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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2016 के दूसरे दिन कवि और संगीतकार जावेद अख्तर और अभिनेत्री शबाना आजमी ने प्यार, रिश्ते और परिवार के मसले पर अहम बातें की. जावेद अख्तर ने एक बार फिर 'भारत माता की जय' को लेकर एमआईएम नेता असद्दुदीन ओवैसी के भाषण को विवाद पैदा करने की कोशिश करार दिया. वहीं शबाना ने ओवैसी वार करते हुए कहा कि 'माता' बोलने पर एतराज हो तो वह भारत 'अम्मी' की जय बोलें.
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हैदराबाद से बाहर ओवैसी की चुनौती कबूल
जावेद ने ओवैसी को देशद्रोही कहने से भी इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि ओवैसी कुछ नहीं हैं. बस एक मोहल्ले के नेता हैं. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि
हैदराबाद से अलग वह पूरे भारत में जहां भी 50 फीसदी मुसलमान और 50 फीसदी हिंदू हों, वहां से ओवैसी के खिलाफ चुनाव लड़ने की चुनौती कबूल कर सकते हैं. जावेद ने कहा कि देश में रोज कुछ न कुछ भेदभाव होता है. हमें उसके खिलाफ खड़ा होना चाहिए, न कि उनकी तरह बन जाना चाहिए.
एक साथ कई पहचान जीते हैं हम
जावेद और शबाना ने मिलकर कहा कि पहचान को जड़ चीज नहीं है. भारत की मिलीजुली संस्कृति में हम एकसाथ कई पहचान जीते हैं. सिर्फ धार्मिक पहचान ही नहीं
जीते. शबाना ने कहा कि कम्यूनिस्ट परिवार से होने की वजह से उन्होंने कभी अपनी धार्मिक पहचान को तवज्जो नहीं दी. बाबरी गिराने की घटना के बाद उनको मुसलमान
होने का अहसान कराया गया. शबाना ने कहा कि वह पहले औरत हैं फिर भारतीय हैं. दूसरी किसी पहचान को वह नहीं मानतीं. वहीं जावेद नास्तिक हैं.
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एक जैसे नजरिए से पनपा प्यार
शबाना के लिए प्यार शुरू होने के मामले में जावेद ने कहा कि कैफी आजमी की बेटी होने की वजह से शबाना के प्रति वह पहली बार आकर्षित हुए. वहीं शबाना ने कहा कि
दुनिया देखने के एक जैसे नजरिए की वजह से दोनों नजदीक आए. जावेद ने कहा कि रिश्तों में दूरी भी मजबूती लाती है. उन्होंने कहा कि परिवार में मैं न तो सूरज हूं
और न ही शबाना कोई ग्रह. रिलेशनशिप में हम दोनों सितारे हैं. हम दोनों एक-दूसरे को समय, स्पेस और सम्मान देते हैं.
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एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा...
पेशेवर तौर पर काफी रोमांटिक नज्म लिखने वाले जावेद अख्तर ने निजी जीवन में कम रोमांस के सवाल पर कहा कि क्या सर्कस में काम करने वाले घर में उल्टे लटके
रहते हैं. शबाना और जावेद ने एक-दूसरे के लिए लोगों के सामने रोमांटिक गाने का मुखड़ा भी गाया. जावेद ने इस मौके पर 'एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा...' गाना
लिखे जाने से जुड़ी कहानी भी बताई. शबाना ने कहा कि मेरे पिता, पति और ससुर सभी कवि हैं. मैं इन सबसे प्रेरणा लेती हूं.
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आजादी का मतलब कुछ भी बोलना नहीं
असहिष्णुता के मुद्दे पर शबाना ने कहा कि थोड़ी-बहुत मात्रा में यह हमेशा रहता है. इसपर काबू के लिए ही तो सरकार है. उन्होंने कहा कि दोबारा सर्टिफाइड होने के बाद भी कुछ लोग उसपर भावनाएं आहत करने का आरोप लगाकर हंगामा करते हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए. जावेद ने कहा कि असहिष्णुता के लिए हम सब दोषी होते हैं. फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन का मतलब यह नहीं होता कि हम सब कुछ बोलें और दूसरों को रोकें. ज्यादा दूर तक पहुंचने वाली बातों पर कुछ खुद ही लगाम होनी चाहिए.
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इतिहास गवाह है खानदान में कभी बीफ नहीं
परिवार के मुद्दे पर शबाना ने कहा कि मैं, जावेद, फरहान और जोया सिर्फ खाने के वक्त घर पर मिल पाते हैं. खाने के मसले पर जावेद ने कहा कि वह शाकाहारी हो गए हैं. शराब छोड़े अरसा हो गया है. बीफ बैन के सवाल पर जावेद ने कहा कि उनके खानदान में कभी भी बीफ नहीं खाया गया. इतिहास इसका गवाह है. उन्होंने राजनीति और शतरंज के खेल पर अपनी एक नज्म सुनाई.
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