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स्कूल-कॉलेज खुलने से बढ़ेगी हर्ड इम्युनिटी? AIIMS के डॉक्टरों से जानें

aajtak.in
  • 22 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 5:55 PM IST
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कोरोना वायरस महामारी ने आज पूरी दुनिया को हिला दिया है. स्कूल कॉलेज लंबे समय से बंद है. पेरेंट्स मांग कर रहे हैं कि वैक्सीन बनने के बाद ही स्कूल खोले जाएं. ठीक ऐसे समय एम्स के डॉक्टरों ने कहा है कि स्कूल-कॉलेज खुल जाने चाहिए. इससे बच्चों में हर्ड इम्युनिटी बढ़ेगी. आइए जानते हैं डॉक्टरों के इसके पीछे क्या तर्क हैं.

(Photo- left to right  Dr Chandrakant S Pandav, Dr. Swadeep Srivastava, Dr. Sanjay K. Rai, Dr. Amitav Banerjee)

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वायरस से खुद को बचाने में कुछ मानदंडों को महत्वपूर्ण माना गया है - फिजिकल डिस्टेंसिंग, घर पर रहना, समय-समय पर सफाई करना, बाहर निकलते समय N95 मास्क का उपयोग करना आदि.  वहीं दुनिया भर के देश कोरोना की वैक्सीन या कोई और समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं. इसको लेकर टेस्ट और रिसर्च किए जा रहे हैं.

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स्टूडेंट्स को कोरोना वायरस से बचने के लिए चिकित्सक भी हर्ड इम्युनिटी अपनाने की सलाह दे रहे हैं. ताकि इसे फैलने से रोका जा सके. मेडिकल साइंस की सबसे पुरानी पद्धति के हिसाब से इसे कारगर माना गया है. हर्ड इम्युनिटी यानी सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता. इसका मतलब ये है कि भविष्य में लोगों को बचाने के लिए फिलहाल आबादी के एक तय हिस्से को वायरस से संक्रमित होने दिया जाए. इससे उनके जिस्म के अंदर संक्रमण के खिलाफ सामूहिक इम्युनिटी यानी प्रतिरोधक क्षमता पैदा होगी. इससे शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज़ बनेंगी. इससे फिर दोबारा कभी ये वायरस ना तो उन्हें संक्रमित करेगा और ना ही दूसरों को. कोरोना की वैक्सीन बनाने का वैज्ञानिकों को भी यही सबसे तेज़ तरीका समझ आ रहा है.

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सामुदायिक चिकित्सा केंद्र, एम्स के प्रोफेसर डॉ संजय के राय बताते हैं कि हर्ड इम्युनिटी पाने के दो बुनियादी तरीके हैं - एक टीका विकसित करके और संक्रमण के संपर्क में आने से इसे हासिल कर सकते हैं. टीका अब कितना प्रभावी होगा, यह जानने का कोई संभावित तरीका नहीं है, तो संक्रमण के माध्यम से इसे हासिल करना एकमात्र अन्य विकल्प है.

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सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के पूर्व हेड डॉ चंद्रकांत एस पांडव ने बताया कि कोरोना से लड़ने का अंतिम समाधान लॉकडाउन नहीं हो सकता है. यह संक्रमण में देरी कर सकता है लेकिन हमेशा के लिए हमारी रक्षा नहीं कर सकता है.

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डॉक्टरों का कहना है कि आज भी कई बीमारियां हैं, जिनके लिए टीके नहीं बन सके. अब अगर कोविड -19 के साथ ऐसा होता है, तो रोग प्रतिरोधक क्षमता महामारी को समाप्त करने का एकमात्र उपाय हर्ड इम्यूनिटी ही है.

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हील फाउंडेशन के संस्थापक डॉ स्वदीप श्रीवास्तव ने कहा कि विशेषज्ञों ने बड़े पैमाने पर प्रतिरक्षा के बारे में एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है. सीमित एक्ट‍िविटी और सूर्य के प्रकाश से कम संपर्क में आने से किसी व्यक्ति की इम्यूनिटी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. 

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डॉ श्रीवास्तव ने कहा कि स्कूल से लेकर कॉर्पोरेट ऑफिस तक अब वर्क फ्रॉम होम कल्चर में चले गए हैं. ऐसे में लोगों की इम्यूनिटी और कम हुई है. अगर ऐसे में बच्चों और युवाओं का एक्सपोजर बढ़े तो वो खुद ही अपनी हर्ड इम्युनिटी तैयार कर लेंगे.

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