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नोटबंदी का एक महीना: कुछ खट्टा-मीठा अहसास!

सरकार एक तीर से दो निशाने साध रही हैं, पहला काले धन को समाप्त करना दूसरा लगे हाथ केशलेस इकॉनमी को बढ़ावा देना. कैशलेस इकॉनमी के सपने को भुनाने में प्राइवेट कंपनियां कहां पीछे रहने वाली थी सो शुरू कर दिया सपनों को भुनाने का काम और एक ही महीने मे बना डाले लाखों ग्राहक.

नोटबंदी को पूरा हो रहा एक महीना नोटबंदी को पूरा हो रहा एक महीना
राकेश चंद्रा
  • नई दिल्ली,
  • 07 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 5:18 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह 8 नवम्बर 2016 को अचानक नोटबंदी का फैसला लिया उसके बाद जिस तरीके से देश में उथल पुथल का दौर शुरू हुआ वह कोमोवेश अब भी जारी हैं. जनता कतार में हैं अपना ही पैसा लेने के लिए. कोई धरने पर हैं तो कोइ फैसले को जायज ठहराने के लिए हर जतन कर रहा हैं. हालात- जनता पस्त नेता मस्त.

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बैंकों से लेकर एटीएम और एटीएम से लेकर संसद तक सभी जगह एक ही स्थिति हैं. विपक्ष का आरोप हैं कि इस दौरान लगभग 84 लोगों की मौत हो गई हैं. प्रधानमंत्री हैं की संसद में रहते हुए भी बयान नहीं देना चाहते ,जिस कारण शीतकालीन सत्र अब तक केवल और केवल जनता की खून पसीने से कमाई गई राशि को व्यर्थ में खर्च कर रही हैं. विपक्ष पूछ रहा हैं - अगर बैंको में और ATM में पैसे हैं तो फिर लाइने इतनी लंबी कैसे दिख रही है?

दरअसल सरकार एक तीर से दो निशाने साध रही हैं, पहला काले धन को समाप्त करना दूसरा लगे हाथ केशलेस इकॉनमी को बढ़ावा देना. कैशलेस इकॉनमी के सपने को भुनाने में प्राइवेट कंपनियां कहां पीछे रहने वाली थी सो शुरू कर दिया सपनों को भुनाने का काम और एक ही महीने मे बना डाले लाखों ग्राहक.

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50 दिनों की मोहलत सवालों के घेरे में

प्रधानमंत्री ने खुद जनता से 50 दिन की मोहलत मांगी थी उन्होंने वादा किया है कि 50 दिन के अंदर, जनता को नकदी की परेशानी से नहीं जूझना पड़ेगा. लेकिन अगर एक महीने के रिपोर्ट कार्ड को देखें तो प्रधानमंत्री का ये वादा अब सवालों के घेरे में है, क्‍योंकि नोटबंदी को एक माह होने के करीब है, लेकिन समस्‍या ना तो कम हुई है और ना ही कम होती दिखाई दे रही है. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि नोटों की कमी पूर्ति में 8-10 महीने लग सकते हैं.

गांव देहात भगवान भरोसे

सरकार ने कहा की एटीएम जल्द से जल्द ठीक कर लिए जाएंगे लेकिन अब भी एटीएम कई जगह बिना नोटों के खली पड़े हैं. बैंको के स्थिति यह हैं कि जारी की गई लिमिट मे बाबजूद भी जनता को दस या पांच पांच हजार देकर चलता कर दिया जा रहा हैं. यह स्थिति तो शहरों की हैं गांव देहात में क्या हो रहा हैं वह सब भगवान भरोसे चल रहा हैं. दावा यह भी किया जा रहा हैं कि देश के लगभग 95 फीसदी एटीएम को अब 500 व 2000 रुपये के नये नोट देने के हिसाब से सुधारा जा चुका है लेकिन लाइन आज भी लगी हुई हैं, दूध देने वाली एटीएम मशीन अब भी नोट नहीं उगल रही है. शायद लाइन में लगने की हमारी नियति ही हमें ठीक कर दे.

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इससे ज्यादा परेशानी तब शुरू हुई जब लगभग हर दूसरे दिन नए-नए फरमान निकलने लगे फलस्वरूप जनता में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई. सरकार कहती हैं की उसके पास 13 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के पुराने नोट जमा हो चुके हैं. सरकार ने अब तक केवल 33 फीसदी रकम ही लोगों के बीच बांटी हैं. तो क्या बाकी की राशि अगले चौबीस दिनों में जनता के पास आ जायगी? बैंक और डाकखानों में कुल 40,000 करोड़ रुपये के नोट बदले गए हैं

नोटबंदी ने तोड़ी आतंकवाद की कमर

कई स्थानों पर हजारों की संख्या में 2000 के नोटों की गड्डियों की बरामदगी ने साबित किया की किस तरह बैंक कर्मियों और काले धन के वारिसों के बीच साठगांठ हैं कई अधिकारी पकड़े भी गए हैं. नोटबंदी ने आतंकवाद और नक्सलवाद की तो लगभग कमर ही तोड़ दी है, खासकर जिस प्रकार नक्सलियों ने एक महीने में आत्मसमर्पण किया है. लेकिन आतंकवादियों के पास 2000 के नोटों का पाया जाना भी कुछ अशुभ सन्देश देता हैं.

सबसे मजेदार तो रहा लोगों का रातों-रात लोगों का करोड़पति बन जाना, देश के कई जनधन खातों में अचानक किसने कहा से करोड़ों डाल दिए. इन खातों में अब तक अघोषित इनकम का 1.64 करोड़ रूपया जमा है.

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देश के कई भागों में यह भी देखने को मिला की लाखों के संख्या में 500-1000 के नोटों को या तो जला दिया गया या फिर नदियों में फैंक दिया गया, या फिर इन नोटों को मंदिरों में जमा करा दिया गया.

सरकार ने यह भी दावा किया हैं कि आठ नवंबर की नोटबंदी के बाद से अब तक आयकर विभाग ने लगभग 2,000 करोड़ रुपये काला धन पकड़ा है. तथा 130 करोड़ रुपये की नकदी और ज्वैलरी भी जब्त की है.

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