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Exclusive: मिशन 2019 मोड में कांग्रेस, फील्ड में पसीना बहाने वालों को ही मिलेगा इनाम

राहुल के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से एक फर्क भी दिखने लगा है, पहले पार्टी के ‘24, अकबर रोड’ स्थित मुख्यालय में जो हर वक्त नेताओं का जमावड़ा दिखता था, वो अब नहीं दिखता.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल फोटो) कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल फोटो)
सुप्रिया भारद्वाज/खुशदीप सहगल
  • नई दिल्ली,
  • 27 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 8:45 PM IST

राजनीति में सिर्फ चुनाव के दिनों में ही सक्रिय रहने के दिन अब लद गए. अब नेताओं के राजनीति में 24x7 एक्टिव रहने का दौर है. कांग्रेस की कोशिश भी यही है कि पार्टी नेता और कार्यकर्ता आम लोगों तक पहुंचने के लिए जमीनी स्तर पर अधिक से अधिक पसीना बहाते दिखें. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इसी माइंडसेट को पार्टी में हर स्तर पर देखना चाहते हैं.

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राहुल के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से एक फर्क भी दिखने लगा है, पहले पार्टी के ‘24, अकबर रोड’ स्थित मुख्यालय में जो हर वक्त नेताओं का जमावड़ा दिखता था, वो अब नहीं दिखता. अधिकतर नेता अब फील्ड में एड़ी चोटी का जोर लगाते दिख रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष का संदेश साफ है जो परफॉर्म करके दिखाएगा, उसी को इनाम मिलेगा.    

कर्नाटक विधानसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच ही कांग्रेस 29 अप्रैल से ‘मिशन 2019’ का आगाज करने जा रही है. इस दिन राहुल दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में ‘जनाक्रोश रैली’ को संबोधित करेंगे. नरेंद्र मोदी सरकार की नाकामियों पर बरसने के साथ ही राहुल 2019 लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के अभियान की टोन सेट करेंगे. इस मौके पर प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के मुखियाओं को भी ग्रीन सिग्नल दिया जाएगा कि वे अपने-अपने प्रदेशों में खुद के तैयार किए हुए शुरुआती ब्लू-प्रिंट्स पर काम शुरू कर सकें.

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सही उम्मीदवारों की तलाश शुरू

उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने 2019 लोकसभा चुनाव के लिए क्षमतावान उम्मीदवारों की तलाश अभी से शुरू कर दी है. प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के अध्यक्ष इस काम में जी जान से जुटे हैं. पार्टी आलाकमान ने उनसे संभावित उम्मीदवारों की फेहरिस्त बनाने के लिए कहा गया है. साथ ही ये निर्देश भी दिए गए हैं कि किसी उम्मीदवार के नाम पर मुहर लगाने से पहले उसकी जीत की क्षमता पर सबसे अधिक फोकस किया जाए.

कर्नाटक के लिए पार्टी के प्रभारी केसी वेणुगोपाल के मुताबिक राहुल गांधी ने जैसा पार्टी अधिवेशन में कहा था, उसी का पालन करते हुए पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को उम्मीदवार चुनते वक्त प्राथमिकता दी जाएगी.

तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष उत्तम कुमार रेड्डी का कहना है कि पार्टी का प्रदेश स्तरीय नेतृत्व सर्वे और यात्रा के माध्यम से हर जिले में संभावित उम्मीदवारों की क्षमता को आंक रहा है. रेड्डी के मुताबिक वे कांग्रेस अध्यक्ष से आग्रह करेंगे कि चुनाव से छह महीने पहले ही उम्मीदवारों के नाम घोषित करने को हरी झंडी दिखाई जाए.

इसी तरह गुजरात के लिए पार्टी प्रभारी और सांसद राजीव सातव का कहना है कि राज्य में कैम्पेन के अगले दौर के लिए रणऩीति तैयार कर ली गई है. सातव के मुताबिक बीते साल गुजरात विधानसभा चुनाव में नवसर्जन यात्रा के बाद से ही हर काम को प्रोफेशनल ढंग से अंजाम दिया जा रहा है. सातव कहते हैं,  ‘हम राज्य में अपनी यात्रा पहले ही पूरी कर चुके हैं. नवसर्जन यात्रा के बाद हमें जमीनी हकीकत का पता है. हम हम कैम्पेन का अगला दौर शुरू करेंगे जो आंदोलन के तेवर में होगा. लोगों को जो मुद्दे परेशान कर रहे हैं, उन्हें लेकर ब्लॉक से लेकर विधानसभा स्तर पर विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे.’

