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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक और बीजेपी के पूर्व नेता केएन गोविंदाचार्य ने बड़े नोटों की बंदी को हड़बड़ी में लिया गया फैसला बताते हुए सरकार को नोटिस भेजा है. ये नोटिस वित्त सचिव शक्तिकांत दास के नाम भेजा गया है. इसमें उन लोगों के लिए मुआवजे की मांग की गई है जिनकी नोटबंदी के बाद बैंकों की लाइनों में लगे-लगे मौत हो गई.
गोविंदाचार्य ने सरकार को नोटिस भेजकर पूछा है कि नोटबंदी की इस आपाधापी में अभी तक 40 लोगों की मौत हुई है, क्या उनके लिए सरकार की जवाबदेही नहीं है? क्या सरकार द्वारा नोटबंदी के फैसले से आहत, मृत या पीड़ित लोगों को मुआवजा नहीं मिलना चाहिए?
इतना ही नहीं उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक की धारा का हवाला देते हुए कहा है कि सरकार द्वारा नोटों के उपयोग की छूट के लिए आरबीआई एक्ट 1934 की धारा 26(2) के तहत 8 नवंबर को जो नोटिफिकेशन जारी की गई उसके लिए रिजर्व बैंक के सेंट्रल बोर्ड की अनुशंसा जरूरी है जिसका पालन की नहीं हुआ.
गोविंदाचार्य ने सरकार के इस फैसले पर निशाना साधते हुए कहा है कि नोटबंदी में सरकार की विफलताओं से पूरा देश त्रस्त है. जिसके चलते उन्होंने लीगल नोटिस भेज कर तीन दिनों के भीतर पीड़ितों को मुआवजे और आरबीआई के अनुमोदन के बाद नए कानून की मांग की है.
गोविंदाचार्य ने मोदी सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार द्वारा देशहित में किए गए विमुद्रीकरण समेत हर अच्छे काम में हमारा सहयोग है पर गवर्नेंस में विफल होने पर सरकार को सजग करना बड़ी जिम्मेदारी भी है.
गौरतलब हो कि समाजसेवी और चिंतक केएन गोविंदाचार्य ने नोटबंदी पर सरकार से श्वेत पत्र जारी करने की भी मांग की थी. गोविंदाचार्य ने कहा था कि केंद्र सरकार नोटों को निरस्त करने के कारणों को स्पष्ट करने और उसके लाभ बताने के लिए श्वेत पत्र जारी करे.