कानपुर गोलीकांड में 8 पुलिसवालों की हत्या के मुख्य आरोपी विकास दुबे की शुक्रवार सुबह पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई. घटनाक्रम के अनुसार उत्तर प्रदेश STF की टीम विकास
दुबे को उज्जैन से लेकर कानपुर पहुंच रही थी, जहां गाड़ी पलटने के बाद
विकास ने भागने की कोशिश की. इसी दौरान एनकाउंटर हुआ और विकास दुबे मारा
गया. एसटीएफ की टीमें दो जुलाई से ही विकास दुबे की तलाश कर रही थीं. आइए जानते हैं, क्या है STF, कब हुआ था गठन, कैसे काम करती है.
वहीं दूसरा मकसद था कि उस गैंग के खिलाफ कार्रवाई के लिए पूरी योजना बनाकर उसे कार्यरूप कैसे दिया जाए. इसमें खासकर आईएसआई एजेंट्स(हालांकि बाद में आईएसआई एजेंट्स की जिम्मेदारी एटीएस को दी गई) और बड़े अपराधियों पर शिकंजा कसना शामिल है. इसका तीसरा उद्देश्य जिला पुलिस के साथ समन्वय करके लिस्टेड गैंग के खिलाफ एक्शन लेना था.
कहते हैं कि इस टास्क फोर्स के गठन का विचार यूपी के एक माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला पर शिकंजा कसने को लेकर आया था. बताते हैं कि श्रीप्रकाश के ताबड़तोड़ अपराध सरकार और पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुके थे. सरकार ने उसके खात्मे का मन बना लिया था. लखनऊ सचिवालय में यूपी के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री और डीजीपी की एक बैठक हुई.
इसमें अपराधियों से निपटने के लिए स्पेशल फोर्स बनाने की योजना तैयार हुई. 4 मई 1998 को यूपी पुलिस के तत्कालीन एडीजी अजयराज शर्मा ने राज्य पुलिस के बेहतरीन 50 जवानों को छांट कर स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) बनाई. इस फोर्स का पहला टास्क था- श्रीप्रकाश शुक्ला, जिंदा या मुर्दा.
एसटीएफ द्वारा संचालित सभी अभियानों के प्रभारी एसएसपी होते हैं. स्पेशल टास्क फोर्स के पास पूरे यूपी का क्षेत्राधिकार है. सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं संबंधित राज्य पुलिस की सहायता से इसकी टीमें
राज्य के बाहर भी काम करती हैं.
यूपी एसटीएफ अपने लीड तक पहुंचने के लिए आसपास के खुफिया तंत्र का सहारा लेती है, जिसमें कई तरह के लोग होते हैं. इसके अलावा टास्क फोर्स सर्विलांस जैसी तकनीके और एक पूरी फुलप्रूफ रणनीति पर काफी निर्भर रहता है. अपने गठन के 15 साल के भीतर ही फोर्स ने भारत के राष्ट्रपति से 81 पुलिस वीरता पदक हासिल किए. इस टास्क फोर्स के 60 अफसरों को विशिष्ट वीरता के कृत्यों के लिए आउट-ऑफ-टर्न प्रमोशन भी मिल चुका है.