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खुशखबरी! PF की रकम से रिटायरमेंट के बाद मिलेगा अधिक पेंशन का फायदा

सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) आधारित पेंशन योजना के तहत अपने अंशधारकों को नियोक्ताओं के अनिवार्य योगदान के अलावा पेंशन योजना में स्वैच्छिक योगदान की इजाजत दे सकती है. इसके बाद कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद अपेक्षाकृत और अधिक पेंशन का लाभ मिल सकेगा.

प्रस्ताव मंजूर हुआ तो रिटायरमेंट के बाद मिलेगा अधिक पेंशन प्रस्ताव मंजूर हुआ तो रिटायरमेंट के बाद मिलेगा अधिक पेंशन
केशव कुमार/BHASHA
  • नई दिल्ली,
  • 14 जून 2016,
  • अपडेटेड 6:11 PM IST

सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) आधारित पेंशन योजना के तहत अपने अंशधारकों को नियोक्ताओं के अनिवार्य योगदान के अलावा पेंशन योजना में स्वैच्छिक योगदान की इजाजत दे सकती है. इसके बाद कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद अपेक्षाकृत और अधिक पेंशन का लाभ मिल सकेगा.

ईपीएस 95 के तहत कर्मचारियों का योगदान
फिलहाल मूल वेतन और महंगाई भत्ते को मिलाकर अधिकतम 15,000 रुपये मासिक वेतन पर पेंशन कोष के अंशदान की कटौती की जाती है. भले ही कर्मचारी का वेतन इससे ऊपर क्यों न हो. केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त डॉ. वीपी जॉय ने कहा, ‘हम ईपीएस 95 के तहत कर्मचारियों को योगदान देने की अनुमति देने के प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं, ताकि उसे सेवानिवृत्ति के बाद अधिक लाभ मिल सके.’

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मूल वेतन और डीए के योग के आधार पर पेंशन
गौरतलब है कि ईपीएफओ के दायरे में आने वाले कर्मचारियों मूल वेतन और डीए के योग का 12 फीसदी कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में जबकि नियोक्ता के 12 फीसदी योगदान में 8.33 फीसदी कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) में जाता है. शेष ईपीएफ में जुड़ जाता है. इसके अलावा मूल वेतन का 1.16 फीसदी सरकार सब्सिडी के रूप में देती है. इससे पेंशन खाते में 15,000 रुपये मूल वेतन सीमा के साथ अधिकतम 1,424 रुपये मासिक जाता है.

प्रस्ताव को मंजूरी का इंतजार
ईपीएफओ न्यासी केंद्रीय न्यासी बोर्ड एक बार इस प्रस्ताव को मंजूरी दे देता है तो कर्मचारी को पेंशन कोष (ईपीएस 95) में नियोक्ता के अलावा योगदान देने का विकल्प होगा. अंशधारकों के वेतन में बढ़त को देखते हुए पेंशन कोष में स्वैच्छिक योगदान के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है.

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पेंशन योजना के विकल्प पर विचार
एक अधिकारी ने कहा, ‘चूंकि ईपीएस 95 योजना के तहत पेंशन मुद्रास्फीति से जुड़ी नहीं है, अत: सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन स्थिर बनी रहती है. इसलिए कर्मचारियों को पेंशन योजना में योगदान का विकल्प मिलना चाहिए.’ स्वैच्छिक योगदान के बारे में अंतिम फैसले के बारे में उन्होंने कहा, ‘अभी विचार चल रहा है, इसके समय के बारे में अभी कुछ कहना ठीक नहीं होगा.’

ईपीएस और ईपीएफओ की गणना में अंतर
ईपीएस (कर्मचारी पेंशन स्कीम) पर मिलने वाले ब्याज और उसके गणना के तरीके जटिल होने के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त जॉय ने कहा, ‘इसकी गणना हम उस तरीके से नहीं कर सकते जैसा ईपीएफ में होता है. ईपीएस के तहत गणना व्यक्ति की नौकरी की अवधि और अंतिम पांच साल में वेतन (मूल वेतन और डीए) के औसत के आधार पर किया जाता है.’

पेंशन फंड व्यक्तिगत कोष नहीं
उन्होंने साफ किया, ‘पेंशन फंड, भविष्य निधि की तरह व्यक्तिगत कोष नहीं है. यह फिलहाल एकमात्र ‘परिभाषित पेंशन’ योजना है. हम यह नहीं देखते कि किसी व्यक्ति का कितना योगदान है.’ वैसे एक मोटा-मोटी अनुमान के अनुसार 15,000 रुपये के मूल वेतन के साथ करीब 35 साल की नौकरी के बाद पेंशन करीब 7,500 रुपये प्रति महीने बनेगा.

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मासिक पेंशन तीन हजार रुपये करने की मांग
उन्होंने कहा, ‘अगर व्यक्ति ने नौ साल भी काम किया है, उसे हमें न्यूनतम 1,000 रुपये मासिक पेंशन देना ही है.’ सरकार ने ईपीएस के तहत न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये मासिक कर दिया है, लेकिन श्रमिक संगठन इसे अब भी काफी कम बताते रहे हैं. वे लोग इसे 3,000 रुपये मासिक करने की मांग कर रहे हैं.

ईपीएस से बाहर होते हैं 58 साल के कर्मचारी
ईपीएफओ के दायरे में आने वाले कर्मचारी 58 साल की उम्र पूरी करने के साथ ईपीएस के दायरे से बाहर हो जाते हैं. उसके बाद नियोक्ता का 8.33 फीसदी योगदान भी संबंधित कर्मचारी के भविष्य निधि में जाता है. देश में अभी करीब चार करोड़ सक्रिय ईपीएफओ अंशधारक हैं.

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