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कैसे तिरंगा बना भारत का राष्ट्रीय ध्वज, हुए थे बदलाव, ये है कहानी

aajtak.in
  • 15 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 10:20 AM IST
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आज देश आजादी का जश्न मना रहा है, वहीं आजादी का जश्न बिना तिरंगे के अधूरा है. जब देश की बात आती है तब सब कुछ भूलकर पूरा देश राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के तीन रंगों में रंग जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं क्या है भारत के तिरंगे की कहानी, कैसे बना था हमारा राष्ट्रीय ध्वज. आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.


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22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान तिरंगा अपनाया गया था, जो 15 अगस्‍त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्‍वतंत्रता के कुछ ही दिन पहले की गई थी. इसे 15 अगस्‍त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाया गया था.  बता दें, तिरंगे का डिजाइन आंध्र प्रदेश के पिंगली वैंकैया ने बनाया था.


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कैसे हुई राष्ट्रीय ध्वज की रचना

1916 में पिंगली वेंकैया ने एक ऐसे झंडे के बारे में सोचा था,  जो सभी भारतवासियों को एक धागे में पिरोकर रखे. उनकी इस पहल को एस.बी. बोमान  और उमर सोमानी का साथ मिला और इन तीनों ने मिल कर "नेशनल फ्लैग मिशन" की स्थापना की गई थी.

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वहीं वेंकैया महात्मा गांधी से काफी प्रेरित थे. ऐसे में उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज के लिए उन्हीं से सलाह लेना बेहतर समझा. गांधी जी ने उन्हें इस ध्वज के बीच में अशोक चक्र रखने की सलाह दी जो संपूर्ण भारत को एक सूत्र में बांधने का संकेत बनेगा.

आपको बता दें, पिंगली वेंकैया लाल और हरे रंग की पृष्ठभूमि पर अशोक चक्र बना कर लाए पर गांधी जी को यह ध्वज ऐसा नहीं लगा कि जो संपूर्ण भारत का प्रतिनिधित्व कर सकता है.  वहीं दूसरी ओ राष्ट्रीय ध्वज में रंग को लेकर तरह-तरह के वाद-विवाद चलते रहे थे.

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ऐसे हुई राष्ट्रीय ध्वज की रचना

1947 में अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया. देश की आजादी की घोषणा से कुछ दिन पहले फिर कांग्रेस के सामने ये प्रश्न आ खड़ा हुआ कि अब राष्ट्रीय ध्वज को क्या रूप दिया जाए.


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इसके लिए फिर से पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई और तीन सप्ताह बाद 14 अगस्त को इस कमेटी ने अखिल भारतीय कांग्रेस के ध्वज को ही राष्ट्रीय ध्वज के रूप में घोषित करने की सिफारिश की. 15 अगस्त 1947 को तिरंगा हमारी आजादी और हमारे देश की आजादी का प्रतीक बन गया.

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राष्ट्रीय ध्वज बनाने के बाद पिंगली वेंकैया का झंडा "झंडा वेंकैया" के नाम से लोगों के बीच लोकप्रिय हो गया. 4 जुलाई, 1963 को पिंगली वेंकैया का निधन हो गया था.

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कब फहराया गया था पहला झंडा

सबसे पहले लाल, पीले और हरे रंग की हॉरिजॉन्टल पट्टियों पर बने झंडे को 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क), कोलकाता में फहराया गया था.



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