
राजस्थान की गहलोत सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को राज्य में नहीं लागू करने का फैसला लिया है. यह फैसला बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया. नागरिकता संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के खिलाफ कांग्रेस मुखर है. ऐसे में किसी भी कांग्रेस शासित राज्य में नागरिकता कानून लागू कर पाना केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लिए चुनौती बनी हुई है.
कांग्रेस के कई दिग्गज नेता नागरिकता कानून को धार्मिक भेदभाव पर आधारित और संविधान की मूल आत्मा के विरुद्ध बता चुके हैं. ऐसे में राजस्थान सरकार का यह फैसला अप्रत्याशित नहीं है. कांग्रेस की अगुवाई में विपक्षी दलों ने भी नागरिकता कानून पर विरोध जताया है.
राजस्थान की गहलोत सरकार ने कैबिनेट में सीएए और एनआरसी को राज्य में लागू नहीं करने का फैसला हुआ है. कैबिनेट में कहा गया है कि राज्य में लागू करने से पहले केंद्र सरकार बताए कि असम में एनआरसी लागू करने में क्या-क्या कठिनाइयां हुई थी.
कांग्रेस है नागरिकता कानून के खिलाफ
कांग्रेस ने बीते बीते साल 23 दिसंबर को नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ महात्मा गांधी की समाधि स्थल राजघाट पर सत्याग्रह भी किया था. कांग्रेस के इस सत्याग्रह में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के साथ-साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी शामिल हुए थे. राजघाट पर कांग्रेस नेताओं ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ी थी. कांग्रेस का रुख नागरिकता कानून पर पहले ही साफ है.
टिड्डी दलों पर भी हुई चर्चा
कैबिनेट में यह भी चर्चा हुई कि राजस्थान में टिड्डी का प्रकोप ज्यादा है मगर राजस्थान में केंद्र सरकार की तरफ से भेजी गई मशीनें गुजरात भेज दी गई क्योंकि गुजरात में भी टिड्डी दलों का प्रकोप ज्यादा था. केंद्र सरकार से गुजरात भेजी गई मशीनों के बदले राजस्थान में मशीन भेजने की मांग की गई.
कोटा में बच्चों की मौत पर भी हुई चर्चा
इसके साथ ही राजस्थान में नए साल के मौके पर सरकार की कैबिनेट की मीटिंग हुई जिसमें चर्चा हुई कि कोटा में आखिर बच्चों की मौत क्यों हो रही है. राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि अभी तक डॉक्टरों की लापरवाही का मामला सामने नहीं आया है.
वहीं राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के जेपी नड्डा की भेजी गई जांच टीम ने कोटा के अस्पताल के डॉक्टरों को क्लीन चिट दी है और कहा है कि किसी भी तरह की कोई क्लीनिकल लापरवाही नहीं हुई है.
बढ़ाई जाएगी बेडों की संख्या
यह भी कहा गया कि 10 दिन के अंदर कोटा के जेके लोन अस्पताल में सेंट्रलाइज ऑक्सीजन सिस्टम लगाया और बेड बढ़ाया जाएगा. लगातार हो रही मौतों पर कहा कि बच्चे जिस हालात में अस्पताल आ रहे हैं उसमें स्वभाविक मौत हो रही है ना कि डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से हो रही है.
बीजेपी पर बड़ा आरोप
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि 2000 12 और 13 के दौरान कोटा के इस अस्पताल के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ₹60 करोड़ सैंक्शन किए थे जिसे बीजेपी ने सत्ता में आने के बाद वित्तीय स्वीकृति होने के बावजूद नहीं दिए.
कोटा के अस्पताल प्रशासन हर साल पैसे की मांग करता था लेकिन बीजेपी सरकार पैसे नहीं देती थी. खुद इनके बीजेपी के उस वक्त के विधायक प्रहलाद गुंजल, ओम बिरला और भवानी सिंह राजावत इस अस्पताल को पैसे देने की मांग करते रहते थे मगर बीजेपी सरकार ने एक पैसे नहीं दिए. यह सारी बातें रिकॉर्ड पर है.