अक्सर शादी के बाद लड़कियों की जिंदगी पूरी तरह बदल जाती है. जिम्मेदारियों के चलते कई लड़कियां नौकरी तक छोड़ देती हैं. लेकिन, अगर ससुराल के लोग और पति का सहयोग मिले तो लड़कियां शादी के बाद भी सफलता का परचम फहरा सकती हैं. हरियाणा के रेवाड़ी जिले की पुष्पलता यादव की सक्सेस स्टोरी भी कुछ इसी तरह की है. आइए, जानें- कैसे दो साल के बच्चे की मां ने आईएएस की तैयारी करके यूपीएससी में 80वीं रैंक हासिल की.
फोटो: अपने बेटे के साथ पुष्पलता
पुष्पलता का जन्म हरियाणा के रेवाड़ी जिले के एक छोटे से गांव खुसबुरा में हुआ. उन्होंने शुरुआती पढ़ाई गांव के स्कूल से की. इसके बाद स्नातक की पढ़ाई के लिए अपने चाचा के घर पर रहती थीं.
फोटो: अपने परिवार के साथ पुष्पलता
2006 में बीएससी की बाद उन्होंने परास्नातक की पढ़ाई भी पूरी की. इसके बाद MBA किया और अपने खर्च के लिए प्राइवेट सेक्टर में काम करने लगीं. दो साल तक वो प्राइवेट सेक्टर में काम करते हुए सरकारी नौकरी की तैयारी करती रहीं.
फोटो: पुष्पलता (दाहिनी ओर)
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दो साल बाद उनकी नौकरी स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद में असिस्टेंट मैनेजर के तौर पर लग गई. यहां काम करते हुए उनके मन में आया कि इस सीमित जगह पर मेरी मंजिल पूरी नहीं होती, मुझे इससे अभी और आगे जाना है.
फोटो: पुष्पलता
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इसके बाद साल 2011 में उनकी शादी हो गई और शादी के बाद वो मानेसर आकर रहने लगीं. शादी के करीब चार साल उन्होंने UPSC की तैयारी का मन बनाया. फिर 2015 में स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद से इस्तीफा देकर तैयारी में जुट गईं.
फोटो: पुष्पलता (बायीं ओर)
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तैयारी का निर्णय ले तो लिया, लेकिन तब उनके सामने दो साल के बेटे की जिम्मेदारी भी थी. एक इंटरव्यू में पुष्पलता ने बताया कि मैंने पांच साल से किताब को हाथ नहीं लगाया था. समय कठिन था लेकिन मेरे पति ने मुझे प्रोत्साहित किया.
फोटो: पुष्पलता (बीच में) अपने साथियों के साथ.
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पति ही नहीं इस दौरान उनके ससुरालवालों ने भी उनकी पूरी मदद की. परिवार के लोग उस दौरान बेटे को संभालते थे और पुष्पलता सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देती थीं.
फोटो: पुष्पलता (दाहिने से दूसरे नंबर पर) अपने साथियों के साथ.
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एक लंबे स्टडी गैप के बाद दोबारा पढ़ाई करना काफी मुश्किल था. एक वीडियो इंटरव्यू में पुष्पलता ने बताया कि उस दौरान मैं एक हाउसवाइफ थी, मेरे ऊपर काफी जिम्मेदारियां भी थीं. मैं मानेसर से दिल्ली आकर नहीं पढ़ सकती थी, क्योंकि उस समय संसाधन भी इतने नहीं थे. अब चुनौती थी कि दस से 12 घंटे पढ़ाई के साथ बच्चे की जिद को संभालना भी मुश्किल होता था.
फोटो: सिविल सेवा ट्रेनिंग के दौरान अपने साथियों के साथ
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ये थी स्ट्रेटजी
सुबह चार बजे उठती थी, इसके बाद 6 से 7 बजे पढ़ाई करती थी. उसके बाद उसे स्कूल भेजकर पढ़ती थी. दोपहर में उसके आने के बाद मैं उसे सुलाकर फिर पढ़ती थी. शाम को उसकी दादी और पापा देखते थे, मैं डिस्टर्ब नहीं होती थी. फिर रात में दो घंटे खाना बनाकर फिर दो घंटे पढ़ती थी. मैं छह घंटे ही सोती थी.
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पुष्पलता ने घर के काम को रिफ्रेशमेंट के तौर पर लिया. इसके अलावा बेटे के साथ टाइम बिताने को मैं एनर्जी बूस्टर के तौर पर लेती थी. मैं ओम शांति ओम फिल्म का एक डायलॉग याद करती थी कि अगर आप जिसे पाना चाहो, पूरी कायनात उसे शिद्दत से मिलाने में लग जाती है. दो साल उनका मेन्स में नहीं हुआ, लेकिन तैयारी नहीं छोड़ी और तीसरे साल में उन्हें साल 2017 में यूपीएससी में 80वीं रैंक मिली.
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