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Modi@4: स्वच्छता अभियान पर जोर, 4 साल से गूंज रहा है शौचालय का शोर

खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) के मामले में सबसे खराब स्थिति बीजेपी शासित 3 राज्यों में है जहां के एक भी जिले को ओडीएफ घोषित (जनवरी, 2018 तक) नहीं किया जा सका है. ये राज्य हैं गोवा, बिहार, और मणिपुर.

प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया था प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया था
सुरेंद्र कुमार वर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 25 मई 2018,
  • अपडेटेड 1:24 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 में केंद्र की सत्ता पर काबिज होने से पहले विकास की बात करते थे, लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्होंने अप्रत्याशित तौर पर स्वच्छता अभियान पर जोर दिया और 2019 तक देश को स्वच्छ बनाने के लिए दिग्गज हस्तियों के साथ-साथ आम नागरिकों को भी इस अभियान में शामिल किया. इन 4 सालों में विकास से ज्यादा चर्चा इसी सफाई अभियान को मिली.

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मोदी ने 2014 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 145वें जन्मदिवस के अवसर पर 'स्वच्छ भारत अभियान' शुरू करते हुए कहा था, '2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर भारत उन्हें स्वच्छ भारत के रूप में सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि दे सकता है.' स्वच्छता को जन आंदोलन बनाने की मुहिम छेड़ते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से अनुरोध किया कि वे साफ और स्वच्छ भारत के राष्ट्रपिता के सपने को पूरा करें.

PM ने खुद झाड़ू लगाकर की शुरुआत

नरेंद्र मोदी ने खुद दिल्ली मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन के पास झाड़ू लगाकर सफाई अभियान की शुरुआत की. साथ ही उन्होंने 'ना गंदगी करेंगे, ना करने देंगे' का मंत्र दिया. इसके साथ ही उन्होंने स्वच्छता अभियान में शामिल होने के लिए नौ लोगों को नामित भी किया और उनसे कहा कि वे सभी नौ अन्य लोगों को इस पहल से जोड़ें और ऐसा करते हुए एक कड़ी बनाएं जिससे देश साफ-सुथरा हो सके.

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कुछ ही दिनों में यह राष्ट्रीय अभियान जैसा बन गया और न सिर्फ मोदी बल्कि उनकी सरकार में शामिल सभी मंत्री झाड़ू लेकर सड़क पर उतर गए. क्या नेता, क्या अभिनेता, इस अभियान से हर कोई जुड़ गया. खेल और बिजनेस से जुड़ी दिग्गज हस्तियां भी झाड़ू लगाती दिखीं, लेकिन गुजरते वक्त के साथ यह महज रस्म बनकर रह गया. कई लोगों को झाड़ू लगाते फोटो खिंचवाने का शानदार मौका मिल गया.

कहां पहुंचा सफाई अभियान

सफाई अभियान को शुरू हुए करीब 4 साल हो चुके हैं, लेकिन इसमें भी खास प्रगति होती नहीं दिख रही. सफाई अभियान में सबसे बड़ा रोड़ा खुले में शौच बना हुआ है और इसमें वास्तव में काफी काम किए जाने की जरूरत है.

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत अब तक 3 लाख 66 हजार 774 गांवों को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) होने का दावा किया गया है और यह तय लक्ष्य का 60.83% है. हालांकि सरकारी वेबसाइट के अनुसार, इनमें से अभी तक सिर्फ 2,52,504 गांवों का ही आंकड़ा प्रमाणित हो सका है. अब तक देश के 712 जिलों में से 386 जिलों को ही ओडीएफ घोषित किया जा सका है. 36 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में से महज 17 राज्य ही खुले में शौच से मुक्त घोषित हो सके हैं.

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3 राज्यों की स्थिति खराब

ओडीएफ के मामले में सबसे खराब स्थिति बीजेपी शासित 3 राज्य में है जहां के एक भी जिले को ओडीएफ घोषित (जनवरी, 2018 तक) नहीं किया जा सका है. ये राज्य हैं गोवा, बिहार, और मणिपुर. गोवा ऐसा राज्य है जहां बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक घूमने आते हैं और पिछले 3 सालों में एक भी जिले को ओडीएफ घोषित नहीं किया जा सका.

दिलचस्प यह है कि गोवा में सिर्फ 2 ही जिले हैं. हालांकि मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने दावा किया है कि अक्टूबर तक राज्य को ओडीएफ घोषित कर दिया जाएगा. इन 3 राज्यों के अलावा लक्षद्वीप और ओड़िशा में भी स्थिति भयावह है.

टॉयलेट की कमी

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि देश में पिछले 4 सालों में अब तक 7 करोड़ 26 लाख 58 हजार 500 से ज्यादा घरों में टॉयलेट बनाए गए और यह तय लक्ष्य का 84.13 फीसदी है. वैसे शौचालय के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 13 करोड़ से ज्यादा बैठता है.

राज्यों के लिहाज से देखा जाए तो आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और पंजाब समेत 18  राज्यों में 100 फीसदी घरों में टॉयलेट बनाए जा चुके हैं, लेकिन कई राज्यों में यह काम अपने लक्ष्य से काफी पीछे चल रहा है. लक्षद्वीप (0%), ओड़िशा (55%), बिहार (55.84%), उत्तर प्रदेश (68.83%)  समेत कई राज्यों में यह काम बेहद सुस्त अंदाज में आगे बढ़ रहा है.

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शौचालय के अलावा घरों से निकलने वाला कचरा भी इस अभियान के लिए बड़ी चुनौती है. भारत में औसतन 1 लाख 57 हजार 500 टन कचरा रोजाना निकलता है जिसमें महज 26% कचरे के निपटारे का प्रबंध है, बाकी कूड़ा खुले में पड़ा रहता है जो आसपास के इलाके को प्रदूषित ही करता है.

स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण) के लिए केंद्र सरकार ने अगले वित्त वर्ष के लिए 16 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का बजट आवंटित किया है, लेकिन खुले में शौच, गंदे शौचालय, सड़कों पर पड़ा कूड़ा-कचरा यह तस्दीक करता है कि स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने के लिए अभी सरकार और देश की जनता को बहुत मेहनत करनी होगी.

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