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वेदांत और इस्लाम में समता के बिंदु क्या हैं? UPPCS टॉपर का जवाब

aajtak.in
  • 04 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 9:33 AM IST
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सवाल भले ही एक हो, लेकिन उसके जवाब देने का नजरिया ही आपको जीत हासिल कराता है. कहते हैं टॉपर कुछ अलग नहीं करते, बल्कि वो साधारण चीजों को अलग ढंग से करते हैं. साल 2017 के यूपीपीसीएस टॉपर अनुपम मिश्रा के संघर्ष की कहानी भी साधारण से असाधारण बनने की है. जानिए- मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर की लाखों की नौकरी छोड़कर अनुपम कैसे बने सिविल सर्विस के टॉपर.

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उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद के एक गांव में पैदा हुए अनुपम मिश्रा ने बारहवीं तक की पढ़ाई गांव के ही स्कूल से की. उसके बाद नौवीं कक्षा से 12वीं कक्षा तक वो इलाहाबाद के गवर्नमेंट इंटर कॉलेज में पढ़े.

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अनुपम के पिता एलआईसी (जीवन बीमा निगम ) में कार्यरत थे, मां हाउसवाइफ थीं. बचपन से ही अनुपम पढ़ाई-लिखाई में काफी अच्छे थे. उन्होंने 12वीं से ही अपना लक्ष्य यूपीएससी बना रखा था. वो एक आईएएस बनना चाहते थे.

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लेकिन, 12वीं के बाद घर वालों के कहने पर इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी की. तैयारी इतनी अच्छी थी कि AIEEE में उनकी 130वीं रैंक आई. इसके बाद उन्हें मोतीलाल नेहरू नेशनल इंस्टीटयूट आफ टेक्नोलॉजी कैंपस मिला.

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अनुपम ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई में ही इतना अच्छा प्रदर्शन किया कि उन्हें कैंपस से ही मल्टीनेशनल कंपनी में सेलेक्शन मिल गया. कैंपस से सीधे वो मल्टीनेशनल में लाखों की नौकरी करने लगे. लेकिन अपने दोस्तों को जब सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिसपांसिबिलिटी ) के अंतर्गत काम करते देखा तो उनके भीतर एक बार फिर सिविल सर्विस का सपना जाग गया.

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अनुपम ने इस बारे में अपनी मां से बात की तो मां ने नौकरी न छोड़ने की सलाह दी. अनु‍पम मिश्रा अपने एक वीडियो इंटरव्यू में बताते हैं कि नौकरी छोड़कर तैयारी करना मेरे लिए बड़ा फैसला था. घरवाले नौकरी में रहते हुए तैयारी करने की सलाह दे रहे थे.

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वो आईएएस बनना चाहते थे और इसके लिए यूपीएससी का एग्जाम देने के बारे में सोचा. 2016 में पहली ही बार में यूपीएससी के प्रीलिम्स में अनुपम के 148 के करीब नंबर आए. ये उनके लिए अच्छी शुरूआत थी.

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इसके साथ वो यूपी पीसीएस के अलावा हरियाणा बिहार के पीसीएस की तैयारी में जुट गए. उन्होंने पहली बार जब यूपीपीसीएस लिखा तो वो राज्य में दूसरी रैंक पर आए. वर्तमान में वो डिप्टी कलेक्टर के पद पर हैं. वो अपने मॉक इंटरव्यू में ही इतना अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे कि उनके सेलेक्शन की संभावनाएं काफी बढ़ गई थीं.

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एक मॉक इंटरव्यू में उनसे इंटरव्यूअर ने पूछा कि वेदांत-इस्लाम की तुलना करें तो समता के बिंदु क्या हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि शंकराचार्य ने व्यवहारिक रूप से जगत को माना है. वेदांत एक ब्रह्म को मानता है, अगर तुलना करें तो इस्लाम भी एक ईश्वर की अवधारणा को मानता है. लेकिन प्रैक्ट‍िकल तौर पर वेदांत में ईश्वर सगुण साकार है लेकिन इस्लाम कुछ और मानता है.

(सभी फोटो Facebook  से ली गई हैं.)

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