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क्यों MP की इस लड़की से इंस्पायर्ड हुईं प्रियंका चोपड़ा, कहा- मुझे गर्व है

aajtak.in
  • 12 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 1:00 PM IST
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बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा मध्यप्रदेश की एक 15 साल की लड़की से प्रेरित हुई हैं, जिसके बारे में उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर स्टोरी पोस्ट की है और उनके बारे में खास बातें लिखी हैं. आइए जानते हैं कौन है ये लड़की और उसने ऐसा क्या काम किया है, जिसकी वजह से प्रियंका चोपड़ा ने कहा- 'मुझे गर्व है'.

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दरअसल प्रियंका चोपड़ा ने जिस लड़की की फोटो इंस्टा स्टोरी पर डाली है, उसने हाल ही में मध्यप्रदेश बोर्ड की कक्षा 10वीं में  98.75% मार्क्स लाकर 8वां स्थान प्राप्त किया है. लड़की का नाम रोशनी भदौरिया  है, जो मध्यप्रदेश के भिंड जिले के अंजूल गांव की रहने वाली है.  

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बता दें,  रोशनी 15 साल की हैं. इस छोटी सी उम्र में रोशनी रोजाना 12 किलोमीटर दूर मेहगांव में बने अपने स्कूल जाती थीं और फिर 12 किलोमीटर साइकिल चलाकर वापस अपने गांव आती थीं.

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प्रियंका ने अपनी स्टोरी में  लिखा, "अद्भुत, अंजूल गांव की रहने वाली रोशनी  स्कूल में पढ़ने के लिए एक गांव से दूसरे गांव साइकिल से रोजाना 24 किलोमीटर का सफर तय करती है."

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"इस दौरान उन्हें खराब रास्ते और खराब मौसम का भी सामना करना पड़ता है. उन्होंने कक्षा 10वीं काफी अच्छे नंबरों से पास की है. वह भविष्य में सिविल सर्विसेज में अपना करियर बनाना चाहती हैं. मैं पढ़ाई को लेकर उनकी डेडिकेशन को देखकर काफी इंस्पायर्ड हुई. मुझे तुम पर गर्व है"

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आपको बता दें, 4 साल पहले तक गांव के बाहर से होकर गुजरने वाले बरसाती नाले पर पुल ना होने पर स्थिति ये थी कि बारिश के दिनों में रोशनी वापस अपने घर नहीं आ पाती थी और उसे मेहगांव में अपने रिश्तेदारों के यहां रुकना पड़ता था.

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इस तरह सर्दी, गर्मी और बरसात में रोशनी ने करीब 24 किलोमीटर साइकिल रोज चलाई, लेकिन इन सब चुनौतियों के बावजूद रोशनी ने पढ़ना जारी रखा और उसकी मेहनत का फल दसवीं के परीक्षा परिणामों में देखने को भी मिला, जब रोशनी को 400 में से 395 मार्क्स हासिल हुए.

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रोशनी ने बताया कि वो बड़े होकर आईएएस की परीक्षा देकर कलेक्टर बनना चाहती हैं, इसलिए शुरू से ही उसका ध्यान पढ़ाई पर रहता है.

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रोशनी को मिला घरवालों का सपोर्ट  

रोशनी के पिता कॉलेज तक पढ़े हैं. फिलहाल किसानी कर रहे हैं. वहीं उसकी मां भी 12वीं तक पढ़ी हैं. ऐसे में 2 बेटों के बीच इकलौती बेटी रोशनी को कभी भी किसी ने पढ़ाई के लिए रोका-टोका नहीं. रोशनी के पिता की मानें तो वो भी चाहते हैं कि रोशनी अच्छा पढ़-लिखकर गांव और परिवार का नाम रोशन करे इसलिए कई बार खराब मौसम में उसे मेहगांव में रिश्तेदार के यहां छोड़ना पड़ता है ताकि वो समय से स्कूल पहुंच सके और उसकी पढ़ाई का नुकसान ना हो.



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