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क्या है IPC और CrPC में अंतर, कब बना था ये कानून

aajtak.in
  • 11 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 2:51 PM IST
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प्रतियोगी परीक्षा में कुछ ऐसे सवाल पूछ लिए जाते हैं जिसके बारे में ज्यादातर लोगों को जानकारी नहीं होती, ऐसा ही एक सवाल है IPC और CrPC. इनमें तय किया जाता है कि किन प्रक्रियाओं के तहत अपराधी को गिरफ्तार किया जाए. जानते हैं पूरी जानकारी

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IPC यानी इंडियन पेनल कोड जिसे हिंदी में भारतीय दंड संहिता और उर्दू में ताज इरात-ए-हिन्द कहते हैं. IPC में कुल मिलाकर 511 धाराएं ( Sections) और 23 chapters हैं यानी 23 अध्याओं में बंटा है. 1834 में पहला विधि आयोग (first law of commission) बनाया गया था. इसके चेयरपर्सन लॉर्ड मैकॉले थे.

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आपको जानकर हैरानी होगी कि विश्व का सबसे बड़ा दांडिक संग्रह (IPC) से बड़ा देश में और कोई भी दांडिक कानून नहीं है.

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क्या है CrPC

CrPC की  इंग्लिश में 'कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर' और हिंदी में 'दण्ड प्रक्रिया संहिता' कहते है.  इसका कानून  1973 में पारित हुआ और 1 अप्रैल 1974 से लागू हुआ था.



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जब भी कोई अपराध होता है उसमें दो तरह की प्रक्रिया होती है. पहली पुलिस किसी अपराधी की जांच करने के लिए अपनाती है. एक प्रक्रिया पीड़ित के संबंध में और दूसरी आरोपी के संबंध में होती है.


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क्या है IPC और CrPC में क्या अंतर

इस कानू को कानून को दो हिस्से में बांटा गया है:

1. मौलिक विधि (Substantive law)

2. प्रक्रिया विधि (Procedural Law)



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आपको बता दें, मौलिक विधि और प्रक्रिया विधि को फिर से  दो भागों में बांटा जाता है. सिविल कानून (Civil law) और दाण्डिक कानून (Criminal Law).  जिसमें . सिविल कानून (Civil law) को IPC और  दाण्डिक कानून (Criminal Law) को  CrPC कहते हैं.

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IPC और CrPC कानून


IPC- ये अपराध की परिभाषा करती है और दण्ड का प्रावधान की जानकारी देती है

CrPC- आपराधिक मामले के लिए किए गए प्रक्रियाओं के बारे में जानाकारी देती है. इसका उद्देश्य आपराधिक प्रक्रिया से संबंधित कानून को मजबूत करना है.



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क्या है उद्देश्य

IPC- इसका मुख्य उद्देश्य पूरे भारत में एक तरह का पीनल कोड लागू किया जा सके ताकि अलग-अलग क्षेत्रीय कानूनों की जगह एक ही कोड हो सके. इसी के साथ ये IPS और CrPC कानून खराब व्यवहार की इजाजत नहीं देता. गलत व्यवहार करने पर अपराधी को इसके नुकसान पड़ता है.




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