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‘यात्रा’ है कांग्रेस का नया मंत्र

गुजरात में नवसर्जन यात्रा को मिली कामयाबी के बाद राहुल गांधी कर्नाटक में ‘जन आशीर्वाद यात्रे’ के जरिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं. इसी से प्रेरणा लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के प्रमुख और अन्य दिग्गज नेता 29 अप्रैल के बाद अपनी अपनी यात्राओं पर निकलेंगे. 

मध्य प्रदेश में पार्टी के दिग्गज ‘न्याय यात्रा’ से पहले ही कैम्पेन कर रहे हैं. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा मई के महीने में पानीपत से जनक्रांति यात्रा की शुरुआत करने जा रहे हैं. हुड्डा कहते हैं, ‘बीजेपी ने जो वादे किए वो पूरे नहीं किए, इस पर लोगों में आक्रोश है. कांग्रेस अध्यक्ष से 29 अप्रैल को निर्देश मिलने के बाद मई में पानीपत से जनक्रांति यात्रा की मैं शुरुआत करूंगा. कोशिश अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने की रहेगी.’

तेलंगाना कांग्रेस प्रदेश कमेटी के अध्यक्ष उत्तम कुमार रेड्डी के मुताबिक वे राज्य में अगले महीने से बस से यात्रा शुरू करने जा रहे हैं. इससे हर निर्वाचन क्षेत्र में जाकर ये जानने में मदद मिलेगी कि जमीनी स्तर पर लोग क्या सोचते हैं. साथ ही संभावित उम्मीदवारों की क्षमता को जानने में भी मदद मिलेगी.

कांग्रेस की केरल यूनिट के अध्यक्ष एम एम हसन भी पहले से ही राज्य में ‘जन्मोचना यात्रा’ निकाल रहे हैं. इस यात्रा के जरिए केरल में सत्तारूढ़ लेफ्ट मोर्चा के साथ ही बीजेपी पर भी निशाना साधा जा रहा है.

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कर्नाटक के लिए पार्टी प्रभारी वेणुगोपाल का कहना है कि राहुल गांधी के यात्रा मॉडल के बहुत अच्छे परिणाम सामने आए हैं. इस तरीके से न्यूनतम खर्च में अधिकतम जनसंपर्क करने में कामयाबी मिल रही है. ये तरीका ना सिर्फ पार्टी और आम लोगों में बल्कि पार्टी के अंदर भी नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच दूरी कम करने को पुल की तरह काम कर रहा है.

संगठन की मजबूती का मिशन

बीजेपी अपने ‘मिशन 2019’ के लिए 2017 से एक्टिव मोड में है. बीजेपी की ओर से केरल, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के लिए नए लक्ष्य तय करके वहां पार्टी को मजबूत बनाने के लिए हाथ-पैर मारे जा रहे हैं. इसी तर्ज पर कांग्रेस की नजर बीजेपी के गढ़ माने जाने वाले राज्यों पर है. राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, यहां तक कि महाराष्ट्र पर कांग्रेस का खास फोकस रहेगा.  

ये भी एक हकीकत है कि बीजेपी की तरह कांग्रेस के पास मजबूत कैडर नहीं है जो बूथ लेवल पर काम कर सके. कांग्रेस की इस कमजोरी को बीते कई राज्य विधानसभा चुनावों में हार की मुख्य वजहों में से एक माना गया है.  

यही वजह है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से अलग-अलग राज्यों में अपने जनरल (प्रदेश पार्टी प्रमुख) नियुक्त करते हुए उन्हें गुरुमंत्र भी दिया जा रहा है कि संगठन को मजबूत बनाने के साथ बूथ प्रबंधन को सबसे ज्यादा अहमियत दी जानी चाहिए. 

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वेणुगोपाल कहते हैं कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के 8 लाख बूथ लेवल कार्यकर्ता बनाए गए हैं. छत्तीसगढ़ के लिए पार्टी प्रभारी पी एल पूनिया बूथ लेवल कार्यकर्ताओं के लिए कैंप लगा रहे हैं. पूनिया के मुताबिक उन्होंने पार्टी अध्यक्ष से आग्रह किया है कि वे इन बूथ कार्यकर्ताओं से संवाद के लिए राज्य का दौरा करें. पूनिया ने बताया कि राहुल गांधी कर्नाटक चुनाव संपन्न होने के बाद मई में छत्तीसगढ़ का दौरा करेंगे.

