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सताता था हिंदी का भूत, 2 बार फेल, बॉलीवुड फिल्में देख बने IAS

aajtak.in
  • 28 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 9:06 AM IST
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जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में पैदा हुए अभ‍िषेक शर्मा की आईएएस बनने की कहानी हर किसी को प्रेरणा देने वाली है. गांव में गोपालन करने वाले इस लड़के ने तीसरे अटेम्प्ट में सफलता पाई. इस सफलता के पीछे उनकी तैयारी के साथ साथ बॉलीवुड की फिल्मों ने भी खास भ‍ूमिका निभाई. आइए जानें- क्या थी अभ‍िषेक की स्ट्रेटजी.

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अभ‍िषेक ने बताया कि वो गांव में मिट्टी के फर्श वाले स्कूल में टाट पर बैठते थे, इससे पहले गोबर की लिपाई करनी होती थी. लेकिन बचपन में सपना देखा था कि एक दिन आईएएस बनना है, तब हमारे जिले से किसी ने आईएएस नहीं किया था. 

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उन्होंने एक वीडियो इंटरव्यू में बताया कि उसी सपने को लेकर तैयारी शुरू की. पढ़ाई पूरी करके जब वो पहली बार दिल्ली आए तो पता चला कि कैसे लोग यहां कंपटीशन में है. यहां का माहौल बिल्कुल अलग था.

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वो बताते हैं कि तब महसूस किया कि एग्जाम का औरा और उसको सच में फाइट करना कितना कठिन है. एक क्लास में करीब 450 बच्चे बैठते थे, तब मैं सोचने लगा कि क्या वाकई मैं इतने कड़े कंपटीशन को फाइट कर सकता हूं. 

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अभ‍िषेक का सपना उनका अकेला नहीं था वो पूरे परिवार का सपना था. वो कहते हैं कि डर था कहीं सपने से पीछे हट न जाऊं. फिर उस साल की मेन्स की परीक्षा का पेपर उठाकर देखा तो लगा कि अगर इसी क्लास की तैयारी में डिपेंड रहा तो कभी नहीं निकाल पाऊंगा. इसलिए मैं सारे मै‍टेरियल लेकर गांव चला गया.

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वापस जाना भी आसान नहीं था. सबको लगा कि कहीं सपना खत्म तो नहीं कर दिया. मैंने समझाया कि इसीलिए वापस आया हूं ताकि सेल्फ स्टडी का पूरा मौका मिले. लेकिन गांव में जब 40 दिन बिजली नहीं आई. तो मन में बार बार यही सवाल पूछता कि वापस आने का डिसीजन क्या सही था. भीतर आत्मविश्वास था कि क्या पता ये भी टेस्ट हो लाइफ का.

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पहले अटेम्प्ट में अभ‍िषेक के पूरे गांव को पता चल गया था कि वो एग्जाम दे रहे हैं. वो कहते हैं कि मेंस में मैं स्ट्रेस में आ गया था. फिर उसके बाद सबसे ज्यादा इंटरव्यू से डर लगता था. उसमें ज्यादातर सवाल बैक ग्राउंड को लेकर पूछे जाते हैं. मैंने पढ़ाई हिंदी मीडियम में की थी. इंटरव्यू इंग्ल‍िश में आ गया था. लग रहा था कि इंटरनेशनल स्कूल में पढ़े बच्चों के सामने कंपीट कैसे कर पाऊंगा.

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वो बताते हैं कि दो बार मैं इसी डर के कारण फेल हो गया. लेकिन तीसरी बार मैंने तैयारी के साथ खुद को मोटिवेट किया और डर को फेस किया. इसके लिए यूट्यूब पर मैंने बॉलीवुड कलाकार मनोज वाजपेयी का इंटरव्यू सुना कि वो किस तरह अपना एनएसडी में एडमिशन का सपना  पूरा नहीं कर पा रहे थे. फिर किस तरह उन्हें सफलता मिली. इसके अलावा उन्होंने इस दौरान सलमान खान की फिल्म सुल्तान से प्रेरणा ली. इसके अलावा मूवी निल बटे सन्नाटा का एक सीन वो अपने कंप्यूटर में सेव करके रखते थे. ये स्टोरी का अंतिम सीन है जिसमें स्वरा अपने बेटे से कहती हैं कि अगर तुम्हारे सामने कोई सपना है तो जाहिर है कठिना‍इयां आएंगी, इसे मैंने अपना ध्येय बनाया.

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इसके अलावा स्वरा ने संदेश दिया था कि कुछ लोग आपका साथ देंगे उन्हें गले से लगाकर रखो, कुछ लोग जो आपकी निंदा करेंगे उन्हें भाड़ में जाने देंगे. इसलिए तीसरी बार मेंस रिलैक्स मूड में दिया और मेरा हो गया. फिर तीसरी बार सोचा कि अंग्रेजी सीखूं. फिर लगा कि कहीं मैं फेक न लगूं. फिर मैंने अपने आप अंग्रेजी के अखबारों से अंग्रेजी सीखी और तीसरी बार में मेरी ऑल इंडिया 69 रैंक हासिल की.

फोटो: अभिषेक शर्मा

Image Credit: सभी फोटो facebook से हैं.

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