जिस कीमत पर आजकल एक अच्छा मोबाइल कवर नहीं मिलता, उसमें देश का सबसे सस्ता स्मार्टफोन लॉन्च हो गया है. हम बात कर रहे हैं फ्रीडम 251 स्मार्टफोन की जिसकी कीमत के चलते इस पर कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं.
बता दें कि इंडियन सेल्युलर एसोसिएशन ने स्मार्टफोन की कीमत पर कई तरह के सवाल उठाए. आईसीए ने कहा कि जब प्रोडक्ट कॉस्ट में ड्यूटी, टैक्स, डिस्ट्रीब्यूशन और रिटेल मार्जिन जुड़ने के बाद इस फोन की कीमत 4,100 रुपये हो जाती है, तो भला कैसे फोन 251 रुपये में बिक सकता है?
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सैमसंग, एप्पल, सोनी, लावा, माइक्रोमैक्स और मोटोरेला जैसी कई कंपनियां आईसीए की मेंबर हैं. सबके मन में एक ही सवाल है कि जब प्रोडक्ट को सीधे तौर पर कोई सब्सिडी नहीं मिल रही है तो आखिर कैसे इतनी कम कीमत पर यह मोबाइल देने का दावा किया जा रहा है.
ई-कॉमर्स या किसी तरह की सब्सिडाइज्ड सेल पर अगर इसे बेचा जाता है, तो इसकी कीमत 3,500-3,800 रुपये पड़ेगी. ऐसे में महज 251 रुपये स्मार्टफोन उपलब्ध कराना वाकई कई शंकाएं और सवाल खड़े करता है.
आइए जानते हैं कि आखिर किन वजहों से इस स्मार्टफोन की कीमत इतनी कम है-
इस मोबाइल की कम कीमत के पीछे सबसे बड़ी वजह ऑनलाइन बुकिंग के जरिए मिलने
वाले पैसे पर जबरदस्त ब्याज की रकम है. गौरतलब है कि इस फोन को प्रति सेकंड
6 लाख लोगों ने विजिट किया
है और अगर इसमें से कुछ लाख लोग भी मोबाइल बुक करके ऑनलाइन पेंमेट करते
हैं तो आने वाले 4 महीने में इस रकम पर अच्छा खासा ब्याज मिलेगा. बता दें
कि इस फोन की डिलिवर होने में अभी 4 महीने का समय लगेगा.
कंपनी के अध्यक्ष अशोक चड्ढा के मुताबिक, साल के अंत तक इस स्मार्टफोन के 75 प्रतिशत हार्डवेयर भारत में ही बनाने का लक्ष्य है. उसके बाद इस फोन के हार्डवेयर को पूरी तरह भारत में ही बनाया जाएगा जिससे लागत कम होगी.
साथ ही सबसे पहले यह बात स्पष्ट की कि इस फोन को सरकार की तरफ से कोई भी सब्सिडी नहीं मिल रही है, लेकिन कंपनी की योजना इकोनॉमीज ऑफ स्केल से मुनाफा कमाने का है.
भारतीय बाजार में एक महीने में 2 करोड़ मोबाइल यूनिट तैयार की जाती हैं. अगर हम इसका 30 फीसदी कवर कर लेते हैं तो इकोनॉमीज ऑफ स्केल के लक्ष्य को पा लेंगे.
कंपनी का दावा है कि साल के अंत तक वह 30 फीसदी स्मार्टफोन बाजार को कवर कर लेगी. जिसके लिए कंपनी फिलहाल उत्तराखंड और नोएडा में दो मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में 230-250 करोड़ रुपये इन्वेस्ट करेगी. हर महीने फ्रीडम 251 की पांच लाख यूनिट बनाने पर जोर होगा.
कम कीमत के पीछे एक तर्क यह भी है कि इसे ऑनलाइन माध्यम से बेचा जा रहा है जिससे डिस्ट्रीब्यूटर्स पर होने वाले खर्चों की लागत बच रही है.
कंपनी का दावा है कि मेड इन इंडिया पार्ट्स के जरिए 13.8 फीसदी की बचत होगी.
यह भी कहा है कि कंपनी दूसरे कंपनियों को अपनी वेबसाइट, एक सेलिंग प्लेटफॉर्म के रूप में उपलब्ध कराएगी. इससे भी उसे फायदा होगा.