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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की अल्पसंख्यक मान्यता खत्म किए जाने के मुद्दे पर किसी भी तरह के समझौते या सरकार के फैसले में दखल देने से इंकार किया है.
राष्ट्रीय विश्वविद्यालय है AMU
एएमयू की अल्पसंख्यक मान्यता के संबंध में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उच्च पदस्थ सूत्र ने 'आज तक' को बताया कि संघ एएमयू की अल्पसंख्यक मान्यता के बारे में सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से दाखिल शपथ पत्र से पूरी तरह सहमत है, जिसमें यह कहा गया है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय संवैधानिक तौर पर अल्पसंख्यक संस्थान ना होकर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय है और इसमें केंद्र के सभी नियम-कानून दूसरे विश्वविद्यालय की तरह ही लागू होने चाहिए.
AMU पर नहीं बदले हैं RSS के विचार
एएमयू के कुलपति जमीर उद्दीन शाह की आरएसएस से बातचीत के बारे में उच्च पदस्थ सूत्र ने बताया कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में कोई किसी से भी मिलने और अपनी बात कहने के लिए स्वतंत्र है. इसका मतलब यह नहीं है कि आरएसएस एएमयू के बारे में अपने विचार में कोई बदलाव लाने जा रहा है.
AMU पर कोर्ट के फैसले का इंतजार
देश की पूर्ववर्ती सरकारों ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक संस्थान होने के बारे में जो भ्रम पैदा किए और कोर्ट को भी बार-बार गुमराह करने की कोशिश की, उसे दोहराते रहने से देश को या फिर एएमयू को कोई लाभ नहीं होने वाला है. यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और न्यायालय के फैसले से ही अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक चरित्र का भविष्य भी तय होगा, लिहाजा सभी को फैसले का इंतजार करना चाहिए.
RSS का AMU पर नरम रुख?
गौरतलब है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति जमीर उद्दीन शाह ने दावा किया है कि आरएसएस ने एएमयू के बारे में नरम रुख अपनाने की बात कही है. आरएसएस सूत्रों ने इस दावे से साफ इंकार करते हुए कहा कि मुस्लिम समाज को आधुनिक शिक्षा से जुड़ी मुख्यधारा में लाने के लिए एएमयू ने बड़ी भूमिका निभाई है और संघ भी यही चाहता है कि आधुनिक शिक्षा के साथ मुस्लिम मानस देश की मुख्य धारा के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़े.