झारखंड के लिए कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह के मुताबिक पार्टी का लक्ष्य सिर्फ ना बूथ लेवल संगठन बल्कि पार्टी के दूसरे फ्रंटल संगठनों और विभागों को भी मजबूत करना है.

गार्ड्स में बदलाव

मध्य प्रदेश और गोवा में पार्टी संगठन के नेतृत्व में बदलाव के बाद कांग्रेस की ओर से शीघ्र ही हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर में भी प्रदेश कांग्रेस कमेटियों में शीर्ष स्तर पर बदलाव किए जाने वाला है. 

गुजरात प्रभारी राजीव सातव का कहना है कि संगठन को मजबूत बनाने के लिए ब्लॉक से लेकर जिला स्तर,  प्रदेश कांग्रेस कमेटी स्तर तक बदलाव किए जा रहे हैं. राहुल गांधी क्षमतावान युवाओं के साथ ही समर्पित कार्यकर्ता/नेताओं को संगठन में तरजीह देना चाहते हैं. उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक ना सिर्फ राज्यों में पार्टी संगठन के मुखिया बल्कि पार्टी के कुछ विभागों में भी कर्ताधर्ता बदले जाएंगे.

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लोकसभा चुनाव पहले होते हैं तो भी कांग्रेस की तैयारी

राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इसी साल नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने निर्धारित हैं. ऐसे भी कयास लगाए जा रहे हैं कि लोकसभा चुनाव समय से पहले ही तीन राज्यों के चुनाव के साथ ही कराए जा सकते हैं. इस पर कांग्रेस नेता पूनिया का कहना है कि ऐसी स्थिति अगर आती है तो कांग्रेस उसका सामना करने के लिए भी तैयार है. पार्टी की योजना तीनों राज्यों के विधानसभा चुनावों के साथ खुद को लोकसभा चुनाव के लिए भी तैयार रखने की है. 

मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नवनियुक्त अध्यक्ष कमलनाथ के मुताबिक प्रदेश के लिए प्राथमिकताएं सेट कर ली गई हैं. कमलनाथ ने कहा, ‘हम दोनों चुनाव (विधानसभा-लोकसभा) के लिए साथ तैयारी करेंगे. सबको साथ लेकर चलेंगे जिससे दोनों मोर्चों पर मजबूत लड़ाई लड़ी जा सके.’ 

राष्ट्रीय के साथ स्थानीय मुद्दों पर भी जोर

कांग्रेस केंद्र में मोदी सरकार को घेरने के लिए राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों की पहचान के साथ क्षेत्रीय और जिला स्तर के मुद्दे भी उठाने की रणनीति पर काम कर रही है. पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर किसानों की बदहाली, बढ़ती बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, दलित उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं, एससी-एसटी एक्ट में बदलाव आदि मुद्दों पर फोकस कर रही है. हाल ही में राहुल गांधी की ओर से शुरू की गई ‘संविधान बचाओ’ मुहिम को इसी से जोड़ कर देखा जा सकता है.

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झारखंड के लिए कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह कहते हैं कि राष्ट्रीय मुद्दों के साथ स्थानीय मुद्दे भी उठाए जाएंगे. जैसे कि झारखंड में कैसे बीजेपी नेताओं ने आदिवासियों की जमीन पर कब्जा जमा लिया. सातव के मुताबिक लोगों को बताया जाएगा कि गुजरात विकास मॉडल पूरी तरह फेल है और कैसे इसके जरिए चंद लोगों को ही लाभ पहुंचाया गया.  

बहरहाल जो भी है, कांग्रेस को ये पता है कि बीजेपी में मुकाबला नरेंद्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी से है जो ‘24x7’ की सक्रिय राजनीति में विश्वास रखती है. ऐसे में कांग्रेस की भी कोशिश है कि धूप हो या बरसात, पार्टी के ऊपर से लेकर नीचे तक नेता और कार्यकर्ता लोगों के बीच हर वक्त मौजूद रह कर काम करें जिससे कि कांग्रेस की खोई हुई जनाधार की जमीन को दोबारा वापस पाया जा सके.

 

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