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फिल्म रिव्यूः हवाईजादा
एक्टरः आयुष्मान खुराना, मिथुन चक्रवर्ती, पल्लवी शारदा और नमन जैन
डायरेक्टरः विभु पुरी
स्क्रीन प्लेः विभु पुरी, सौरभ भावे
ड्यूरेशनः 2 घंटा 33 मिनट
रेटिंगः दो स्टार
राजा दशरथ से कैकेयी ने तीन वरदान मांगे और राम वन गए, सीता की खोज में लंका गए और रावण वध के बाद पुष्पक विमान से अयोध्या लौटे. आधुनिक काल में पहला पुष्पक विमान या कहें हवाई जहाज के उड़ान भरने की कहानी है 'हवाईजादा' , लेकिन उसकी उड़ान प्रार्थनाओं और कमजोर पंखों के भरोसे हैं. आयुष्मान खुराना (शिबी) अभिनीत 'हवाईजादा' में तीन शर्तों का खेल हैं. फिल्म के कथानक से एक राय यह बनती है कि फिल्म के लेखक और निर्देशक विभु पुरी वैदिक ज्ञान में रुचि रखते हैं. 'हवाईजादा' में शिवकर बापूजी तलपड़े की कहानी के जरिए उन्होंने वैदिक ज्ञान के मिथकों को स्थापित करने की कोशिश की है.
हालांकि वैदिक ज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए यह फिल्म महत्वपूर्ण लगेगी और वे लोग इसका बचाव करेंगे. लेकिन मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में इस फिल्म को आलोचना की शक्ल में चर्चा मिलनी तय है, जैसे गृहमंत्री राजनाथ सिंह अपने बयानों को लेकर चर्चा में आ जाते हैं कि सूर्य ग्रहण कब लगेगा, ये मोहल्ले के पंडित बता देंगे.
'हवाईजादा' की कहानी गुमनाम (माफ कीजिएगा आज से पहले मैं भी उन्हें नहीं जानता था) वैज्ञानिक शिवकर तलपड़े की है, जिन्होंने राइट बंधुओं से आठ साल पहले पहला हवाई जहाज उड़ाया था? हालांकि शिवकर तलपड़े के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है, लेकिन फिल्म में आयुष्मान खुराना ने शिवकर की भूमिका के साथ न्याय करने की भरसक कोशिश की है. पूरी फिल्म आयुष्मान के कंधे पर टिकी है. हालांकि शिवकर के गुरु और वैदिक विद्वान शास्त्री की भूमिका में मिथुन चक्रवर्ती ने भी पूरा जोर लगाया है. फिल्म में उतार-चढ़ाव बहुत हैं, बेवजह गाने और शिबी की प्रेम कहानी ने फिल्म को खूब हिचकोले खिलाए हैं. लिहाजा कुर्सी पर बैठा दर्शक जम्हाई भी खूब लेता है. यही चीज फिल्म को कमजोर बनाती है.
विभु पुरी के लिए बेहतर होता अगर सिर्फ शिवकर तलपड़े के उड़ान भरने की कहानी पर फोकस रखते, लेकिन शिबी की प्रेम कहानी दिखाने में फिल्म बेहद कमजोर हो गई है. आयुष्मान और मिथुन चक्रवर्ती के स्क्रीन पर आने के साथ फिल्म में जैसे ही जान आती है, अगले सीन में फिल्म फ्लैट हो जाती है और दर्शक का मन उचट जाता है. 'युग सहस्त्र योजन पर भानु..' के साथ खगोलीय सूत्रों को सुलझाने वाले वैदिक विद्वान शास्त्री की भूमिका में मिथुन चक्रवर्ती ने अच्छा काम किया है, हालांकि पल्लवी शारदा के हिस्से कुछ भी नहीं आया है और वह केवल शोपीस बनकर रह गई है.
ऐसा नहीं है कि 'हवाईजादा' में कुछ भी अच्छा नहीं है. फिल्म की सिनेमैटोग्राफी, दृश्यों की गहराई, प्रकाश और शेड्स के लिए तारीफ की जानी चाहिए और यह कहा जा सकता है कि 'हवाईजादा' आयुष्मान खुराना के साथ सविता सिंह की भी फिल्म है, जिन्होंने बढ़िया काम किया है. फिल्म के प्रोडक्शन डिजाइनरों की भी मेहनत पर्दे पर नजर आती है. फिल्म का संपादन अगर कसा हुआ होता, तो दर्शकों को बांधे रखने में फिल्म को अधिक सफलता मिलती.
शिवकर बापूजी तलपड़े के बारे में विभु पुरी ने अपनी कहानी लिखने के लिए जो फैक्ट इस्तेमाल किए हैं, वो फुटनोट्स की तरह है. फिल्म की कहानी में जहां दर्शक गहराई और विश्लेषण की उम्मीद करता है, विभु पुरी ने वहां गानों का सहारा लिया है, जो फिल्म को कमजोर बनाते हैं. फिल्म का संगीत 'हवाईजादा' के पर्दे से उतरते ही नेपथ्य में चला जाएगा. क्योंकि उसमें ऐसा कुछ भी नहीं है, जो दर्शक के मस्तिष्क पटल पर अपनी छाप छोड़ सके.
अपनी कहानी के पक्ष में विभु दलील देते हैं कि तीन साल पहले नासा ने पारा से संचालित विमान बनाने की बात कही है. पुरी शिवकर तलपड़े के भतीजे (नारायण तलपड़े) की मौत की तारीख भी बताते हैं. लेकिन पब्लिक स्फीयर में शिवकर के बारे में उतनी जानकारी उपलब्ध नहीं है. लिहाजा विभु पुरी का पक्ष कमजोर पड़ जाता है.
हालांकि 'हवाईजादा' विभुपुरी की पहली फिल्म है, लेकिन इसके लिए उन्होंने जो विषय चुना है. उसके लिए उनकी सराहना की जानी चाहिए. बॉलीवुड में वैदिक ज्ञान और सूत्रों पर फिल्म बनाने का रिवाज ना के बराबर रहा है, लेकिन विभु पुरी ने 'हवाईजादा' के जरिए इसकी शुरुआत कर दी है. अगर त्रिकोणमिति (ट्रिगनोमेट्री) को ज्या(sine) और कोज्या(Cosine) की भाषा में पढ़ा है, तो 'हवाईजादा' के ढाई घंटे काटने आपके लिए मुश्किल नहीं होंगे.