यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) ने कहा है कि सितंबर में 366 यूनिवर्सिटी फाइनल परीक्षा का आयोजन करने की तैयारी कर रही है. वहीं इस खबर के बाद छात्रों के बीच नराजगी है. सोशल मीडिया पर UGC और परीक्षा से जुड़े कई मीम्स वायरल हो रहे हैं, इसी के साथ #ExamsInCovidASuicide ट्विटर पर ट्रेंड हो रहा है.
छात्रों की शिकायत है कि देश में महामारी फैल ही है. अब दिन के 35-40,000 हजार से ज्यादा केस निकल रहे हैं. ऐसे में यूजीसी परीक्षाएं शुरू करने के बारे में कैसे सोच सकता है?
छात्रों का कहना है कि भारतीय संस्थान महामारी के दौर में परीक्षाएं आयोजन करने के बारे में सोच रहे हैं. आज की शिक्षा प्रणाली आत्महत्या की तरह है, कोई परवाह नहीं करता है.
एक छात्र का कहना है कि, 'सर हम किसी भी परीक्षा या कोरोना से डरते नहीं हैं लेकिन हम कोरोना को अपने परिवार में न फैलाने से डरते हैं क्योंकि हम अपने परिवार के भविष्य के बारे में सोचते हैं. इसलिए आपसे अनुरोध करते हैं कि परीक्षा का आयोजन न हो. '
छात्र ही नहीं बल्कि शिक्षकों ने भी यूजीसी के इस फैसले का विरोध किया है. उन्होंने कहा, इस समय सबसे ज्यादा जरूरी छात्रों की हेल्थ है, ऐसे में परीक्षा का आयोजन नहीं होना चाहिए.
आपको बता दें, आधिकारिक बयान में, यूजीसी ने कहा, "945 विश्वविद्यालयों में से (यूजीसी द्वारा 01-06-2020 तक रखी गई सूची के अनुसार) 755 विश्वविद्यालयों (120 डीम्ड विश्वविद्यालय, 274 निजी विश्वविद्यालय, 40 केंद्रीय विश्वविद्यालय और 321 राज्य) से प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई थीं. 755 विश्वविद्यालयों में से 560 विश्वविद्यालयों में से जिन्होंने परीक्षा के संचालन के संबंध में अपने निर्णय की घोषणा की है उनमें से 366 विश्वविद्यालय अगस्त या सितंबर में परीक्षा आयोजित करेंगे, और बाकी ने पहले ही परीक्षा आयोजित कर दी थी.
क्यों UGC आयोजित करना चाहती है परीक्षाएं?
यूजीसी ने विश्वविद्यालय में परीक्षा के संचालन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए, जिसमें कहा गया है कि देश भर के सभी विश्वविद्यालयों को इस साल टर्मिनल सेमेस्टर के छात्रों के लिए फाइनल परीक्षा आयोजित करनी चाहिए.
आयोग ने परीक्षाओं को शिक्षा प्रणाली का अभिन्न अंग बताया है, उन्होंने कहा कि जो छात्र विदेशी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश चाहते हैं, उनके लिए परीक्षा आवश्यक है.
यूजीसी के नए दिशानिर्देशों ने विश्वविद्यालयों को सितंबर 2020 तक ऑनलाइन या ऑफलाइन मोड में परीक्षा आयोजित करने के लिए कहा है. इस फैसले को देश भर की राज्य सरकारों और छात्रों से बहुत आलोचना मिली है.