
देश के सभी कंप्यूटरों पर नजर रखने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. केंद्रीय केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को 10 केन्द्रीय एजेंसियों को देश में चल रहे किसी भी कंप्यूटर में सेंधमारी कर जासूसी करने की इजाजत दे दी है. मोदी सरकार के इस फैसले पर असदुद्दीन ओवैसी ने शख्त एतराज जताते हुए तंज कसा और कहा कि अब समझ में आया कि घर-घर मोदी का मतलब क्या है? आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि लोकतंत्र खत्म करके मोदीशाही घोषित करने की कोशिश की जा रही है.
हालांकि गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन पर विपक्ष द्वारा सवाल उठाए जाने पर केंद्रीय कानून और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कड़ा एतराज जताया और कहा कि यह नोटिफिकेशन संविधान और कानून के दायरे में है. यह तब तक लागू नहीं होगा जब तक व्यक्तिगत केस में गृह सचिव इस पर अपनी सहमति नहीं दे देते. उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमसे सवाल कर रही है जिन्होंने इमरजेंसी लगाई. नीरा राडिया टेप उनके जमाने में हुआ. रविशंकर प्रसाद का कहना है कि बिना सच्चाई जाने विपक्ष द्वारा खासतौर से कांग्रेस द्वारा विरोध किया गया. देश की सुरक्षा पर सवाल खड़ा किया गया. हमारे देश की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है. इसके कोई समझौता नहीं हो सकता.
'अब समझ में आया घर-घर मोदी तक का मतलब'
इससे पहले, असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करके कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि उन्होंने 10 केंद्रीय एजेंसियों को आपके कंप्यूटर पर नजर रखने का आदेश जारी किया है. ओवैसी ने आगे लिखा कि अब समझ में आया कि घर-घर मोदी का मतलब आपके कंप्यूटर में झांकना है. जॉर्ज ऑरवेल का बिग ब्रदर यहां है और 1984 में आपका स्वागत है.
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि मोदी सरकार मौलिक आधिकारों का हनन कर रही है. चुनाव हारने के बाद अब मोदी सरकार आपके कंप्यूटर को स्कैन और जासूसी करने पर उतर आई है. अबकी बार,निजता पर वार! कांग्रेस नेता ने कहा कि 'बिग ब्रदर सिंड्रोम' वास्तव में एनडीए के डीएनए में समाहित है. जनता की जासूसी मोदी सरकार की निन्दनीय प्रवृत्ति है.
हर भारतीय अपराधी!
वहीं, सीपीआई (एम) महासचिव सीताराम येचुरी ने हर भारतीय को अपराधी की तरह क्यों देखा जा रहा है? सरकार ने देश के हर कंप्यूटर पर केंद्रीय एजेंसियों के द्वारा नजर रखने का जो आदेश है वह पूरी तरह से असंवैधानिक है. ये टेलीफोन टैपिंग दिशा-निर्देशों और गोपनीयता को उल्लंघन करने वाला निर्णय है.
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के मुताबिक देश की ये 10 सुरक्षा एजेंसियां किसी भी व्यक्ति के कंप्यूटर में किसी भी समय जेनरेट, ट्रांसमिट, रिसीव और स्टोर किए गए किसी सूचना या दस्तावेज को देख सकती हैं.
'लोकतंत्र की जगह मोदीशाही'
सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए आम आदमी पार्टी (आप) सांसद संजय सिंह ने कहा, 'यह सरकार हर इंसान के बेडरूम में घुसना चाहती है. यह नोटिफिकेशन बहुत ही अलोकतांत्रिक और तानाशाही पूर्ण है. मैं ऐसा मानता हूं कि पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में छात्र नेताओं के फोन टेप किए गए उस पर बवाल मचने के बाद इस मामले को कम करने के लिए इस तरीके का नोटिफिकेशन केंद्र सरकार की तरफ से जारी किया गया है.' उन्होंने आगे कहा कि इस देश के अंदर तानाशाही घोषित कर दो. किसी के भी फोन टेप करो. किसी के भी घर में घुस जाओ, किसी को भी चौराहे में पकड़कर मार दो, यही तो कर रही है यह सरकार.
संजय सिंह ने कहा कि जिस मामले को सुप्रीम कोर्ट ने निजता का मामला माना है बगैर अनुमति के किसी का फोन टेप नहीं कर सकते, उसके लिए एक प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा. आप किसी का भी फोन टेप करने की पूरी आजादी दे रहे हैं. इस देश में लोकतंत्र खत्म करके मोदीशाही घोषित कर रहे हैं.
हर सवाल का जवाब नहीं
हालांकि गृह मंत्रालय के नए नोटिफिकेशन को लेकर केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आजतक से बातचीत में कहा कि जो भी संवैधानिक और तकनीकी रूप से सही होता है, उसी का फैसला मंत्रालय और सरकार करती है. सवाल उठाना विपक्ष की आदत है और उनके हर सवाल का जवाब नहीं दिया जा सकता है.
मर्यादा में रहें जांच एजेंसियां
गृह मंत्रालय के नए आदेश पर सांसद राकेश सिन्हा ने आजतक से बातचीत में कहा कि सोशल मीडिया और इंटरनेट का लगातार दुरुपयोग हो रहा है. आतंकवादी घटनाएं जब-जब बढ़ती हैं तब इस तरीके की जांच बढ़ जाती है. जब एक करोड़ ठीक कर रहे हों और एक व्यक्ति गलत कर रहा हो तो वही देश के लिए घातक बन जाता है. मेरा कहना है कि जांच एजेंसियां मर्यादा के साथ जांच करें. किसी की प्राइवेसी का उल्लंघन न हो, इस बात का जरूर ध्यान रखा जाना चाहिए. मुझे लगता है कि गृह मंत्रालय इसका ध्यान रखेगा जो व्यक्ति की निजता बनाई रखी जाए.
दूसरी ओर, राज्यसभा सांसद केटीएस तुलसी ने कहा कि यह सब स्नूपिंग के लिए सरकार की तरफ से किया जा रहा है. भारत का संविधान है और उसमें जो स्वतंत्रता दी गई है उसमें कोई भी दखल नहीं दे सकता है. संसद भी दखल नहीं दे सकती तो गृह मंत्रालय किस तरीके से दखल दे सकता है. ऐसा लगता है कि मोदी सरकार डिक्टेटरशिप कायम करने की कोशिश कर रही है, इसके खिलाफ हम आवाज उठाएंगे.
ये केंद्रीय एजेंसिया रखेंगी नजर
गृह मंत्रालय के आदेश के मुताबिक इंटेलिजेंस ब्यूरो, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स, डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस, सीबीआई, एनआईए, कैबिनेट सेक्रेटेरिएट (रॉ), डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस और दिल्ली के कमिश्नर ऑफ पुलिस को देश के सभी कंप्यूटर की जासूसी की मंजूरी दी गई है