
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल से उठा असहिष्णुता का मुद्दा थमता नहीं दिख रहा है. निर्माता निर्देशक करन जौहर के बाद अब नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने इसे राजनीतिक एजेंडा बताया है. सेन ने कोलकाता में कहा कि असहिष्णुता का मुद्दा राजनीतिक एजेंडा है.
क्या कहा सेन ने
सेन ने कहा, मुझे नहीं लगता कि हिंदुओं के मन में मुस्लिमों या ईसाइयों के प्रति कोई दुर्भावना है या वे उनके खिलाफ कुछ सोचते हैं. यह तो राजनीति है जो सांप्रदायिक रेखाएं खींचकर लोगों को, हमारे समाज को आपस में ही बांट रही है. सेन ने यह बात शनिवार को कोलकाता के नेताजी भवन में कही. हालांकि उन्होंने तीन दिन पहले 20 जनवरी को प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी में विशेष दीक्षांत समारोह में भी ठीक यही बात कही थी.
खराब शब्द हो गया है धर्मनिरपेक्षता
सेन ने कहा कि इस राजनीति ने ही इतने भेदभाव पैदा कर दिए हैं और एक सांप्रदायिक लाइन बना दी कि धर्मनिरपेक्षता शब्द को ही खराब माना जाने लगा है. उन्होंने कहा कि हम ऐसे दौर में हैं जब सुभाष चंद्र बोस के समानता, न्याय और शिक्षा के विजन की हमें बेहद जरूरत है.
क्या कहा था करन जौहर ने
करन जौहर ने कहा था अभिव्यक्ति की आजादी हमारे देश में सबसे बड़ा मजाक है और लोकतंत्र दूसरा बड़ा मजाक. मैं फिल्म मेकर हूं, लेकिन जब भी फिल्में बनता हूं तो डरता हूं कि कहीं कोई मेरे खिलाफ किसी बात से नाराज होकर लीगल नोटिस न जारी कर दे. यह सब कहने के बाद मैं भी अब एक एफआईआर किंग हूं.'