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जज के इंटरव्यू में पूछा- गवर्नर की कार से मौत, जिम्मेदार कौन?

aajtak.in
  • 02 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 9:30 AM IST
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जज बनना लोहे के चने चबाने जैसा है. इसके लिए उतनी ही तैयारी करनी पड़ती है जिसके IAS, IPS बनने के लिए की जाती है. यूपीएससी की परीक्षा की तरह जज बनने के लिए प्री, मेंस और इंटरव्यू को क्लियर करना होता है. ऐसे में उन उम्मीदवारों ने कुछ सवालों के बारे में बताया जिन्होंने न्यायिक सेवा सिविल जज (जूनियर डिविजन) परीक्षा ( PCS J ) पास की और इंटरव्यू दिया. आइए जानते हैं कैसे होता है जज का इंटरव्यू और किस तरह के पूछे जाते हैं सवाल.

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जज इंटरव्यू में एक सवाल पूछा गया कि चार लोग एक आदमी की हत्या करने के लिए निकले, उनमें से एक ने गोली मारकर उस आदमी की हत्या कर दी तो हत्या का केस किस पर चलेगा?

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इसका जवाब है- "हत्या का केस उन चार व्यक्तियों पर चलेगा. क्योंकि यहां पर IPC 302 के साथ ही IPC 34 यानी कॉमन इंटेंशन भी लागू होगी. चारों व्यक्तियों की एक कॉमन इंटेंशन थी उस व्यक्ति की हत्या करना. ऐसे में उन चारों व्यक्तियों में चाहे कोई भी हत्या करे. लेकिन हत्या का केस चारों पर ही चलेगा. "

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एक सवाल किया गया यदि कोई व्यक्ति किसी की हत्या कर दे और बंदूक के साथ पुलिस स्टेशन आकर सरेंडर करें, तो उसे क्या सजा मिलेगी?

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इसका जवाब है कि सरेंडर करने की वजह से उस व्यक्ति को सजा नहीं होगी. बल्कि पुलिस इन्वेस्टिगेशन करेगी और तमाम सबूत पाए जाने पर ही उसे सजा दी जाएगी. क्योंकि ऐसा हो सकता है कि वो व्यक्ति किसी के दवाब में या लालच में आकर झूठी गवाही दे रहा हो.

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वहीं यदि इन्वेस्टिगेशन में पाया जाता है हत्या उसी ने की है तो उसपर हत्या का चार्ज लगेगा. वहीं यदि ये पाया जाता है कि उसने मर्डर नहीं किया है तब उसके ऊपर पुलिस को गुमराह करने का चार्ज जरूर लगेगा.

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सवाल पूछा गया कि यदि पत्नी नौकरी करती है तो क्या अपने पति से मेंटेनेंस ले सकती है या नहीं. इसका जवाब है. पति अगर कोर्ट में ये साबित कर दे कि पत्नी नौकरी करती है और उसकी एक अच्छी सैलरी है तो पति को मेंटेनेंस नहीं देना होगा.

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सवाल पूछा गया कि बार और बेंच क्या होता है. आपको बता दें, बार एडवोकेट को कहते हैं वहीं बेंच जज को कहते हैं. एडवोकेट का जो ग्रुप होता है उसे बार कहा जाता है. आपने "Bar Council of India" के बारे में तो सुना होगा. इसी तरह से हर एक राज्य का अपना बार होता है जो जिसे स्टेट बार काउंसिल कहा जाता है.

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बार काउंसिल एडवोकेट पर नजर रखता है. अगर कोई एडवोकेट कोई गलत काम करता है तो उसकी शिकायत बार काउंसिल में की जाती है. ये उस एडवोकेट पर कड़ी कार्रवाई करते हैं. कुछ गलत करने पर ये एडवोकेट के लाइसेंस तक रद्द कर सकता है. वहीं एक साथ सुनवाई करने वाले जजों को बेंच कहा जाता है.

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एक उम्मीदवार से पूछा गया यदि गर्वनर की गाड़ी से किसी की मौत हो जाती है तो केस किस पर चलेगा? इसका जवाब है - संविधान के आर्टिकल 361 में राज्यप्रमुख, गवर्नर और राष्ट्रपति को कुछ खास पॉवर दी गई है. उन्हीं पॉवर में से एक पॉवर ये है कि उनके ऊपर कोई क्रिमिनल केस नहीं चलेगा.


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एक सवाल पूछा गया कि यदि कोई लड़का किसी लड़की को प्रपोज करता है और लड़की केस फाइल करवाने जाती है तो केस किस धारा के तहत फाइल होगा. जवाब है, यदि कोई लड़का किसी लड़की को प्रपोज करता है तो ये IPS की किसी भी सेक्शन के अंडर कोई अपराध नहीं है. इसलिए कोई भी केस फाइल नहीं होगा.

(सभी तस्वीरें प्रतीकात्मक हैं, इनका इस्तेमाल प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है)

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