
देश में कई राज्य सूखे की मार झेल रहे हैं और दो बड़े कृषि उत्पादक राज्य सतलुज-यमुना लिंक नहर के पानी बंटवारे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई में उलझे हैं. हकीकत यह है कि पिछले 40 साल से नहर सूखी पड़ी है.
रावी-व्यास के पानी पर पंजाब ने जताया हक
कोर्ट में सुनवाई के दौरान सोमवार को पंजाब ने कहा हमारे किसान भूखे मर रहे हैं और हमारी खेती पूरी तरह नदी और नहर पर निर्भर है. इस हालत में रावी-व्यास नदी के पानी पर पहला हक हमारा है जिस तरह यमुना के पानी पर पहला हक हरियाणा का है.
पानी देने से पंजाब को ऐतराज
पंजाब की ओर से कहा गया कि पुराने जितने जल समझौते हुए हैं उनकी वजह से पंजाब के साथ अन्याय हुआ है. अब तक हुए जल समझौते की समय-समय पर समीक्षा होनी चाहिए. इन दिनों पानी का बहाव और उसकी मात्रा काफी घट गई है. इससे पंजाब दूसरे राज्यों को पानी देने ने पूरी तरह सक्षम नहीं है.
ट्रिब्यूनल में सुनवाई की मांग
पंजाब ने तो यहां तक कह दिया कि सुप्रीम कोर्ट के बजाय इस मामले की सुनवाई ट्रिब्यूनल में होनी चाहिए. पंजाब सरकार के टर्मिनेशन ऑफ वाटर एग्रीमेंट बिल 2004 पर राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट से कुछ सवाल पूछे हैं. इस संदर्भ में कोर्ट में हरियाणा-पंजाब के अलावा कई और राज्य भी अपना जवाब दाखिल कर रहे हैं.
दिल्ली ने किया हरियाणा का समर्थन
पिछले शुक्रवार को दिल्ली ने अपने जवाब में हरियाणा का समर्थन किया था. इसके बाद दिल्ली ने अपने वकील के सर सारा ठीकरा फोड़ते हुए उसे हटा दिया था. पंजाब में चुनावी हलचल तेज है और ऐसे में इस मामले पर हर पार्टी खुद को पुंजाब के किसानों का हितैषी बताने में लगी है.