गलवान घाटी पर चीन और भारत के सैनिकों के बीच भिड़ंत में करीब 20 सैनिक शहीद हो गए थे. समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक चीन के भी 43 सैनिक हताहत हुए हैं. भारत-चीन सीमा पर सैनिक हथियार नहीं उठाते हैं. सैनिकों की ये आपसी भिड़ंत बिना हथियार के हुई थी. बता दें कि चीन में बच्चों को स्कूल से ही वॉर्म अप और खेलों के जरिए फाइटर बनाने की ट्रेनिंग दी जाती है. इसीलिए यहां के बच्चे ओलंपिक खेलों और मार्शल आर्ट्स आदि में काफी आगे रहते हैं. आइए जानते हैं कि चीन की स्कूलिंग कैसी होती है. क्या होती है खासियत.
स्कूल में यहां बच्चों की पढ़ाई की शुरुआत 6 साल की उम्र से होती है और बच्चे ग्रेड 1 में 6 साल की उम्र में स्कूल जाना शुरू करते हैं. यह प्राइमरी एजुकेशन का हिस्सा होता है, जो कि 1 से 6 ग्रेड तक होती है. वहीं भारत में ढाई साल और तीन साल से उनकी एजुकेशन शुरू हो जाती है.
प्राइमरी एजुकेशन लेने के बाद बच्चों को जूनियर सेकेंडरी में भाग लेना होता है, जिसमें ग्रेड 7 से ग्रेड 9 तक पढ़ाई कराई जाती है. 15 साल तक बच्चे इसे पूरा करते हैं. इसे चीन में chu zhong के नाम से जाना जाता है.
फिर सेकेंडरी एजुकेशन की पढ़ाई करवाई जाती है, जिसमें कक्षा 10 तक की पढ़ाई करवाई जाती है, जिसे gao zhong (高中) कहते हैं. फिर पोस्ट सेकेंडरी की पढ़ाई करवाई जाती है. यहां स्कूली पढ़ाई 14वीं ग्रेड तक होती है. वहीं भारत में स्कूल पढ़ाई कक्षा 12वीं तक होती है. चीन में 14वीं ग्रेड तक पढ़ाई होने के बाद बैचलर या मास्टर डिग्री पढ़ाई करवाई जाती है.
चीन में बैचलर डिग्री को xueshi xuemei और मास्टर डिग्री को shuoshi xuewei कहा जाता है. यहां की स्कूलों की ड्रेस भी अलग होती है, जिसमें चौड़ी पैंट और जैकेट आदि शामिल होते हैं. वहीं अगर हम भारत के स्कूलों की ड्रेस के बारे में बात करें तो यहां स्कूलों में लड़कियां स्कर्ट या सूट सलवार पहनती है. वहीं लड़के नॉर्मल पैंट शर्ट में नजर आते हैं.
अगर चीन के स्कूलों में क्लासेज की बात करें तो इनकी तीन कक्षाएं एकदम अनोखी होती हैं. इसमें से दो पीरियड वॉर्म अप यानी एक्सरसाइज वगैरह के होते हैं. सुबह के बाद बच्चों को दोपहर में भी वॉर्म अप करवाया जाता है. यहां स्कूलों में बच्चों को खाना खाने के लिए एक घंटे का टाइम दिया जाता है वहीं कुछ स्कूलों में बच्चों को बीच में सोने के लिए भी एक पीरियड लगता है. बच्चे थोड़ी देर स्कूल टाइम में भी नींद ले सकते हैं. हालांकि स्कूल में सोने की सुविधा भारत में नहीं है.
भारत की तुलना में यहां बच्चों का स्कूल ज्यादा देर तक चलता है. चीन में सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक पढ़ाई करते हैं. वहीं कई बड़े स्कूलों में तो इसके अलावा अन्य एक्टिविटी भी करवाई जाती है.
चीन में स्कूल पब्लिक और प्राइवेट आधार पर होते हैं. यहां प्राइवेट स्कूल में पढ़ने के लिए भारत की तरह ही मोटी फीस का भुगतान करना होता है. हालांकि इन स्कूलों की पढ़ाई का स्तर बहुत अलग होता है.
वोकेशनल स्टडीज पर फोकस
जहां भारत में एकेडमिक एजुकेशन पर
ध्यान दिया जाता है
वहीं चीन में वोकेशनल स्टडीज पर फोकस किया जाता है.
यहां छात्र एजुकेशन के दौरान ही एक स्किल मैन पॉवर में
कन्वर्ट हो जाते हैं.
वोकेशनल स्टडीज में छात्रों को मशीन और टेक्नोलॉजी में कैसे काम करना है सिखाया जाता है. जिसका रिजल्ट ये होता है कि कॉलेज के दौरान ही चीन के छात्र बिजनेस माइंड से सोचने लगते हैं. उनका दिमाग मशीन और टेक्नोलॉजी के उपयोग करने लायक बन जाता है.