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इमरजेंसी पर बोले अमित शाह- कांग्रेस के 3 नासूरों ने लोकतंत्र को तबाह किया

प्रधानमंत्री मोदी के बाद इमरजेंसी पर बोलने की बारी अमित शाह की थी जिन्होंने कहा कि आमतौर पर इतिहास के जो काले अध्याय को भूलना उचित होता है, लेकिन इमरजेंसी देश के लोकतांत्रित इतिहास का एक काला अध्याय है. उन्होंने और बीजेपी ने इस दिन को मनाने का फैसला इसलिए किया है क्योंकि जनता इस दिन को कभी भी न भूले.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह  (फाइल फोटो) बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 जून 2018,
  • अपडेटेड 8:15 PM IST

देश में इमरजेंसी लगाए जाने की 43वीं बरसी पर भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रव्यापी स्तर पर देशभर में ब्लैक डे मना रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी कांग्रेस की जमकर आलोचना करते हुए कहा कि उसके 3 नासूरों ने देश के लोकतांत्रिक परंपरा को तबाह करने की कोशिश की.

प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार की सुबह मुंबई में कार्यक्रम के दौरान इमरजेंसी की यादों को ताजा करते हुए कांग्रेस को जमकर लताड़ लगाई और कहा कि इमरजेंसी कांग्रेस का पाप है, और इसे कभी भुलाया नहीं जा सकता.

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बनी रहे इस काले अध्याय की याद

मोदी के बाद इमरजेंसी पर बोलने की बारी अमित शाह की थी जिन्होंने अहमदाबाद में मीसा-बंदी और जनसंघ कार्यकर्ता सम्मेलन में बोलते हुए कहा कि आमतौर पर इतिहास के जो काले अध्याय को भूलना उचित होता है, लेकिन इमरजेंसी देश के लोकतांत्रित इतिहास का एक काला अध्याय है. उन्होंने और बीजेपी ने इस दिन को मनाने का फैसला इसलिए किया है क्योंकि जनता इस दिन को कभी भी न भूले.

उन्होंने आगे कहा कि देश की जनता इस दिन को हमेशा याद रखे और इसे बार-बार स्मरण करता रहे जिससे कोई भी इमरजेंसी को कोई भी फिर से लगाने की हिम्मत न करे. पार्टी ने तय किया है कि देशभर में हर जगह इस दिन को किसी न किसी रूप में मनाया जाए. आज की पीढ़ी को इस घटना के बारे में बताया जाए.

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शाह ने कहा कि इमरजेंसी को लेकर काफी चर्चा रही है. लोकतंत्र को बचाने के सत्याग्रह के रूप में याद किया जाता है. लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिशों के रूप में याद किया जाता है. इमरजेंसी को सरकारी विभागों को इन लोगों के गिरफ्त से निकालने के लिए याद किया जाता है.

चुन-चुन कर लोगों को जेल भेजा गया

इमरजेंसी के दिनों को याद करते हुए शाह ने कहा कि इमरजेंसी के दौर में आकाशवाणी को कांग्रेसवाणी, दूरदर्शन को कांग्रेसदर्शन बना दिया गया. अखबारों का गला घोंट दिया गया. किशोर कुमार के गाने पर रोक लगा दी जाए और जिस किसी को इनके गाने सुनने होते थे तो उनके गाने महिला सिंगर की आवाज में आते थे क्योंकि इन्होंने संजय गांधी के कार्यक्रम में आने के निमंत्रण को स्वीकार नहीं किया.

उन्होंने कहा कि इमरजेंसी के दौर में बीजेपी जनसंघ के रूप में थी, तब इसके कार्यकर्ताओं पर सबसे ज्यादा जुल्म ढाया गया. जब तक इमरजेंसी को उठा नहीं लिया गया, तब तक हर किसी न किसी कार्यकर्ता को जेल के पीछे डाल दिया जाता था. इमरजेंसी लागू किए जाने के बाद सबसे पहले गिरफ्तार किए जाने वाले नेताओं में लाल कृष्ण आडवाणी भी शामिल थे. चुन-चुन कर लोगों को जेल में डाला गया.

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356 का दुरुपयोग

अमित शाह ने कहा कि आजादी के बाद आजादी आंदोलन की परछाई में लंबे समय तक कांग्रेस की सरकारें रहीं, लेकिन इसके बाद देश में संयुक्त सरकारों का दौर आया तो कांग्रेस ने 356 का दुरुपयोग शुरू कर दिया. इंदिरा गांधी ने अनुच्छेद 356 के जरिए राज्यों की सरकार गिराने का खेल शुरू किया. यहीं से इमरजेंसी लगाए जाने की नींव पड़ी.

उन्होंने कहा कि इस दौर में चाटुकारों का बोलबाला शुरू हो गया. लोग चाटुकारिता दिखाने के लिए 'इंदिरा इज इंडिया, इंडिया इज इंदिरा' कहने लगे.

कांग्रेस को लोकतंत्र में विश्वास नहीं

शाह ने कहा कि कांग्रेस लोकतंत्र में विश्वास नहीं करती वो इमरजेंसी के बारे में सोचती है. सरकारें हमारी भी बनी और हमारी सरकारें भी गिरी, जबकि महज एक वोट के अंतर से हमारी सरकार गिर गई और 13 दिन हमारी सरकार चली, लेकिन हमने लोकतंत्र को खत्म नहीं होने दिया.

इमरजेंसी के नाम कांग्रेस पर जमकर निशाना साधते हुए शाह ने कहा कि कांग्रेस ने आंतरिक लोकंतत्र को समाप्त कर दिया और परिवारवाद को जन्म दिया. परिवारवाद के बाद कांग्रेस ने जातिवाद और तुष्टिकरणवाद का खेल शुरू कर दिया. कांग्रेस के इस 3 नासूरों ने भारत में लोकतंत्र को खोखला करने की कोशिश की.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने न्यायापालिका में घुसपैठ की कोशिश की, इंदिरा गांधी ने 3 वरिष्ठ जजों को पीछे छोड़ते हुए जूनियर जज को भारत का मुख्य न्यायाधीश बना दिया. उन्होंने आगे कहा कि आज के दौर में अगर कोर्ट का फैसला कांग्रेस के पक्ष में आए तो यह महान और अगर उसके खिलाफ आए तो वह कोर्ट की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करने लगती है.

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