की पहली विकलांग महिला हैं. 2011 में पर्स छीनने की कोशिश कर रहे बदमाशों ने विरोध करने पर अरुणिमा को चलती ट्रेन से नीचे फेंक दिया था. इस वजह से उन्होंने अपने पैर खो दिए. इस घटना के 2 साल बाद उन्‍होंने एवरेस्‍ट फतेह को किया था.

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आंखें नहीं, मगर है क्रिकेट का 'चैंपियन'
दीपक गांव के दूसरे बच्चों की तरह ही थे. क्रिकेट खेलना उनका शौक ही नहीं जुनून भी था लेकिन दिवाली के दिन हुए एक हादसे ने उनसे उनकी आंखों की रोशनी छीन ली. उस समय वो महज आठ साल के थे. कई जगहों से रिजेक्ट होने और काफी निराशा के बीच वह दिल्ली के ब्लाइंड स्कूल में पहुंचे और वहां क्रिकेट खेलने लगे. धीरे-धीरे स्कूल लेवल क्रिकेट से स्टेट लेवल क्रिकेट तक में खुद को साबित करने लगे. यही नहीं, ऑल-राउंडर दीपक को जहीर खान जैसे खिलाड़ियों के साथ खेलने का भी मौका मिला. जहीर खान उन्हें चैंपियन कहकर बुलाते थे

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चेयर पर बैठा है यह टेनिस ख‍िलाड़ी
बोनिफेस प्रभु की जिंदगी में चार साल की उम्र में गलत ऑपरेशन हो जाने की वजह से गर्दन के नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया. इस घटना से उनके इरादों में कभी कोई कमी नहीं आई. उनके कठिन परिश्रम का ही नतीजा है कि प्रभु आज व्हील चेयर टेनिस में दुनिया के प्रसिद्ध खिलाड़ियों में से एक हैं. 1998 वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्होंने टेनिस में मेडल जीता था जिसके बाद भारतीय सरकार ने उन्हें 2014 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया.

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एक पैर वाला बैडमिंटन प्लेयर
गिरीश एक अनुभवी बैडमिंटन प्लेयर हैं और इनका एक पैर नहीं है. यह सोचकर आप भी दुविधा में पड़ जाएंगे कि फिर इनका इस खेल से जुड़ना कैसे संभव है. लेकिन मजबूत इरादों में बड़ी ताकत होती है. बचपन में एक ट्रेन दुर्घटना में गिरीश का पैर कट गया था लेकिन फिर भी बैडमिंटन के प्रति उनका जुनून कम नहीं हुआ.

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गजब का फर्तीला ब्लेड रनर
भारत के पहले ब्लेड रनर मेजर सिंह 1999 में कारगिल की लड़ाई में एलओसी पर डोगरा रेजिमेंट की तरफ से लड़े थे और उस दौरान उन्होंने अपना एक पैर गंवा दिया था. लेकिन इस हादसे ने उन्हें जीवन में कुछ कर दिखाने के लिए प्रेरित किया और वह लंबी दूरी की दौड़ में उतरे. अंबाला से संबंध रखने वाले मेजर देवेंद्र पाल सिंह का कहना है कि वह चाहते थे कि जो जिंदगी वह पहले जीते थे, इस हादसे का उस पर कोई असर न हो.

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पोलियो का श‍िकार है ओलंपिक मेडल जीतने वाला
मेन्स हेवीवेट, ओलंपिक में मेडल जीत चुके राजेंद्र जब आठ महीने के थे तभी उन्‍हें पोलिया हो गया था. आठ साल की उम्र तक उनकी मां उन्‍हें गोद में लेकर डॉक्‍टरों के पास ले जाया करती थी. पोलियो ठीक हो जाता है इस विश्‍वास में उन्‍होंने जिंदगी के 21 साल बिता दिए. लेकिन एक दिन उन्‍होंने अपनी शारीरिक अक्षमता को स्‍वीकार कर लिया और नई शुरुआत की. आज पूरे देश को उन पर गर्व है.

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पैरों पर खड़े नहीं हो पाता है यह CEO
ढाई साल की उम्र में रामाकृष्णन को दोनों पैरों में पोलियो हो गया था. इसकी वजह से उन्हें स्कूल में दाखिले से लेकर सामान्य जॉब तक के लिए संघर्ष करना पड़ा. आखिरकार उन्हें पत्रकारिता में नौकरी मिली जिसमें उन्होंने 40 साल काम किया. आज, रामाकृष्णन एस एस म्यूजिक टीवी चैनल के सीईओ हैं और खुद भी एक संगीतकार हैं.

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शरीर साथ नहीं देता, पर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड
साई शारीरिक रूप से अक्षम देश के पहले स्‍काईडाइवर हैं. उन्‍होंने 14 हजार फीट की ऊंचाई पर स्‍काईडाइविंग की है और उन‍का ये कारनामा लिम्‍का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है.

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व्हीलचेयर पर बैठ कर रहे कैंसर का इलाज
प्रख्यात कैंसर स्पेशलिस्ट, डॉक्टर सुरेश आडवाणी को 8 साल की उम्र में पोलियो हो गया था और तब से वह व्हीलचेयर पर हैं. अपने सपनों को पूरा करने के लिए उन्‍होंने हर कोशिश की. उनकी कोशिशों का नतीजा है कि आज कैंसर के क्षेत्र में उनका योगदान अतुलनीय है. 2002 में भारतीय सरकार ने उन्हें पद्म श्री और 2012 में पद्म भूषण से सम्मानित किया.

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