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नई श‍िक्षा नीति: TET में क्या होगा बदलाव, अब टीचर बनना कितना आसान?

aajtak.in
  • 04 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 7:55 AM IST
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नई श‍िक्षा नीति में गुणवत्ता पूर्ण श‍िक्षा के लिए टीचर्स ट्रेनिंग पर विशेष जोर दिया गया है. इसमें 2030 तक बीएड कोर्स को पूरी तरह बदलने की बात भी कही गई है. अब नई श‍ि‍क्षण प्रणाली को लागू करने के लिए टीचर्स को भी उसी तरह तैयार किया जाएगा. इसके लिए बीएड ही नहीं TET यानी टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट का पैटर्न भी बदलेगा. जानें- क्या होंगे बदलाव.

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बता दें कि अभी तक टीईटी एग्जाम दो हिस्सों में बंटे थे, जिसमें पार्ट 1 और पार्ट 2 में परीक्षा ली जाती थी. अब स्कूली शिक्षा व्यवस्था का ढांचा बदलने के साथ ही टीईटी का स्ट्रक्चर चार हिस्सों में बंटा होगा. इनमें फाउंडेशन, प्रीपेरेटरी, मिडल और सेकेंडरी के अनुसार टीईटी का पैटर्न सेट किया जाएगा.

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अब टीईटी के जरिये विषय शिक्षकों की भर्ती के समय टीईटी या संबंधित सब्जेक्ट में एनटीए टेस्ट स्कोर भी चेक किया जा सकता है. सभी विषयों की परीक्षाएं और एक कॉमन एप्टीट्यूट टेस्ट का आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) करेगा. ये अपने आप में महत्वपूर्ण बदलाव होगा.

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इंडियन एक्सप्रेस की एक‍ रिपोर्ट के मुताबिक जो उम्मीदवार टीईटी पास करेंगे, उन्हें एक डेमोस्ट्रेशन या इंटरव्यू देकर स्थानीय भाषा को लेकर भी योग्यता दर्शानी होगी. इसके पीछे की मुख्य वजह है नई शिक्षा नीति में किया गया वो बदलाव जिसमें क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाना अनिवार्य होगा. इसीलिए ये देखा जाएगा कि शिक्षक क्षेत्रीय भाषा में बच्चों को आसानी और सहजता के साथ पढ़ाने के काबिल है या नहीं.

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बता दें कि नई श‍िक्षा नीति के अनुसार जल्द ही शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय स्तर का मानक तैयार होगा. शिक्षकों के लिए अगले दो साल के भीतर न्यूनतम डिग्री बीएड तय होगी, जो उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर एक से चार साल की होगी. ये एमए के बाद एक साल और इंटरमीडिएट के बाद चार साल की होगी.

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श‍िक्षा नीति में वर्ष 2022 तक नेशनल काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एनसीटीई) को टीचर्स के लिए एक समान मानक तैयार करने को कहा गया है. ये पैरामीटर नेशनल प्रोफेशनल स्टैंडर्ड फॉर टीचर्स कहलाएंगे. काउंसिल यह कार्य जनरल एजुकेशन काउंसिल के निर्देशन में पूरा करेगी.

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सरकार ने कहा कि साल 2030 तक सभी बहुआयामी कालेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के पठन पाठन के कोर्स को संस्थानों के अनुरूप अपग्रेड करना होगा. साल 2030 तक शिक्षकों के लिए न्यूनतम डिग्री बीएड होगी, इसकी अवधि चार साल हो जाएगी.

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बीएड के लिए कुछ इस तरह से व्यवस्था की जाएगी. बीएड की दो साल की डिग्री उन ग्रेजुएट छात्रों को मिले जिन्होंने किसी खास सब्जेक्ट में चार साल की पढ़ाई की हो. चार साल की ग्रेजुएट की पढ़ाई के साथ एमए की भी डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को बीएड की डिग्री एक साल में ही प्राप्त हो जाएगी, लेकिन इसके जरिये विषय विशेष के शिक्षक बन पाएंगे.

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