अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का ऐलान होते ही अब मंदिर के स्वरूप को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं. केंद्र ने मंदिर के लिए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट तो बनाया ही है, उसे करीब 67 एकड़ वो जमीन भी सौंपी है, जिसे बाबरी ध्वंस के बाद अधिगृहीत किया गया था. माना जा रहा है कि राम मंदिर के निर्माण की जिस स्तर पर तैयारियां हो रही हैं, उनके मुकम्मल होने के बाद अयोध्या देश ही नहीं बल्कि दुनिया में हिंदुओं की नई धार्मिक-सांस्कृतिक राजधानी के रूप में उभरेगी. उसकी महत्ता कुछ-कुछ वैसी ही होगी जैसी मुस्लिमों के लिए पवित्र मक्का और ईसाई धर्मावलंबियों के लिए वेटिकन सिटी की है.
फोटो: राम मंदिर का प्रारूप
यानी अब ट्रस्ट के पास मंदिर निर्माण के लिए तकरीबन 70 एकड़ जमीन हो गई है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या पूरे 70 एकड़ में राम मंदिर बनेगा या ये भूमि मंदिर से जुड़े अन्य कार्यों के लिए भी इस्तेमाल होगी. जिज्ञासाएं पूरे अयोध्या को तीर्थ नगरी के रूप में विकसित करने को लेकर भी हैं.
फोटो: मक्का मस्जिद
कैसा है मक्का और यहां की विशाल मस्जिद
मक्का सऊदी अरब का वो शहर है, जो दुनिया के सभी मुसलमानों की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है. साथ ही दुनिया की सबसे महंगी जमीन भी मक्का में ही है. करीब दो हजार वर्ग किलोमीटर में बसे मक्का क्षेत्र की आबादी करीब 83 लाख (2016 की जनगणना के अनुसार) है. इस शहर की जमीन के रेट दुनिया में सबसे ज्यादा हैं.
Mecca.net के मुताबिक, मस्जिद अल-हरम के आसपास जमीन की कीमत एक लाख डॉलर प्रति स्क्वायर मीटर है. यानी एक स्क्वायर मीटर जमीन की कीमत 70 लाख भारतीय रुपये के बराबर है. मक्का की जमीन के रेट की तुलना अगर दुनिया के दूसरे महंगे शहरों से की जाए तो दूसरे नंबर पर मोनाको का मोंटी कारलो है, जहां मक्का से आधे रेट पर जमीन मिलती है. अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर से भी मक्का में 6 गुना ज्यादा महंगी जमीन है.
मक्का में हुआ था पैगंबर मोहम्मद का जन्म
मक्का की जमीनी कीमत के साथ ही इसकी धार्मिक महत्ता भी पूरी दुनिया के मुसलमानों के लिए सबसे ज्यादा है. इसी शहर में इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद का जन्म हुआ था. दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिद भी मक्का में ही है, जिसका नाम मस्जिद-अल हरम है.
फोटो: मक्का मस्जिद
मक्का मस्जिद के फर्श का दायरा 1 लाख 60 हजार यार्ड है, जहां एक साथ 12 लाख लोग नमाज पढ़ सकते हैं. यह मस्जिद काबा के चारों तरफ बनी है. काबा से कुछ ही दूरी पर जमजम का कुआं है. जमजम एक पानी है और मुसलमानों के लिए इसकी मान्यता गंगा जल की तरह है.
मक्का में ही हज होता है. हज इस्लाम के पांच सबसे प्रमुख स्तंभों (इस्लाम के पांच फर्ज़) में से एक है. हर मुसलमान के लिए अपनी जिंदगी में कम से कम एक बार मक्का जाकर हज करना जरूरी है. लिहाजा, दुनियाभर के मुसलमान बड़ी तादाद में हर साल हज के लिए मक्का जाते हैं.
फोटो: अयोध्या
हज ईद-अल अजहा (बकरीद) के मौके पर ही किया जाता है. जो लोग इस मौके पर नहीं जा पाते वो साल के किसी अन्य महीने में मक्का जाते हैं और उनकी इस तीर्थयात्रा को 'उमराह' कहा जाता है.
फोटो: अयोध्या के मंदिरों का दृश्य
हज और उमराह मक्का में होने वाली दो प्रमुख तीर्थयात्रा हैं. इससे सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था को भी बड़ा लाभ मिलता है. साल-दर साल हज के लिए जाने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हो रहा है. साल 2019 में हज यात्रियों की संख्या 24 लाख 89 हजार 406 थी. सऊदी की इकोनॉमी में भी हज का बहुत बड़ा योगदान है.
फोटो: वेटिकन सिटी
2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हज और उमराह से सऊदी की जीडीपी को 12 अरब डॉलर से ज्यादा का मुनाफा हुआ, जो सऊदी की कुल जीडीपी का करीब 7 फीसदी था. तेल के बाद हज और उमराह से सऊदी को सबसे ज्यादा कमाई होती है और 2022 तक इसका लक्ष्य 150 अरब डॉलर रखा गया है.
फोटो: वेटिकन सिटी
कैसा है ईसाइयों का पवित्र स्थल वेटिकन सिटी
इटली के रोम में स्थित वेटिकन सिटी 44 हेक्टेयर के क्षेत्रफल में बसा हुआ है. करीब 1000 जनसंख्या वाला ये देश इसाई समुदाय के लिए किसी मक्का सेकमी नहीं है. इस देश को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है. इसके अपने सिक्के, अपना डाक विभाग और अपना रेडियो आदि हैं. यहां ईसाई समुदाय का प्रसिद्ध रोमन कैथोलिक चर्च है. धर्म गुरु पोप की वजह से यह देश पूरी दुनिया में मशहूर है. यहां के गिरजाघर, मकबरे, संग्रहालय इत्यादि आकर्षण का केंद्र हैं.
फोटो: वेटिकन सिटी
ऐसा है रोमन कैथोलिक चर्च
रोमन कैथोलिक चर्च दुनिया का सबसे बड़ा ईसाई चर्च है. 2017 के आंकड़ों के मुताबिक इसमें दुनिया भर के करीब 1.3 बिलियन बापटिस्ट मान्यता वाले कैथोलिक हैं. कहते हैं कि इस चर्च ने पश्चिमी सभ्यता के इतिहास और विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाई है. वेटिकन सिटी रोमन कैथोलिक चर्च सहित अन्य इमारतों के कारण दुनिया की धरोहरों में शुमार है.
फोटो: वेटिकन सिटी स्थित रोमन कैथोलिक चर्च