भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में कुछ कलाकार ऐसे रहे जिन्हें फिल्मों में उनके शानदार काम के साथ ही उनकी दमदार पर्सनालिटी के लिए भी जाना जाता है. एक्टर सुनील दत्त का नाम भी सिनेमा और राजनीति की दुनिया में बड़े अदब के साथ लिया जाता है. एक्टर के फिल्मी किस्से तो मशहूर हैं ही साथ ही कई सारे किस्से उनकी पर्सनल लाइफ से जुड़े हैं जिसे जान फैंस हैरान रह जाते हैं.
एक्टर का जन्म 6 जून 1929 को पाकिस्तान के झेलम में हुआ था. मगर विभाजन के बाद वे भारत आ गए. इस दौरान उनकी जान भी खतरे में पड़ गई थी. एक्टर की बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर आइए जानते हैं इस किस्से के बारे में.
सुनील दत्त भारत-पाक विभाजन के वक्त करीब 17-18 साल के थे. हिंदू-मुस्लिम दंगे के दौरान एक्टर और उनके परिवार की जान खतरे में पड़ गई थी. उस समय उन्हें उनके पड़ोसी मुस्लिम परिवार ने मदद की और पनाह दी.
पड़ोसियों ने सुनील दत्त और उनकी फैमिली को करीब एक महीने तक साथ रखा और इसके बाद परिवार को सही-सलामत हरियाणा पहुंचा दिया. इस इंसिडेंट ने दत्त साहब के दिल और दिमाग में गहरा असर छोड़ा था और इसके बाद वे सांप्रदायिक सद्भाव के लिए जीवनभर अपनी आवाज बुलंद करते रहे.
बता दें कि एक्टर ने फिल्मों में काम करने से पहले बीबीसी में भी नौकरी की. इसके अलावा वे कुछ समय के लिए बस स्टेशन पर भी नौकरी कर चुके थे. वहां पर वे आने-जाने वाले वाहनों की रिपोर्ट रखते थे.
एक्टर को शुरुआत से ही नरगिस से बेहद प्यार था. उस दौर में नरगिस एक बड़ी स्टार बन चुकी थीं मगर सुनील दत्त को कोई नहीं जानता था. सुनील दत्त, नरगिस को बहुत पसंद भी करते थे. जब एक बार बीबीसी की तरफ से सुनील दत्त को नरगिस का इंटरव्यू लेने को मिला तो वे नर्वस हो गए. जब नरगिस उनके सामने आईं तो वे एक शब्द भी नहीं बोल सके. कहा जाता है कि एक्टर की जॉब जाते-जाते बची थी.
सुनील दत्त ने अपने करियर में तमाम फिल्मों में लीड रोल प्ले करने के बाद भी डाकुओं के कई सारे रोल प्ले किए. इसी के साथ वे अपनी फिल्मों के जरिए डाकुओं की मनोदशा और उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते नजर आए. करीब 10-12 फिल्मों में सुनील दत्त ने डाकू का रोल प्ले किया. उन्हें इस रोल में पसंद भी किया गया.
एक्टर ने कुंदन, किस्मत का खेल, मदर इंडिया, हम हिंदुस्तानी, वक्त, छाया, मेरा साया, मिलन, हमराज, चिराग, हिमालय से ऊंचा, पड़ोसन, पापी, मुकाबला, लैला, वतन के रखवाले, फूल, परंपरा और मुन्नाभाई एमबीबीएस जैसी फिल्मों में नजर आए. 25 मई, 2005 को बांद्रा में उनका निधन हो गया.